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Sand Mafiya: ग्वालियर चंबल में रेत माफिया एक्टिव, कार्रवाई करने पर मिलती है मौत, पुलिस पर हमले के मामले बढ़े, अवैध उत्खनन जारी

इस समय पूरे देश भर में ग्वालियर चंबल अंचल में अवैध उत्खनन कर रहे माफिया सुर्खियां बटोर रहे हैं, शिवराज सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी यह माफिया अंचल की नदियों के सीना को छलनी करने में लगे हुए हैं. जब भी सरकार और प्रशासन इन पर तिरछी नजर करती है तो वे इसका जवाब बंदूकों से देते हैं, यही कारण है कि अंचल में अभी तक कई माफिया आईपीएस सहित कई पुलिस अधिकारियों की जान ले चुके हैं. ग्वालियर चंबल अंचल की सबसे महत्वपूर्ण चंबल नदी, सिंधु नदी, और पार्वती नदी है, जहां माफिया लगातार अवैध रेत का उत्खनन कर मध्य प्रदेश सरकार को चुनौती देती नजर आ रहे हैं. सबसे खास बात यह है अंचल में यह माफिया पिछले कई वर्षों से रोज लगभग 20 से 30 लाख का अवैध खनन कर रहे हैं, लेकिन सरकार इन से हार कर सिर्फ बयानों तक सीमित रह गई है.

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ग्वालियर चंबल में रेत माफिया एक्टिव
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Published : Jul 28, 2022, 7:08 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा अवैध रेत का उत्खनन माफियाओं के द्वारा किया जा रहा है, सबसे पहले मुरैना और भिंड जिले से गुजरी चंबल नदी में इन माफियाओं के द्वारा अवैध रेत का उत्खनन किया जाता है. माफियाओं को रोकने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन ने पूरी ताकत लगा दी, लेकिन नतीजा पूरी तरह फेल रहा. मुरैना और भिंड जिले में माफियाओं के द्वारा चंबल नदी से अवैध रेत का जमकर अवैध उत्खनन होता है, सरकार ने कई बार इसे रोकने के दावे किए लेकिन रेत माफियाओं को कोई नहीं रोक पाया. ग्वालियर की बात की जाए तो यहां सरकार की कई दिग्गज मंत्री रहते हैं, लेकिन फिर भी यहां माफियाओं का बोलबाला है. जिले के डबरा, पछोर, भितरवार ऐसे कई इलाके हैं, जहां यह माफिया सिंध नदी से रेत और जंगल से अवैध पत्थर का कारोबार धड़ल्ले से करते हैं लेकिन यहां भी आज तक सरकार भी इन माफियाओं को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.

ग्वालियर चंबल में रेत माफिया एक्टिव

चंबल में ऐसे शुरू हुआ अवैध उत्खनन का खेल: राष्ट्रीय चंबल डॉल्फिन घड़ियाल सेंचुरी केंद्र सरकार ने सन 1980 के दशक में वाइल्ड लाइफ के सहयोग से चालू की थी, इसका मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती प्रजाति के जलीय जीवो का पुनर्वास करना था. 3350 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली राष्ट्रीय अभ्यारण प्रदेश में पहली नंबर व देश विदेश में सबसे बड़ी सेंचुरी के रूप में जानी जाती है. चंबल सेंचुरी घड़ियाल और विशेष प्रजाति की कछुआ पालन में दुनिया की सबसे बड़ी सेंचुरी बन गई, जहां विश्व के सभी देशों में मात्र 1500 घरियाल है, उनसे कहीं ज्यादा अकेले चंबल नदी में पाए जाते हैं. घड़ियाल और अन्य जलीय जीव चंबल नदी के किनारे रेत में अंडे देते हैं और रेत माफिया 435 किलोमीटर लंबी समूची चंबल सेंचुरी में हावी है. रेत उत्खनन के दौरान जलीय जीवो के अंडे बहुत आग संख्या में नष्ट हो जाते हैं, इसलिए जलीय जीवों की सुरक्षा को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के द्वारा चंबल सेंचुरी से रेत के उत्खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. तभी से अवैध रेत की खूनी खेल की शुरुआत हो गई और पुलिस व प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद खूनी खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

