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MP High Court Instructions: त्योहारों पर मिलावट, हाईकोर्ट सख्त, दूध से बने उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियों से सैंपल लेने और जांच के दिए निर्देश

त्योहारों को देखते हुए दूध व उससे बने उत्पादों में हो रही मिलावट पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. ग्वालियर बेंच ने दूध और दूध से जुड़े उत्पाद बनाने वाली कंपनियों,फैक्ट्रियों से सैंपल लेने और उसकी जांच करने के निर्देश दिए हैं. खाद्य सुरक्षा विभाग भी सैंपल लिए जाने का दावा कर रहा है, हालांकि विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि जबलपुर में होली के दौरान खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आज तक नहीं आई है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमपी सरकार मिलावटखोरों पर कार्रवाई लेकर कितनी सजग है. (mp high court) (mp high court instructions milk products) (milk products sample testing in jabalpur)

mp high court instructions milk products
त्यौहारों पर मिलावट को लेकर एमपी हाईकोर्ट सख्त
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Published : Oct 14, 2022, 5:18 PM IST

ग्वालियर/जबलपुर। त्योहारों को देखते हुए दूध व उससे बने उत्पादों में हो रही मिलावट पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक बार फिर से चिंता जताई है. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने अतिरिक्त महाधिवक्ता डाॅ. एमपीएस रघुवंशी को निर्देश दिया कि वे दूध व दूध से बने उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की फैक्ट्रियों में जाकर सैंपल लें और उसकी जांच कराएं. अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि मिलावटखोरी के मामले में प्रदेश सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है. (mp high court)

त्यौहारों पर मिलावट को लेकर एमपी हाईकोर्ट सख्त

सक्रिय हुआ खाद्य सुरक्षा विभाग:दीवाली नजदीक है ऐसे में एक बार फिर खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय हो गया है. जबलपुर जिले में लगातार खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी ताबड़तोड़ कार्रवाई का दावा कर रहे हैं. खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी पंकज श्रीवास्तव के मुताबिक मावा बाजार और मिठाई की दुकानों से सैंपल कलेक्ट किया जा रहा है.

शासन की रिपोर्ट दिखावटी: हाईकोर्ट के आदेश का सही ढंग से पालन नहीं होने पर एडवोकेट उमेश बौहरे ने अवमानना याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता उमेश बौहरे ने शासन की रिपोर्ट को दिखावटी बताया और आरोप लगाया कि पूर्व में जहां 10 हजार लीटर मिलावटी दूध बनता था. वहीं अब 20 हजार लीटर मिलावटी दूध बनाया जा रहा है. चिंता वाली बात ये है कि ग्वालियर-चंबल अंचल से ही दूध, मावा सहित अन्य उत्पाद देश भर में भेजे जाते हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जांच के निर्देश दिए हैं. चंबल अंचल में घी बनाने वाली नोवा और पारस फैक्ट्री की जांच के आदेश दिए है. (mp high court instructions milk products)

अब तक नही आई होली पर लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट: एमपी हाईकोर्ट ने फैक्ट्रियों से सैंपल लेने और उसकी जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन जबलपुर में होली के दौरान खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए सैंपल की रिपोर्ट आज तक नहीं आई. जबलपुर में साल 2022 में जनवरी से लेकर अब तक खाद्य पदार्थों के 486 सैंपल लिए गए हैं. जिनमें से अब तक करीब 350 सैंपल की ही रिपोर्ट आ पाई है. तकरीबन 25 प्रतिशत रिपोर्ट अभी भी पेंडिंग है. वहीं इससे पूर्व में हुई सुनवाई में मुरैना कलेक्टर केबी कार्तिकेयन ने बताया था कि वर्ष 2014 से 2020 तक लगभग 200 सैंपल लिए जाते थे, जबकि बीते ढाई वर्षों में सैंपलों की संख्या बढ़कर 900 पहुंच गई है. (milk products sample testing in jabalpur)

