ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल संभाग के 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्त किए जाने के बाद अब यह मामला फिर से हाई कोर्ट पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है. दरअसल अधिवक्ता उमेश बोहरे ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि ग्वालियर चंबल संभाग में नर्सिंग काउंसिल के दिशा निर्देशों के विपरीत कई कालेज बिना शर्तों को पूरा किए चल रहे हैं.
70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म: याचिका पर हाईकोर्ट ने जीवाजी विश्वविद्यालय और नर्सिंग काउंसिल को निर्देश दिए थे, कि इन कॉलेजों की जांच की जाए. जांच के बाद नर्सिंग काउंसिल ने पाया था कि, करीब 70 कॉलेज बिना नर्सिंग काउंसिल की शर्तों को पूरा किए संचालित किए जा रहे हैं. इस कारण इन 70 कॉलेजों की मान्यता खत्म कर दी गई, इसके बाद नर्सिंग कॉलेज के संचालक हाई कोर्ट पहुंचे हैं. उनका कहना है कि यदि मान्यता निरस्त हुई, तो नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों का क्या होगा.
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निरीक्षण में मिली खामियां: नर्सिंग कॉलेजों की तरफ से बताया गया कि मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने विधि विरुद्ध तरीके से 2021-22 की मान्यता को खत्म किया है. मान्यता निरस्त करने का आदेश रजिस्ट्रार द्वारा जारी किया गया, जबकि यह अधिकार केवल काउंसिल के पास है. वहीं काउंसिल की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट विवेक खेड़कर ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर इन कॉलेजों का निरीक्षण कराया गया था. निरीक्षण में खामियां मिली थी, जिनके आधार पर पहले नोटिस जारी किया और बाद में मान्यता निरस्त कर दी गई. जिन कॉलेजों की मान्यता निरस्त की गई है, उनमें ग्वालियर के अलावा भिंड, मुरैना, श्योपुर और दतिया के कॉलेज शामिल हैं.