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Gwalior के Birla Hospital की धोखाधड़ी! इंजेक्शन लगाए नहीं, बिल में जोड़ दिए, डायरेक्टर समेत 6 के खिलाफ केस दर्ज - बिड़ला अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज

कोरोना संक्रमित (Fraud In The Name Of Corona Treatment) लोगों के इलाज के नाम पर प्राइवेट अस्पतालों ने खुलेआम लूटपाट (Fraud Of Birla Hospital) की. उन दिनों के काले चिट्ठे अब सामने आ रहे हैं. बिड़ला हॉस्पिटल ग्वालियर के डायरेक्टर एसएस देसाई, GM गोविन्द देवड़ा सहित 6 लोगों के खिलाफ इलाज के नाम पर धोखाधड़ी और लूट की FIR दर्ज की गई है. मामला उपभोक्ता फोरम के जज अरुण तोमर की पत्नी सरला तोमर की मौत से जुड़ा है.

fraud of birla hospital
Gwalior के Birla Hospital की धोखाधड़ी!
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Published : Sep 20, 2021, 5:12 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर के प्रतिष्ठित बिड़ला हॉस्पिटल (Fraud Of Birla Hospital )के डायरेक्टर जीएम और एजुकेटिव सहित छह लोगों पर धोखाधड़ी और लूट का मामला दर्ज हुआ है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जज की पत्नी की मौत हो गई थी. उनका आरोप है कि बिल में मरीज को जितने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने बताए गए हैं वो लगे ही नहीं.

Fraud Of Birla Hospital: बिड़ला अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज

उपभोक्ता फोरम में जज अरुण तोमर (Judge Arun Tomar) की पत्नी सरला तोमर को कोरोना संक्रमण हो गया था. 19 अप्रैल को उन्हें जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था. लेकिन इलाज के दौरान जज अरुण तोमर की पत्नी की मौत हो गई. मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें 3 लाख 36 हजार का बिल थमा दिया. जिसमें अस्पताल ने 25000 का डिस्काउंट दिया. अरुण तोमर ने 3 लाख से अधिक रुपए जमा कर दिए .

Fraud Of Birla Hospital: लोग मर रहे थे, अस्पताल चांदी कूट रहा था !

घटना के कुछ दिन बाद जब जज अरुण तोमर (Judge Arun Tomar) ने गाड़ी में से अस्पताल से मिला पत्नी का सामान निकाला तो वे चौंक गए. उनमें पत्नी के गहने नहीं थे. इस बारे में अस्पताल प्रबंधन से बात की जब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर इस मामले में 15 दिन बाद एफ आई आर दर्ज (FIR Against Birla Hospital) की गई. इसके बाद जब जज अरुण तोमर ने अस्पताल के सारे बिल निकलवाकर उनका मिलान ट्रीटमेंट शीट से किया तो अस्पताल के फर्जीवाड़े (Fraud Of Birla Hospital)का पता चला. अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी बिल बनाकर उनसे 74 हजार रुपए की धोखाधड़ी की थी. पता चलते ही उन्होंने थाने में शिकायत की . जांच के बाद बिरला अस्पताल के डायरेक्टर एस एस देसाई ,जी एम गोविंद देवड़ा, सीनियर एजुकेटिव वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी वेद प्रकाश पांडे सहित तीन अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया.

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Fraud Of Birla Hospital: डायरेक्टर, जीएम समेत 6 के खिलाफ केस दर्ज

घटना का खुलासा तब हुआ जब जज अरुण तोमर ने अस्पताल से मिले बिल,ट्रीटमेंट शीट का मिलान किया. उसमें 6 रैमडेसीवीर इंजेक्शन लगाने बताए गए थे. प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 2450 रुपए बताई गई. जबकि मरीज को 6 इंजेक्शन लगे ही नहीं. अस्पताल के मेडिकल स्टोर से जो दवाएं मरीज को देना बताया गया, उसका ट्रीटमेंट शीट में कहीं जिक्र तक नहीं है . अरुण तोमर ने ऐसी दवाओं और इंजेक्शन का डाटा इकट्ठा किया. तो इनकी कीमत लगभग 74 हजार रुपए से ज्यादा निकली.

ग्वालियर। ग्वालियर के प्रतिष्ठित बिड़ला हॉस्पिटल (Fraud Of Birla Hospital )के डायरेक्टर जीएम और एजुकेटिव सहित छह लोगों पर धोखाधड़ी और लूट का मामला दर्ज हुआ है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जज की पत्नी की मौत हो गई थी. उनका आरोप है कि बिल में मरीज को जितने रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने बताए गए हैं वो लगे ही नहीं.

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उपभोक्ता फोरम में जज अरुण तोमर (Judge Arun Tomar) की पत्नी सरला तोमर को कोरोना संक्रमण हो गया था. 19 अप्रैल को उन्हें जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था. लेकिन इलाज के दौरान जज अरुण तोमर की पत्नी की मौत हो गई. मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें 3 लाख 36 हजार का बिल थमा दिया. जिसमें अस्पताल ने 25000 का डिस्काउंट दिया. अरुण तोमर ने 3 लाख से अधिक रुपए जमा कर दिए .

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घटना के कुछ दिन बाद जब जज अरुण तोमर (Judge Arun Tomar) ने गाड़ी में से अस्पताल से मिला पत्नी का सामान निकाला तो वे चौंक गए. उनमें पत्नी के गहने नहीं थे. इस बारे में अस्पताल प्रबंधन से बात की जब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर इस मामले में 15 दिन बाद एफ आई आर दर्ज (FIR Against Birla Hospital) की गई. इसके बाद जब जज अरुण तोमर ने अस्पताल के सारे बिल निकलवाकर उनका मिलान ट्रीटमेंट शीट से किया तो अस्पताल के फर्जीवाड़े (Fraud Of Birla Hospital)का पता चला. अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी बिल बनाकर उनसे 74 हजार रुपए की धोखाधड़ी की थी. पता चलते ही उन्होंने थाने में शिकायत की . जांच के बाद बिरला अस्पताल के डायरेक्टर एस एस देसाई ,जी एम गोविंद देवड़ा, सीनियर एजुकेटिव वरिष्ठ कार्यपालक अधिकारी वेद प्रकाश पांडे सहित तीन अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया.

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