चंबल नदी का सीना छलनी कर रहे माफिया: चंबल सेंचुरी में सिर्फ एक गांव नहीं है जहां से रेत का उत्खनन नहीं किया जा रहा है, मुरैना के सभी तहसीलों से रेत का अवैध उत्खनन दोनों हाथ खुलकर किया जा रहा है. वहीं भिंड जिले के एक दर्जन से ऐसे स्थान हैं, जहां पर माफिया लगातार रेत का बड़ा कारोबार करने में लगे हुए हैं. यह भी बताया जाता है कि कई बड़े राजनेता भी इसमें लिप्त हैं, जिनके सहयोग से माफिया फल फूल रहे हैं. मुरैना और भिंड में रेत उत्खनन के इस काम में लगभग 50000 से अधिक लोग और 2-3 हजार से अधिक ट्रैक्टर, ट्रक के द्वारा हर रोज रेत का अवैध उत्खनन शहर और शहर के आसपास सहित चंबल से लगे उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में खपाया जाता है. रेत के इस कारोबार में माफियाओं द्वारा करोड़ों रुपए की काली कमाई इस अवैध परिवहन से होती है, लंबे समय से इस रेत उत्खनन और पुलिस पर हमले कार्रवाई को लेकर विभिन्न दलों के राजनीतिक लोग एक-दूसरे पर कीचड़ डालते हुए अपने दामन को बेदाग बताने का दिखावा कर रहे हैं पर हकीकत कुछ और ही है. सभी लोग किसी न किसी तरीके से इन माफिया को संरक्षण दे रहे हैं और जब इन माफिया पर कोई कार्रवाई होती है तो यह लोग आंदोलन और प्रदर्शन से पीछे नहीं हटते. इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिनके स्वयं के ऊपर ही अवैध रेत को लेकर कई मामले दर्ज हैं.

Naxalism in MP: मध्य प्रदेश के 3 जिलों में नक्सल गतिविधियां बढ़ने से सरकार चिंतित, नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने को सरकार ला रही है समर्पण नीति

बड़े राजनेताओं के द्वारा माफियाओं को दिया जाता है संरक्षण: ग्वालियर चंबल अंचल में हो रही अवैध उत्खनन को रोकने के लिए सरकार के द्वारा यहां कोई बड़ा काम नहीं है, अगर सरकार चाहे तो एक दिन के अंदर ग्वालियर चंबल अंचल का अवैध उत्खनन बंद हो सकता है लेकिन अंदर ही अंदर सरकार से लेकर कई राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता इसमें लिप्त है. बताया जाता है अंदर ही अंदर इन माफियाओं को संरक्षण देते हैं और मोटा पैसा कमाते हैं, मुरैना और भिंड में कई ऐसे बड़े राजनेता हैं, जिन पर माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप भी लग चुके हैं. ऐसा ही कुछ ग्वालियर में भी देखने को मिलता है, यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल में यह माफिया लगातार सक्रिय है और सरकार को लगातार चुनौती देते हुए नजर आते हैं.

माफियाओं पर नजर डालने का अंजाम सिर्फ मौत: ग्वालियर चंबल अंचल में इन माफियाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने कई बार प्रयास भी किया, लेकिन आज तक ग्वालियर चंबल अंचल में अवैध उत्खनन करने वाले यह माफिया किसी पर नहीं रुके हैं और जिसने भी इन माफियाओं को रोकने का प्रयास किया उसे सिर्फ मौत मिली है. ग्वालियर चंबल अंचल के एक दर्जन से अधिक ऐसे पुलिस अधिकारी है, जिन्होंने इन माफियाओं को रोकने का प्रयास किया लेकिन बदले में इन माफियाओं ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया. यही कारण है कि अब पुलिस प्रशासन के साथ-साथ अलग-अलग विभाग के अधिकारी भी माफियाओं के सामने जाने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इन माफियाओं को सरकार से लेकर कई बड़े राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है.