प्रदेश में सैंपल जांच की मात्र एक लैब: खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि जबलपुर से कलेक्ट किए गए सैंपल को भोपाल की लैब में भेजा जाता है. वहां से रिपोर्ट आने में कम से कम 20 दिन और ज्यादा से ज्यादा दो से ढाई महीने लग जाते हैं. ऐसे में कार्रवाई प्रभावित होती है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच करने के लिए एकमात्र लैब भोपाल में है. कमलनाथ सरकार के दौरान जबलपुर और ग्वालियर में भी एक-एक लैब स्थापित करने की घोषणा की गई थी. इस घोषणा के तहत ग्वालियर जबलपुर में लैब बनकर तैयार भी हो गई है लेकिन आज तक उनमें काम शुरू नहीं हो पाया, जिसका नतीजा यह है कि आज भी पूरे प्रदेश के सैंपल भोपाल जाते हैं, जिससे रिपोर्ट देर से आती है. (milk products sample testing)

Fake Milk Factory Bhind: मिलावट माफिया पर छापा, भिंड में मिलावटी मिठाई फैक्ट्री का भंडाफोड़, धड़ल्ले तैयार होता था नकली दूध

जानें कानून क्या कहता है: खाद्य एवं पेय वस्तुओं के बड़े पैमाने पर हो रही मिलावट की वारदातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 पारित किया, जो भारत में 1 जून 1955 से प्रभावी हुआ. इस अधिनियम द्वारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एवं नुकसान पहुंचाने खाद्य तथा पेय पदार्थों के क्रय-विक्रय पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई हैं. इस तरह के कृत्य को भारतीय दण्ड विधान में अपराध माना गया है.

अगर कोई व्यक्ति द्वारा निम्न कृत्य किए जा रहे हैं वो भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 272 के अंतर्गत दोषी होगा.
1. कोई भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में कोई हानिकारक या नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का अल्प मात्रा में मिलाएगा जिससे उसको खाने या पीने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान होने या हानि पहुंचाने की संभावना हो.
2. मिलावट, खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ में की गई हो जिससे वह खाद्य एवं पेय पदार्थ हानिकारक बन जाए और उसे बेचने बाजार में बेचने का उद्देश्य बना रहा हो.

दण्ड का प्रावधान: अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को बेचता या विक्रय करता है जिससे लोगों के स्वास्थ्य को हानि या नुकसान पहुंचा हो तब वह भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 273 के अंतर्गत दंडनीय होगा. धारा 272 एवं धारा 273 के अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनो प्रकार के होते है.जमानतीय और अजामनतीय दोनों प्रकार के होते हैं. अधिकांश राज्यों में दोनों धारा में 6- 6 माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता हैं. वहीं मध्यप्रदेश में मिलावट के कुछ मामलों में आजीवन कारावास का प्रावधान भी है.

ग्वालियर/जबलपुर। त्योहारों को देखते हुए दूध व उससे बने उत्पादों में हो रही मिलावट पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक बार फिर से चिंता जताई है. अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने अतिरिक्त महाधिवक्ता डाॅ. एमपीएस रघुवंशी को निर्देश दिया कि वे दूध व दूध से बने उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की फैक्ट्रियों में जाकर सैंपल लें और उसकी जांच कराएं. अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि मिलावटखोरी के मामले में प्रदेश सरकार कड़ी कार्रवाई कर रही है. (mp high court)

त्यौहारों पर मिलावट को लेकर एमपी हाईकोर्ट सख्त

सक्रिय हुआ खाद्य सुरक्षा विभाग:दीवाली नजदीक है ऐसे में एक बार फिर खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय हो गया है. जबलपुर जिले में लगातार खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी ताबड़तोड़ कार्रवाई का दावा कर रहे हैं. खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी पंकज श्रीवास्तव के मुताबिक मावा बाजार और मिठाई की दुकानों से सैंपल कलेक्ट किया जा रहा है.

