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कांग्रेस ने शुरू की उपचुनाव की तैयारियां, सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मजबूत उम्मीदवारों की तलाश

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Published : May 5, 2020, 8:18 PM IST

Updated : May 5, 2020, 8:36 PM IST

कांग्रेस ने प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. पूर्व सीएम कमलनाथ ने कुछ दिन पहले इस बात के संकेत भी दिए हैं. कमलनाथ ने कहा था कि कांग्रेस उपचुनाव के बाद फिर से सत्ता में वापसी करेगी. उनके इसी बयान से अंदाजा लगना शुरू हो गया है कि कांग्रेस ने अंदर ही अंदर उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. कांग्रेस का फोकस खास उन 6 पूर्व विधायकों पर भी है. जिन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्री पद दिया गया था.

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सिंधिया के खिलाफ टीम-24 की तलाश

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में जैसे ही कोरोना महामारी का संकटकाल हटेगा, तो सियासत का दौर शुरू होगा. चुनावी शंखनाद बजेगा और सियासी शतरंज पर फिर शह-मात का दौर शुरू होगा. प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां बीजेपी और कांग्रेस ने शुरू कर दी है. बीजेपी की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक पूर्व 22 विधायकों को उपचुनाव में टिकट मिलना तय नजर आ रहा है. लेकिन इन उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस किसे उतारेगी यह बड़ा सवाल है. ऐसे में कांग्रेस अभी से मजबूत प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है.

24 विधानसभा सीटों से से ज्यादा सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने से यहां कांग्रेस कमजोर हुई है. सवाल इस बात का है कि कांग्रेस सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के सामने किसे उतारे, ताकि उपचुनाव में जीत हासिल की जाए. हालांकि पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने तैयारियां शुरु कर दी है, ईटीवी भारत आपकों कुछ ऐसे चेहरे बताने जा रहा है जो विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से मैदान में आ सकते हैं.

पूर्व मंत्रियों के खिलाफ रहेगा कांग्रेस का फोकस

कांग्रेस ने अंदर ही अंदर उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश तेज कर दी है. पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उन पूर्व विधायकों के खिलाफ है, जिन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्रिपद नावाजा गया था. बावजूद इसके उन्होंने बगावत की. ऐसे में कांग्रेस इन सभी मंत्रियों के खिलाफ मजबूत चेहरा उतारने की तलाश में जुटी है. जबकि ग्वालियर-चंबल में भी कांग्रेस का जोर रहेगा.

प्रद्युमन सिंह तोमर

प्रद्युमन सिंह तोमर
प्रद्युमन सिंह तोमर

बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे. लेकिन कांग्रेस की तरफ से अब कोई ऐसा मजबूत चेहरा तोमर के खिलाफ उतारने की तैयारी है, ताकि चुनाव जीता जाए. कांग्रेस की तरफ से यहां स्थानीय नेता सुनील शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. इसके अलावा संत कृपाल सिंह भी रेस में है जो क्षत्रिय समाज से आते हैं. वहीं तीसरे संभावित उम्मीदवार के रूप में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह भी चुनाव लड़ सकते हैं.

इमरती देवी

इमरती देवी
इमरती देवी

डबरा विधानसभा से लगातार तीन बार से विधायक चुनी जा रही इमरती देवी बीजेपी की तरफ से उपचुनाव में फिर से मैदान में होगी. लेकिन कांग्रेस यहां मजबूत चेहरे की तलाश में है. जब तक इमरती देवी कांग्रेस में रही तब तक कांग्रेस यहां बहुत मजबूत थी. लेकिन इमरती का विकल्प तलाशना कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन उपचुनाव में हालात बदल गए है. जातिगत आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस यहां पूर्व विधायक फूल सिंह बरैया को इमरती देवी के सामने खड़ा कर सकती है.

महेंद्र सिंह सिसोदिया

महेंद्र सिंह सिसोदिया
महेंद्र सिंह सिसोदिया

गुना जिले की बमोरी सीट भी बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगी. बीजेपी की तरफ से यहां पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया मैदान में होंगे. लेकिन इसके उलट कांग्रेस के अब यह चिंता सताने लगी है सिसोदिया को पटकनी देने के लिए किस चेहरे को खड़ा किया जाए. फिलहाल इस सीट पर अभी तक कांग्रेस का कोई चेहरा सामने नहीं आया है.

