ग्वालियर। पूरे देश को कोरोना फिर डराने लगा है. प्रदेश के कई जिलों में संक्रमण के नए मरीजों के मिलने से आशंका गहराती जा रही है. लोग सहमें हैं क्योंकि सेकंड वेव को देश के तकरीबन हर शख्स ने करीब से महसूस किया है. तबाही का मंजर अब तक लोगों के जेहन में ताजा है. कोरोना ने जिन्दगियों को ही नहीं लीला बल्कि लोगों के उद्योग धंधों को भी चौपट कर दिया. लेकिन फार्मा सेक्टर ने अपनी धमक बरकरार रखी. इसका एक अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले ग्वालियर में दूसरी लहर के दौरान महज डेढ़ महीने में ही लगभग 100 करोड़ रुपए की एलोपैथिक दवा की खपत हो गई.
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दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या ने रिकॉर्ड तोड़ दिया था. शहर में हर दिन इसका आंकड़ा लगातार बढ़ता गया. ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडिसीवियर से लेकर बुखार और वायरल इंफेक्शन की छोटी से छोटी दवा तक की डिमांड बढ़ गई. इस डिमांड ने दवा व्यवसायियों को अवसर प्रदान किया.
इसे इस इसका सबसे बड़ा फायदा दवा व्यापार में हुआ. डिमांड और उस डिमांड की आपूर्ति के बीच अंतर भी दिखा, दवाइयों की शॉर्टेज को भी शहर ने करीब से देखा. कालाबाजारी की खबरें भी न सिर्फ ग्वालियर से बल्कि प्रदेश के कई जिलों से सुनने को मिली.
और जिंदा रहा मार्केट
ड्रग ट्रेडर्स से बात की तो उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में डेढ़ महीने में 20 से 30 करोड़ रुपए की दवाओं का ही विक्रय हो पाता था लेकिन कोरोना काल में ये करीब 70-75 फीसदी की दर से बढ़ा. स्पष्ट है कि इस सेक्टर ने मार्केट को जिंदा रखा.
कोरोना की दूसरी लहर में 70 फीसदी का इजाफा
ड्रग डीलर्स पहली और दूसरी लहर के बीच का फर्क अपनी दवाओं की बिक्री में दिखे अंतर से स्पष्ट करते हैं. वो बताते हैं कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अंतर इसी बात से समझा जा सकता है साल 2020 जहां सर्जिकल सामान की व्यक्ति 65 फ़ीसदी तो वही दवाइयों की 35 फ़ीसदी हुई थी. लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर में दवाइयों का व्यापार बढ़कर 70 फ़ीसदी हो गया है.
Steroids खूब बिके
डीलर्स के मुताबिक दूसरी लहर में स्टेरॉयड की बिक्री भी खूब हुई. स्टेयरॉयड्स जिसे शरीर के लिए नुकसानदायक माना जाता है उसे जिन्दगी की जंग लड़ रहे लोगों ने धड़ल्ले से खरीदा. दूसरी लहर में इस तरह की टेबलेट और इंजेक्शन की जमकर बिक्री हुई. कहते हैं- 15 दिनों में ही स्टेरॉयड्स की बिक्री 100 गुना तक बढ़ गई थी. चार से पांच करोड़ रुपए के स्टेरॉइड्स बिके. जबकि पहले महीने भर में सेवक 25 लाख रुपए के ही स्टेरॉइड्स बिक पाते थे. लेकिन दूसरी लहर ने शहर में रिकॉर्ड तोड़ दिया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कोरोना संक्रमण काल में सबसे ज्यादा अगर कोई व्यापार में मुनाफा हुआ है तो वह फार्मा सेक्टर का.
लोगों ने घरों में दवा का किया था स्टॉक
अब तक दवा विक्रेता ही दवा स्टॉक करते आए हैं. लेकिन कोरोना काल ने थोड़ा से ट्रेंड बदला. आमलोगों ने घर में दवाओं का जमकर स्टॉक किया. खांसी, बुखार के अलावा विटामिन, एंटीबायोटिक, स्टेरॉयड दवा की खपत सबसे अधिक हुई तो स्टॉक भी खूब किया गया. पेरासिटामोल, मल्टीविटामिन,लिम्सी, जिंकोविट टेबलेट के साथ मेरोपैरोनेम इंजेक्शन,क्लोरोविन सायरप, टेबलेट इंजेक्शन मेडरॉल की काफी मांग रही. हालात ये रहे कि जेनरिक ब्रांड की दवाएं भी प्रिंट रेट पर ही बिकी.
साल 2020 में जब पहली लहर आई थी उस दौरान दुनिया के अमीरों का ऐलान हुआ और इसमें भारत में बाजी मारी फार्मास्युटिकल कंपनी सन फार्मा के प्रमुख दिलीप संघवी ने. इनकी संपत्ति में 17 प्रतिशत या 12,500 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ. ये बताने को काफी है कि फार्मा सेक्टर फायदे का सौदा ही साबित हुआ.