ग्वालियर। कोरोना संक्रमण (corona virus) की दूसरी लहर में दवा कंपनियों को भारी मुनाफा पहुंचाया हैं, लेकिन इसके बावजूद दवा कंपनियों में काम करने वाले सैंकड़ों कर्मचारियों की नौकरियों पर तलवार लटकी हुई हैं. पिछले डेढ़ महीने में ही दवा कंपनियों ने करीब 100 करोड़ रुपए का कारोबार किया है. आमतौर पर इसी अवधि में करीब 30 करोड़ रुपए का दवा कारोबार होता था. इस बार की कोरोना लहर ने चिकित्सकों के साथ ही निजी नर्सिंग होम, दवा कारोबारी सर्जिकल कारोबारी की चांदी कर दी है.
- दवा कारोबारी बने करोड़पति
पिछले साल जहां सर्जिकल सामान की बिक्री 65 फीसदी थी तो इस बार उसकी बिक्री घटकर 30 फीसदी रह गई है. दवा कंपनियों का बाजार पिछले साल जो 30-40 फीसदी के बीच रहा था वह बढ़कर इस बार 70 फीसदी तक पहुंच गया है. इसमें खास बात यह है कि मुंह मांगे दाम चुकाने के बावजूद कई जरूरी दवाईयां बाजार से गायब हैं.
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- ग्वालियर में 350 से ज्यादा छोटे-बड़े दवा कारोबारी
ग्वालियर में 350 से ज्यादा छोटे-बड़े दवा कारोबारी हैं. 1 महीने में यहां लगभग 30 करोड़ की दवाएं बिकती थी, लेकिन पिछले साल से सैनिटाइजर एवं मास्क का बाजार छाया रहा. अब पल्स ऑक्सीमीटर (pulse oximeter), ऑक्सीजन फ्लो मीटर (oxygen flow meter) और मास्क की बिक्री ज्यादा हो रही है. कोरोना काल में खांसी बुखार के अलावा विटामिन एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री सबसे ज्यादा हुई है, लेकिन भरपूर कारोबार के बावजूद दवा कंपनियों के प्रतिनिधि परेशान हैं. उनका कहना है कि ग्वालियर में कार्यरत 800 से ज्यादा दवा प्रतिनिधि अपनी नौकरी बचाने की कोशिश में जुटे हैं. कई लोगों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है जबकि करीब 200 से अधिक दवा प्रतिनिधियों पर नौकरी की तलवार लटक रही है.
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