चम्बल के मुरैना जिले में अवैध उत्खनन से जुड़े कुछ प्रमुख घटनाक्रम
- 8 मार्च 2012 को खनन माफियाओं द्वारा मुरैना जिले के बामौर थाने में पदस्थ आईपीएस नरेंद्र कुमार की ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलकर हत्या कर दी.
- 31 जनवरी 2012 को खनिज निरीक्षक राजकुमार बराठे से अवैध पत्थरों से भरी 4 ट्रैक्टर ट्रॉलिओं को पुलिस कंट्रोल रूम के पास भाजपा के वरिष्ठ नेता और जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हमीर सिंह प्लेट अपने साथियों के साथ बलपूर्वक छुड़ा ले गए थे.
- 10 मई 2012 को मुरैना जिले में कार्रवाई करने पहुंचे तत्कालीन थाना प्रभारी जितेंद्र राठौर पर रेत माफियाओं ने बंदूक से हमला किया और रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को चुरा ले गए.
- 29 जुलाई 2012 को मुरैना जिले में रेत माफियाओं ने हमला किया था, जिसमें 2 आरक्षक बुरी तरह घायल हुए.
- 28 दिसंबर 2012 को रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली को जप्त कर जिले के सराय छोला थाने ले जाया गया, रेत माफियाओं ने सैकड़ों की तादाद में एकत्रित होकर थाने में वाहनों और गस्ती गाड़ी को आग लगा दी.
- 31 मार्च 2014 मुरैना में प्लाटून कमांडर और सिपाहियों को गोली मारी, जिसमें वह घायल हो गए.
- 5 अप्रैल 2015 को मुरैना के नूराबाद थाने में तैनात पुलिस आरक्षक धर्मेंद्र सिंह चौहान की डंपर से कुचलकर हत्या कर दी.
- 30 जनवरी 2015 को अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर को पकड़ने गई वन विभाग की टीम पर फायरिंग की, जिसमें एक दर्जन से अधिक आरक्षक घायल हुए.
- भिंड जिले के फूफ थाने में माफियाओं ने ताबड़तोड़ पुलिस पर गोलियां बरसाईं, जिसमें कई आरक्षक घायल हुए.
- इसके अलावा ग्वालियर में साल 2022 में वन विभाग की टीम पर माफियाओं ने दो बार हमला किया है.

ग्वालियर में माफिया बेलगाम: चंबल नदी और सोनचिरैया अभ्यारण की 5 करोड़ से ज्यादा की वन संपदा बेची, उड़नदस्ते की जांच में हुआ खुलासा

एक-दूसरे पर निशाना साध रहीं पार्टियां: ग्वालियर चंबल अंचल में हो रही अवैध उत्खनन को लेकर वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक विश्राम सागर शर्मा का कहना है कि "यह बात सही है कि ग्वालियर चंबल अंचल में माफिया लगातार हावी हैं, लेकिन वन विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई में इन्हें कई बार रोकने का प्रयास किया है और अभी भी माफिया पर कार्रवाई की जा रही है." वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी का कहना है कि "देशभर में शिवराज सरकार के द्वारा माफियाओं पर लगातार कार्रवाई की जा रही है, कमलनाथ सरकार में माफिया खुलेआम घूमने लगे थे जिन पर अब फिर से शिवराज सरकार लगाम लगाने पर लगी हुई है." वहीं कांग्रेस का मानें तो "पिछले 15 साल से प्रदेश में माफिया लगातार हावी है, ग्वालियर चंबल अंचल माफिया सरकार और सरकार के मंत्रियों से गठजोड़ करके अपनी चांदी काट रहे हैं. यही कारण है कि सरकार सिर्फ बयानों पर माफियाओं को रोकने का पारा करती है, लेकिन असल में यह सरकार माफिया को संरक्षण दे रही है."

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा अवैध रेत का उत्खनन माफियाओं के द्वारा किया जा रहा है, सबसे पहले मुरैना और भिंड जिले से गुजरी चंबल नदी में इन माफियाओं के द्वारा अवैध रेत का उत्खनन किया जाता है. माफियाओं को रोकने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन ने पूरी ताकत लगा दी, लेकिन नतीजा पूरी तरह फेल रहा. मुरैना और भिंड जिले में माफियाओं के द्वारा चंबल नदी से अवैध रेत का जमकर अवैध उत्खनन होता है, सरकार ने कई बार इसे रोकने के दावे किए लेकिन रेत माफियाओं को कोई नहीं रोक पाया. ग्वालियर की बात की जाए तो यहां सरकार की कई दिग्गज मंत्री रहते हैं, लेकिन फिर भी यहां माफियाओं का बोलबाला है. जिले के डबरा, पछोर, भितरवार ऐसे कई इलाके हैं, जहां यह माफिया सिंध नदी से रेत और जंगल से अवैध पत्थर का कारोबार धड़ल्ले से करते हैं लेकिन यहां भी आज तक सरकार भी इन माफियाओं को रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.

