ग्वालियर। जिला प्रशासन और डॉक्टरों की तकरार बढ़ती जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों ने शहर के सराकारी अस्पतालों की चेकिंग कर डॉक्टरों को जवाबी नोटिस जारी किया है. जिस पर शासकीय और निजी डॉक्टरों ने लामबंद होते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. डॉक्टरों ने तय किया था कि अब वह ना तो कलेक्टर, कमिश्नर को सर कहेंगे और ना ही अफसरों के घर इलाज के लिए जाएंगे.
दरअसल, पूरा मामला प्रशासनिक अधिकारियों और डॉक्टरों को बीच इस बात पर से छिड़ा हुआ हैं. डॉक्टरों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी अस्पतालों को चेक करने आते हैं और डॉक्टरों पर उनसे सर कहने का दवाब बनाते हैं. जिससे नाराज होकर सभी सरकारी अब आंदोलन की राह पकड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन निजी अस्पताल और नर्सिंग होम के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया. सीएमएचओ ने अस्पतालों और नर्सिंग होम की व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर आधा दर्जन स्थानों पर नोटिस चस्पा कर दिए हैं.
प्रशासन का कहना है कि स्वास्थ विभाग व नगर निगम की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के तहत चल रही है. डॉक्टरों को कोई दिक्कत है तो वह बैठ कर बात कर सकते हैं. संभागीय कमिश्नर का कहना है कि जनता की सेवा और सुविधा के लिए प्रशासन हर उपाय करेगा. डॉक्टर को किसी तरह से प्रताड़ित करने का सवाल ही नहीं होता है और रही बात सर कहने की तो यह हर डॉक्टर के विवेक पर निर्भर करता है.
डॉक्टर और प्रशासन विवाद पर बीजेपी ने साधा कमलनाथ सरकार पर निशाना
उधर डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच छिड़े विवाद पर ग्वालियर पहुंचे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा. राकेश सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार में अराजकता का माहौल है. सरकार को डॉक्टर से बात कर इसका हल निकालना चाहिए. लेकिन सरकार निरंकुशता से काम कर रही है.