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ग्वालियर: ठेकेदार से रिश्वत मांगने वाले इंजीनियर को कोर्ट ने सुनाई 4 साल की सजा

बिजली कंपनी के संभागीय कार्यपालन यंत्री कार्यालय मुरार में पदस्थ रहे उपयंत्री रविंद्र मोदी को रिश्वत मांगने पर 4 साल की जेल, ₹12 हजार का जुर्माना भी लगाया गया.

जिला न्यायालय ग्वालियर
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Published : Apr 10, 2019, 10:28 PM IST

ग्वालियर। बिजली कंपनी के संभागीय कार्यपालन यंत्री कार्यालय मुरार में पदस्थ रहे उपयंत्री रविंद्र मोदी को न्यायालय ने सजा सुनाने के बाद जेल भेज दिया है. ट्रांसफार्मर लगाने की अनुमति देने के एवज में रिश्वत मांगने वाले बिजली कंपनी के इंजीनियर को भ्रष्टाचार निरोधी कोर्ट ने 4 साल की सजा से दंडित किया है. साथ ही इंजीनियर पर ₹12 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.

दरअसल, मुरैना के रहने वाले ठेकेदार अनिल शर्मा ने 21 अगस्त 2014 को लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह ट्रांसफार्मर लगाने का काम करते हैं. उन्हें दतिया में तीन ट्रांसफार्मर लगाने थे इसके लिए अनुमति देने में आनाकानी की जा रही थी. इंजीनियर रविंद्र मोदी हर एक ट्रांसफार्मर लगाने के एवज में ₹8 हजार रिश्वत मांग रहे थे, इसलिए कुल दतिया में तीन ट्रांसफार्मर लगाने थे जिसके लिए उनसे ₹24 हजार मांगे गए थे. जिसकी पहली किश्त के रूप में ₹12 हजार रिश्वत लेते हुए रविंद्र मोदी को पकड़ा गया था.

जिला न्यायालय ग्वालियर

रविंद्र मोदी ने यह रिश्वत अपने हाथों में न लेते हुए कार्यालय के दूसरे कोने में रखे टेबल पर रखवाई थी. साथ ही इस समय कार्यालय में उनके अलावा कोई और व्यक्ति मौजूद नहीं था. लेकिन ठेकेदार और उनके बीच हुई बातचीत को वॉइस रिकॉर्डर में कैद कर लिया गया था. खास बात यह भी है कि शिकायतकर्ता अनिल शर्मा खुद पक्ष विरोधी हो गया था उसने न्यायालय में अपने बयानों का समर्थन नहीं किया. जिसके बाद न्यायालय ने उसे भी दोषी मानते हुए उसके खिलाफ संज्ञान लिया है. जिसकी अगली पेशी पर उसे नोटिस जारी किए जाएंगे.

ग्वालियर। बिजली कंपनी के संभागीय कार्यपालन यंत्री कार्यालय मुरार में पदस्थ रहे उपयंत्री रविंद्र मोदी को न्यायालय ने सजा सुनाने के बाद जेल भेज दिया है. ट्रांसफार्मर लगाने की अनुमति देने के एवज में रिश्वत मांगने वाले बिजली कंपनी के इंजीनियर को भ्रष्टाचार निरोधी कोर्ट ने 4 साल की सजा से दंडित किया है. साथ ही इंजीनियर पर ₹12 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.

दरअसल, मुरैना के रहने वाले ठेकेदार अनिल शर्मा ने 21 अगस्त 2014 को लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह ट्रांसफार्मर लगाने का काम करते हैं. उन्हें दतिया में तीन ट्रांसफार्मर लगाने थे इसके लिए अनुमति देने में आनाकानी की जा रही थी. इंजीनियर रविंद्र मोदी हर एक ट्रांसफार्मर लगाने के एवज में ₹8 हजार रिश्वत मांग रहे थे, इसलिए कुल दतिया में तीन ट्रांसफार्मर लगाने थे जिसके लिए उनसे ₹24 हजार मांगे गए थे. जिसकी पहली किश्त के रूप में ₹12 हजार रिश्वत लेते हुए रविंद्र मोदी को पकड़ा गया था.

जिला न्यायालय ग्वालियर

रविंद्र मोदी ने यह रिश्वत अपने हाथों में न लेते हुए कार्यालय के दूसरे कोने में रखे टेबल पर रखवाई थी. साथ ही इस समय कार्यालय में उनके अलावा कोई और व्यक्ति मौजूद नहीं था. लेकिन ठेकेदार और उनके बीच हुई बातचीत को वॉइस रिकॉर्डर में कैद कर लिया गया था. खास बात यह भी है कि शिकायतकर्ता अनिल शर्मा खुद पक्ष विरोधी हो गया था उसने न्यायालय में अपने बयानों का समर्थन नहीं किया. जिसके बाद न्यायालय ने उसे भी दोषी मानते हुए उसके खिलाफ संज्ञान लिया है. जिसकी अगली पेशी पर उसे नोटिस जारी किए जाएंगे.

Intro:ग्वालियर
ट्रांसफर ट्रांसफार्मर लगाने की अनुमति देने के एवज में रिश्वत मांगने वाले बिजली कंपनी के इंजीनियर को भ्रष्टाचार निरोधी कोर्ट ने 4 साल की सजा से दंडित किया है। उस पर ₹12000 का जुर्माना भी लगाया गया है।


Body:बिजली कंपनी के संभागीय कार्यपालन यंत्री कार्यालय मुरार में पदस्थ रहे उपयंत्री रविंद्र मोदी को न्यायालय ने सजा सुनाने के बाद जेल भेज दिया है। दरअसल मुरैना के रहने वाले ठेकेदार अनिल शर्मा ने 21 अगस्त 2014 को लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि वह ट्रांसफार्मर लगाने का काम करते हैं उन्हें दतिया में तीन ट्रांसफार्मर लगाने थे इसके लिए अनुमति देने में आनाकानी की जा रही थी। सब इंजीनियर रविंद्र मोदी हरेक ट्रांसफार्मर लगाने एवज में ₹8000 रिश्वत मांग रहे थे उन्हें दतिया में तीन ट्रांसफार्मर लगाने थे उनसे ₹24000 मांगे गए थे। पहली किस्त के रूप में ₹12000 रिश्वत लेते हुए रविंद्र मोदी को पकड़ा गया था। रविंद्र मोदी ने यह रिश्वत अपने हाथों में न लेते हुए कार्यालय के दूसरे कोने में रखे टेबल पर रखवाई थी। लेकिन ठेकेदार और उनके बीच हुई बातचीत को वॉइस रिकॉर्डर में कैद कर लिया गया था।


Conclusion:चूंकि जब सब इंजीनियर मोदी के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था तब कार्यालय में उनके अलावा कोई और व्यक्ति मौजूद नहीं था। खास बात यह भी है कि शिकायतकर्ता अनिल शर्मा खुद पक्ष विरोधी हो गया था उसने न्यायालय में अपने बयानों का समर्थन नहीं किया । न्यायालय ने उसे भी दोषी माना है और होस्टाइल होने पर उसके खिलाफ संज्ञान लिया है अगली पेशी पर उसे नोटिस जारी किए जाएंगे।
बाइट अरविंद श्रीवास्तव लोकायुक्त के अधिवक्ता जिला न्यायालय ग्वालियर
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