तुलसीराम सिलावट

तुलसीराम सिलावट
तुलसीराम सिलावट

हाल ही में शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए तुलसीराम सिलावट के खिलाफ कांग्रेस मजबूत प्रत्याशी उतारना चाहती है. सिलावट की गिनती ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास लोगों में होती है. माना जा रहा है कि सिलावट के सामने कांग्रेस किसी मजबूत चेहरे को उतारना चाहेगी. पार्टी ने यहां जीत की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को सौंपी है.

गोविंद सिंह राजपूत

गोविंद सिंह राजपूत
गोविंद सिंह राजपूत

गोविंद सिंह राजपूत को भी शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया है, वे सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट से बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार होंगे. फिलहाल कांग्रेस के पास इस सीट से गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ कोई मजबूत चेहरा नजर नहीं आ रहा है. पार्टी ने यहां पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर और हर्ष यादव को जिम्मेदारी सौपी है. हालांकि यहां कमलनाथ के करीबी पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे को कांग्रेस के कुछ नेताओं ने टिकट देने की मांग की है.

प्रभुराम चौधरी

प्रभुराम चौधरी
प्रभुराम चौधरी

पूर्व मंत्री प्रभुराम चौधरी के खिलाफ भी कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है. वे रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक चुने गए. जबकि उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से मैदान में होंगे. कांग्रेस इस सीट पर किसी युवा चेहरे पर दांव लगा सकती है. इस सीट की जिम्मेदारी कांग्रेस ने पूर्व मंत्री आरिफ अकील और पीसी शर्मा को सौंपी है.

इसके अलावा कांग्रेस ने अन्य सभी बागी पूर्व विधायकों के खिलाफ भी उम्मीदवारों की चर्चा शुरु कर दी है. क्योंकि इन सभी विधायकों को बीजेपी की तरफ से टिकट मिलना तय है, इसमें कई विधायक ऐसे हैं जो लगातार दो या तीन बार से कांग्रेस पार्टी में जीत हासिल करते आए हैं. लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए हैं. कांग्रेस ग्वालियर चंबल अंचल में 16 सीटों पर सिंधिया समर्थक सभी पूर्व विधायकों के सामने मजबूत चेहरे की तलाश में है. ताकि मुकाबला चुनौती भरा हो.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में जैसे ही कोरोना महामारी का संकटकाल हटेगा, तो सियासत का दौर शुरू होगा. चुनावी शंखनाद बजेगा और सियासी शतरंज पर फिर शह-मात का दौर शुरू होगा. प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियां बीजेपी और कांग्रेस ने शुरू कर दी है. बीजेपी की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक पूर्व 22 विधायकों को उपचुनाव में टिकट मिलना तय नजर आ रहा है. लेकिन इन उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस किसे उतारेगी यह बड़ा सवाल है. ऐसे में कांग्रेस अभी से मजबूत प्रत्याशियों की तलाश में जुट गई है.

24 विधानसभा सीटों से से ज्यादा सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने से यहां कांग्रेस कमजोर हुई है. सवाल इस बात का है कि कांग्रेस सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के सामने किसे उतारे, ताकि उपचुनाव में जीत हासिल की जाए. हालांकि पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने तैयारियां शुरु कर दी है, ईटीवी भारत आपकों कुछ ऐसे चेहरे बताने जा रहा है जो विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की तरफ से मैदान में आ सकते हैं.

पूर्व मंत्रियों के खिलाफ रहेगा कांग्रेस का फोकस

कांग्रेस ने अंदर ही अंदर उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश तेज कर दी है. पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उन पूर्व विधायकों के खिलाफ है, जिन्हें कमलनाथ सरकार में मंत्रिपद नावाजा गया था. बावजूद इसके उन्होंने बगावत की. ऐसे में कांग्रेस इन सभी मंत्रियों के खिलाफ मजबूत चेहरा उतारने की तलाश में जुटी है. जबकि ग्वालियर-चंबल में भी कांग्रेस का जोर रहेगा.