ग्वालियर चंबल में रेत माफिया एक्टिव

चंबल में ऐसे शुरू हुआ अवैध उत्खनन का खेल: राष्ट्रीय चंबल डॉल्फिन घड़ियाल सेंचुरी केंद्र सरकार ने सन 1980 के दशक में वाइल्ड लाइफ के सहयोग से चालू की थी, इसका मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती प्रजाति के जलीय जीवो का पुनर्वास करना था. 3350 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली राष्ट्रीय अभ्यारण प्रदेश में पहली नंबर व देश विदेश में सबसे बड़ी सेंचुरी के रूप में जानी जाती है. चंबल सेंचुरी घड़ियाल और विशेष प्रजाति की कछुआ पालन में दुनिया की सबसे बड़ी सेंचुरी बन गई, जहां विश्व के सभी देशों में मात्र 1500 घरियाल है, उनसे कहीं ज्यादा अकेले चंबल नदी में पाए जाते हैं. घड़ियाल और अन्य जलीय जीव चंबल नदी के किनारे रेत में अंडे देते हैं और रेत माफिया 435 किलोमीटर लंबी समूची चंबल सेंचुरी में हावी है. रेत उत्खनन के दौरान जलीय जीवो के अंडे बहुत आग संख्या में नष्ट हो जाते हैं, इसलिए जलीय जीवों की सुरक्षा को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के द्वारा चंबल सेंचुरी से रेत के उत्खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. तभी से अवैध रेत की खूनी खेल की शुरुआत हो गई और पुलिस व प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद खूनी खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

चंबल नदी का सीना छलनी कर रहे माफिया: चंबल सेंचुरी में सिर्फ एक गांव नहीं है जहां से रेत का उत्खनन नहीं किया जा रहा है, मुरैना के सभी तहसीलों से रेत का अवैध उत्खनन दोनों हाथ खुलकर किया जा रहा है. वहीं भिंड जिले के एक दर्जन से ऐसे स्थान हैं, जहां पर माफिया लगातार रेत का बड़ा कारोबार करने में लगे हुए हैं. यह भी बताया जाता है कि कई बड़े राजनेता भी इसमें लिप्त हैं, जिनके सहयोग से माफिया फल फूल रहे हैं. मुरैना और भिंड में रेत उत्खनन के इस काम में लगभग 50000 से अधिक लोग और 2-3 हजार से अधिक ट्रैक्टर, ट्रक के द्वारा हर रोज रेत का अवैध उत्खनन शहर और शहर के आसपास सहित चंबल से लगे उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में खपाया जाता है. रेत के इस कारोबार में माफियाओं द्वारा करोड़ों रुपए की काली कमाई इस अवैध परिवहन से होती है, लंबे समय से इस रेत उत्खनन और पुलिस पर हमले कार्रवाई को लेकर विभिन्न दलों के राजनीतिक लोग एक-दूसरे पर कीचड़ डालते हुए अपने दामन को बेदाग बताने का दिखावा कर रहे हैं पर हकीकत कुछ और ही है. सभी लोग किसी न किसी तरीके से इन माफिया को संरक्षण दे रहे हैं और जब इन माफिया पर कोई कार्रवाई होती है तो यह लोग आंदोलन और प्रदर्शन से पीछे नहीं हटते. इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिनके स्वयं के ऊपर ही अवैध रेत को लेकर कई मामले दर्ज हैं.

Naxalism in MP: मध्य प्रदेश के 3 जिलों में नक्सल गतिविधियां बढ़ने से सरकार चिंतित, नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने को सरकार ला रही है समर्पण नीति

बड़े राजनेताओं के द्वारा माफियाओं को दिया जाता है संरक्षण: ग्वालियर चंबल अंचल में हो रही अवैध उत्खनन को रोकने के लिए सरकार के द्वारा यहां कोई बड़ा काम नहीं है, अगर सरकार चाहे तो एक दिन के अंदर ग्वालियर चंबल अंचल का अवैध उत्खनन बंद हो सकता है लेकिन अंदर ही अंदर सरकार से लेकर कई राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता इसमें लिप्त है. बताया जाता है अंदर ही अंदर इन माफियाओं को संरक्षण देते हैं और मोटा पैसा कमाते हैं, मुरैना और भिंड में कई ऐसे बड़े राजनेता हैं, जिन पर माफियाओं को संरक्षण देने के आरोप भी लग चुके हैं. ऐसा ही कुछ ग्वालियर में भी देखने को मिलता है, यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल में यह माफिया लगातार सक्रिय है और सरकार को लगातार चुनौती देते हुए नजर आते हैं.

