ग्वालियर। दतिया जिले के गोदन थाना क्षेत्र से 16 साल पहले हुए एक युवक के अपरहण के मामले में आरोपी बनाए गए 5 लोगों को अब हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है, जबकि सेशन कोर्ट ने इन सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था, कोर्ट ने सभी दोषमुक्त हुए लोगों को 3-3 लाख रुपए का मुआवजा 1 महीने के भीतर चुकाने के निर्देश भी दिए हैं, शासन यह राशि विवेचना अधिकारी और फरियादी बने मनोहर और अपहर्ता रामप्रकाश से वसूलने के आदेश भी दिए हैं.
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हाई कोर्ट ने इस मामले में गोदन के तत्कालीन थाना प्रभारी रहे राघवेंद्र सिंह के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा कि अपहरण के मामले में ना तो उन्होंने गंभीरता से विवेचना की ना ही मुल्जिमों की फरियादी से शिनाख्त ही कराई, पुलिस की पूरी कहानी में तमाम झोल हैं, जिन 5 लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया था, उनके खिलाफ अपहरण के पुख्ता प्रमाण नहीं है.
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अपहर्ता रामप्रकाश ने फिरौती के मामले में 10 लाख रुपए डकैतों को चुकाने का दावा किया था, जबकि रामप्रकाश के भाई ने 1 लाख और थाना प्रभारी गोदन राघवेंद्र सिंह ने 1 लाख अपहरण करने वालों को चुकाने का दावा किया था, हाईकोर्ट में पुलिस यह भी साबित नहीं कर सकी, कि किस व्यक्ति के सामने फिरौती की रकम दी गई है.
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रामप्रकाश ने दावा किया था कि वह खुद ही भागकर पुलिस के पास पहुंचा था, जबकि पुलिस का दावा था कि उससे भगुवापुरा के जंगल से मुक्त कराया गया है, पुलिस ने रामप्रकाश को रखे जाने वाले स्थान का मौका नक्शा भी नहीं बनवाया था, रामप्रकाश को 9 अगस्त 2005 को भिटारी गांव के जंगल से उस समय अगवा किया गया था, जब वह अपने मवेशियों को चराने गया हुआ था, उसे 13 दिन तक रतनगढ़ के जंगल में रखा गया था. इस मामले में पुलिस ने सुरेश ढीमर राजेश बरार कैलाश ढीमर और रामचरण के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया था.