प्रद्युमन सिंह तोमर

प्रद्युमन सिंह तोमर
प्रद्युमन सिंह तोमर

बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे. लेकिन कांग्रेस की तरफ से अब कोई ऐसा मजबूत चेहरा तोमर के खिलाफ उतारने की तैयारी है, ताकि चुनाव जीता जाए. कांग्रेस की तरफ से यहां स्थानीय नेता सुनील शर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. इसके अलावा संत कृपाल सिंह भी रेस में है जो क्षत्रिय समाज से आते हैं. वहीं तीसरे संभावित उम्मीदवार के रूप में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह भी चुनाव लड़ सकते हैं.

इमरती देवी

इमरती देवी
इमरती देवी

डबरा विधानसभा से लगातार तीन बार से विधायक चुनी जा रही इमरती देवी बीजेपी की तरफ से उपचुनाव में फिर से मैदान में होगी. लेकिन कांग्रेस यहां मजबूत चेहरे की तलाश में है. जब तक इमरती देवी कांग्रेस में रही तब तक कांग्रेस यहां बहुत मजबूत थी. लेकिन इमरती का विकल्प तलाशना कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है. 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन उपचुनाव में हालात बदल गए है. जातिगत आंकड़ों के हिसाब से कांग्रेस यहां पूर्व विधायक फूल सिंह बरैया को इमरती देवी के सामने खड़ा कर सकती है.

महेंद्र सिंह सिसोदिया

महेंद्र सिंह सिसोदिया
महेंद्र सिंह सिसोदिया

गुना जिले की बमोरी सीट भी बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगी. बीजेपी की तरफ से यहां पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया मैदान में होंगे. लेकिन इसके उलट कांग्रेस के अब यह चिंता सताने लगी है सिसोदिया को पटकनी देने के लिए किस चेहरे को खड़ा किया जाए. फिलहाल इस सीट पर अभी तक कांग्रेस का कोई चेहरा सामने नहीं आया है.

तुलसीराम सिलावट

तुलसीराम सिलावट
तुलसीराम सिलावट

हाल ही में शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए तुलसीराम सिलावट के खिलाफ कांग्रेस मजबूत प्रत्याशी उतारना चाहती है. सिलावट की गिनती ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे खास लोगों में होती है. माना जा रहा है कि सिलावट के सामने कांग्रेस किसी मजबूत चेहरे को उतारना चाहेगी. पार्टी ने यहां जीत की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को सौंपी है.

गोविंद सिंह राजपूत

गोविंद सिंह राजपूत
गोविंद सिंह राजपूत

गोविंद सिंह राजपूत को भी शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया है, वे सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट से बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार होंगे. फिलहाल कांग्रेस के पास इस सीट से गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ कोई मजबूत चेहरा नजर नहीं आ रहा है. पार्टी ने यहां पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर और हर्ष यादव को जिम्मेदारी सौपी है. हालांकि यहां कमलनाथ के करीबी पूर्व विधायक अरूणोदय चौबे को कांग्रेस के कुछ नेताओं ने टिकट देने की मांग की है.

प्रभुराम चौधरी

प्रभुराम चौधरी
प्रभुराम चौधरी

पूर्व मंत्री प्रभुराम चौधरी के खिलाफ भी कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है. वे रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक चुने गए. जबकि उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से मैदान में होंगे. कांग्रेस इस सीट पर किसी युवा चेहरे पर दांव लगा सकती है. इस सीट की जिम्मेदारी कांग्रेस ने पूर्व मंत्री आरिफ अकील और पीसी शर्मा को सौंपी है.

इसके अलावा कांग्रेस ने अन्य सभी बागी पूर्व विधायकों के खिलाफ भी उम्मीदवारों की चर्चा शुरु कर दी है. क्योंकि इन सभी विधायकों को बीजेपी की तरफ से टिकट मिलना तय है, इसमें कई विधायक ऐसे हैं जो लगातार दो या तीन बार से कांग्रेस पार्टी में जीत हासिल करते आए हैं. लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए हैं. कांग्रेस ग्वालियर चंबल अंचल में 16 सीटों पर सिंधिया समर्थक सभी पूर्व विधायकों के सामने मजबूत चेहरे की तलाश में है. ताकि मुकाबला चुनौती भरा हो.

Last Updated : May 5, 2020, 8:36 PM IST
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