शासन की रिपोर्ट दिखावटी: हाईकोर्ट के आदेश का सही ढंग से पालन नहीं होने पर एडवोकेट उमेश बौहरे ने अवमानना याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता उमेश बौहरे ने शासन की रिपोर्ट को दिखावटी बताया और आरोप लगाया कि पूर्व में जहां 10 हजार लीटर मिलावटी दूध बनता था. वहीं अब 20 हजार लीटर मिलावटी दूध बनाया जा रहा है. चिंता वाली बात ये है कि ग्वालियर-चंबल अंचल से ही दूध, मावा सहित अन्य उत्पाद देश भर में भेजे जाते हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जांच के निर्देश दिए हैं. चंबल अंचल में घी बनाने वाली नोवा और पारस फैक्ट्री की जांच के आदेश दिए है. (mp high court instructions milk products)

अब तक नही आई होली पर लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट: एमपी हाईकोर्ट ने फैक्ट्रियों से सैंपल लेने और उसकी जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन जबलपुर में होली के दौरान खाद्य पदार्थो में मिलावट की जांच के लिए सैंपल की रिपोर्ट आज तक नहीं आई. जबलपुर में साल 2022 में जनवरी से लेकर अब तक खाद्य पदार्थों के 486 सैंपल लिए गए हैं. जिनमें से अब तक करीब 350 सैंपल की ही रिपोर्ट आ पाई है. तकरीबन 25 प्रतिशत रिपोर्ट अभी भी पेंडिंग है. वहीं इससे पूर्व में हुई सुनवाई में मुरैना कलेक्टर केबी कार्तिकेयन ने बताया था कि वर्ष 2014 से 2020 तक लगभग 200 सैंपल लिए जाते थे, जबकि बीते ढाई वर्षों में सैंपलों की संख्या बढ़कर 900 पहुंच गई है. (milk products sample testing in jabalpur)

प्रदेश में सैंपल जांच की मात्र एक लैब: खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि जबलपुर से कलेक्ट किए गए सैंपल को भोपाल की लैब में भेजा जाता है. वहां से रिपोर्ट आने में कम से कम 20 दिन और ज्यादा से ज्यादा दो से ढाई महीने लग जाते हैं. ऐसे में कार्रवाई प्रभावित होती है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में खाद्य पदार्थों के सैंपल की जांच करने के लिए एकमात्र लैब भोपाल में है. कमलनाथ सरकार के दौरान जबलपुर और ग्वालियर में भी एक-एक लैब स्थापित करने की घोषणा की गई थी. इस घोषणा के तहत ग्वालियर जबलपुर में लैब बनकर तैयार भी हो गई है लेकिन आज तक उनमें काम शुरू नहीं हो पाया, जिसका नतीजा यह है कि आज भी पूरे प्रदेश के सैंपल भोपाल जाते हैं, जिससे रिपोर्ट देर से आती है. (milk products sample testing)

Fake Milk Factory Bhind: मिलावट माफिया पर छापा, भिंड में मिलावटी मिठाई फैक्ट्री का भंडाफोड़, धड़ल्ले तैयार होता था नकली दूध

जानें कानून क्या कहता है: खाद्य एवं पेय वस्तुओं के बड़े पैमाने पर हो रही मिलावट की वारदातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 पारित किया, जो भारत में 1 जून 1955 से प्रभावी हुआ. इस अधिनियम द्वारा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एवं नुकसान पहुंचाने खाद्य तथा पेय पदार्थों के क्रय-विक्रय पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई हैं. इस तरह के कृत्य को भारतीय दण्ड विधान में अपराध माना गया है.

अगर कोई व्यक्ति द्वारा निम्न कृत्य किए जा रहे हैं वो भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 272 के अंतर्गत दोषी होगा.
1. कोई भी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ में कोई हानिकारक या नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का अल्प मात्रा में मिलाएगा जिससे उसको खाने या पीने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान होने या हानि पहुंचाने की संभावना हो.
2. मिलावट, खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ में की गई हो जिससे वह खाद्य एवं पेय पदार्थ हानिकारक बन जाए और उसे बेचने बाजार में बेचने का उद्देश्य बना रहा हो.

दण्ड का प्रावधान: अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ को बेचता या विक्रय करता है जिससे लोगों के स्वास्थ्य को हानि या नुकसान पहुंचा हो तब वह भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 273 के अंतर्गत दंडनीय होगा. धारा 272 एवं धारा 273 के अपराध संज्ञेय एवं असंज्ञेय दोनो प्रकार के होते है.जमानतीय और अजामनतीय दोनों प्रकार के होते हैं. अधिकांश राज्यों में दोनों धारा में 6- 6 माह की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता हैं. वहीं मध्यप्रदेश में मिलावट के कुछ मामलों में आजीवन कारावास का प्रावधान भी है.

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