माफियाओं पर नजर डालने का अंजाम सिर्फ मौत: ग्वालियर चंबल अंचल में इन माफियाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने कई बार प्रयास भी किया, लेकिन आज तक ग्वालियर चंबल अंचल में अवैध उत्खनन करने वाले यह माफिया किसी पर नहीं रुके हैं और जिसने भी इन माफियाओं को रोकने का प्रयास किया उसे सिर्फ मौत मिली है. ग्वालियर चंबल अंचल के एक दर्जन से अधिक ऐसे पुलिस अधिकारी है, जिन्होंने इन माफियाओं को रोकने का प्रयास किया लेकिन बदले में इन माफियाओं ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया. यही कारण है कि अब पुलिस प्रशासन के साथ-साथ अलग-अलग विभाग के अधिकारी भी माफियाओं के सामने जाने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि इन माफियाओं को सरकार से लेकर कई बड़े राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है.

चम्बल के मुरैना जिले में अवैध उत्खनन से जुड़े कुछ प्रमुख घटनाक्रम
- 8 मार्च 2012 को खनन माफियाओं द्वारा मुरैना जिले के बामौर थाने में पदस्थ आईपीएस नरेंद्र कुमार की ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलकर हत्या कर दी.
- 31 जनवरी 2012 को खनिज निरीक्षक राजकुमार बराठे से अवैध पत्थरों से भरी 4 ट्रैक्टर ट्रॉलिओं को पुलिस कंट्रोल रूम के पास भाजपा के वरिष्ठ नेता और जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हमीर सिंह प्लेट अपने साथियों के साथ बलपूर्वक छुड़ा ले गए थे.
- 10 मई 2012 को मुरैना जिले में कार्रवाई करने पहुंचे तत्कालीन थाना प्रभारी जितेंद्र राठौर पर रेत माफियाओं ने बंदूक से हमला किया और रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को चुरा ले गए.
- 29 जुलाई 2012 को मुरैना जिले में रेत माफियाओं ने हमला किया था, जिसमें 2 आरक्षक बुरी तरह घायल हुए.
- 28 दिसंबर 2012 को रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली को जप्त कर जिले के सराय छोला थाने ले जाया गया, रेत माफियाओं ने सैकड़ों की तादाद में एकत्रित होकर थाने में वाहनों और गस्ती गाड़ी को आग लगा दी.
- 31 मार्च 2014 मुरैना में प्लाटून कमांडर और सिपाहियों को गोली मारी, जिसमें वह घायल हो गए.
- 5 अप्रैल 2015 को मुरैना के नूराबाद थाने में तैनात पुलिस आरक्षक धर्मेंद्र सिंह चौहान की डंपर से कुचलकर हत्या कर दी.
- 30 जनवरी 2015 को अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर को पकड़ने गई वन विभाग की टीम पर फायरिंग की, जिसमें एक दर्जन से अधिक आरक्षक घायल हुए.
- भिंड जिले के फूफ थाने में माफियाओं ने ताबड़तोड़ पुलिस पर गोलियां बरसाईं, जिसमें कई आरक्षक घायल हुए.
- इसके अलावा ग्वालियर में साल 2022 में वन विभाग की टीम पर माफियाओं ने दो बार हमला किया है.

ग्वालियर में माफिया बेलगाम: चंबल नदी और सोनचिरैया अभ्यारण की 5 करोड़ से ज्यादा की वन संपदा बेची, उड़नदस्ते की जांच में हुआ खुलासा

एक-दूसरे पर निशाना साध रहीं पार्टियां: ग्वालियर चंबल अंचल में हो रही अवैध उत्खनन को लेकर वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक विश्राम सागर शर्मा का कहना है कि "यह बात सही है कि ग्वालियर चंबल अंचल में माफिया लगातार हावी हैं, लेकिन वन विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई में इन्हें कई बार रोकने का प्रयास किया है और अभी भी माफिया पर कार्रवाई की जा रही है." वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी का कहना है कि "देशभर में शिवराज सरकार के द्वारा माफियाओं पर लगातार कार्रवाई की जा रही है, कमलनाथ सरकार में माफिया खुलेआम घूमने लगे थे जिन पर अब फिर से शिवराज सरकार लगाम लगाने पर लगी हुई है." वहीं कांग्रेस का मानें तो "पिछले 15 साल से प्रदेश में माफिया लगातार हावी है, ग्वालियर चंबल अंचल माफिया सरकार और सरकार के मंत्रियों से गठजोड़ करके अपनी चांदी काट रहे हैं. यही कारण है कि सरकार सिर्फ बयानों पर माफियाओं को रोकने का पारा करती है, लेकिन असल में यह सरकार माफिया को संरक्षण दे रही है."

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