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Gwalior Ropeway Politics: ग्वालियर में रोपवे पर सियासी सर्कस, सिंधिया और सांसद शेजवलकर के बीच ठनी

ग्वालियर शहर का बहुप्रतीक्षित रोपवे एक बार फिर सियासी खेल में फंस गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इसका शिलान्यास कर चुके हैं. फिर भी ये 15 सालों से फाइलों में ही दबा हुआ है. लेकिन अब सरकार ने रोपवे बनाने का रास्ता साफ कर दिया है. रोपवे का स्थान परिवर्तन किया जा रहा है, जिसको लेकर सांसद विवेक शेजवलकर खफा हैं. वह कह रहे है ये हाल रहा तो कभी भी ग्वालियर में रोपवे नही बन पाएगा. कांग्रेस का आरोप है कि सिंधिया परिवार इस काम में अड़चन डाल रहा है. इस मुद्दे लेकर सिंधिया व शेजवलकर में ठन चुकी है. Ropeway in Gwalior, Political circus on ropeway, Clash Scindia and Shejwalkar, Ropway in files for 15 years, ropeway gwalior policitcs scindia

Politics on Ropeway Gwalior
ग्वालियर में रोपवे पर सियासी सर्कस
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Published : Sep 3, 2022, 12:58 PM IST

Updated : Sep 3, 2022, 1:12 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर शहर राजनीतिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां मोदी सरकार के 2 कैबिनेट मंत्री, शिवराज सरकार के दो मंत्री, कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त बीजेपी की दो कद्दावर नेता हैं. होना तो ये चाहिए था कि यहां ताबड़तोड़ विकास होता, लेकिन एक ही जगह पर इतने दिग्गज लोगों के होने से कई बार सियासी पेंच भी फंस जाते हैं. उदाहरण के तौर पर ग्वालियर में 15 साल पहले रोप-वे का सपना दिखाया गया था. पर्यटन की दृष्टि से ये शहर के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

ग्वालियर में रोपवे पर सियासी सर्कस

15 साल से फाइलों में दबा रोप- वे : दुर्भाग्य से रोप-वे बीते 15 सालों से सरकारी फाइलों में दबा हुआ है. अब तो इसका फिर से डिजाइन चेंज किया जा रहा है. ग्वालियर ग्वालियर में रोपवे का 15 साल में दो बार शिलान्यास हो चुका है. सीएम शिवराज सिंह चौहान इसका शिलान्यास कर चुके हैं. फिर भी शहर का ये सपना फाइलों में ही दफन है. कहा जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण ये प्रोजेक्ट अटका था. अब उनकी अपत्ति के बाद उसका स्थान परिवर्तन किया जा रहा है. सांसद विवेक नारायण शेजवलकर इस प्रोजेक्ट के स्थान में बदलाव और लेटलतीफी को लेकर नाराज हैं. इस बारे में उन्होंने नगर निगम कमिश्नर को कई बार पत्र भी लिखे हैं.

ये है रोप-वे की कहानी : 25 मई 2006 को एमआईसी ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. 5 जून 2018 को दामोदर रोपवे के साथ अनुबंध हुआ. कंपनी को वोट क्लब के पास फूल बाग स्टेशन से लैंडिंग स्टेशन किला तक निर्माण कराना था. पुरातत्व विभाग और अन्य विभागों की एनओसी नहीं मिलने के कारण 8 - 10 साल निर्माण शुरू नहीं हो सका. 9 जुलाई 2015 को फिर से एएसआई से 2 साल में काम करने की एनओसी मिली. 2020 पुरातत्व ने किले की दीवार को खतरा बताते हुए रोपवे की लैंडिंग दीवार के पास के बजाय दूर करने को कहा. यही मामला फंसा हुआ है कंपनी ने अभी तक रोप-वे के कार्य के रूप में फूलबाग स्थित लोअर टर्मिनल बनाया है. इसके अलावा कोई भी कार्य नहीं किया. 10 जनवरी 2010 को भूमिपूजन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया था. 25 नवंबर 2015 को महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने ही फूलबाग लोअर टर्मिनल के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया था.

सिंधिया के कारण अटका ग्वालियर का रोप-वे ! 15 साल से सियासी फाइलों में दफन प्रोजेक्ट , शिवराज 2 बार कर चुके शिलान्यास

सिंधिया स्कूल की अड़चन : असल में रोपवे को लेकर सबसे बड़ा विवाद क्लिपर पैनल के पास सिंधिया स्कूल का होना है. जहां पर रोप-वे का पैनल लगना है. वहां सिंधिया स्कूल के कई कमरे बने हुए हैं. रोपवे बनने के बाद स्कूल की प्राइवेसी में दखल पढ़ सकता है. कहा जा रहा है कि पुराने लेआउट में अपर टर्मिनल यानी ऊपरी हिस्से का काम सिंधिया स्कूल परिसर के पास होना है. इससे स्कूल के कामकाज में परेशानी आयेगी. ऐसे में स्कूल प्रबंधन की आपत्ति की वजह से हर बार काम शुरू होने से पहले ही रोक दिया जाता है, लेकिन अब स्थान परिवर्तन किया जा रहा है, जिसको लेकर अब खुद सांसद ही अपनों पर ही आक्रोशित हैं.

ग्वालियर। ग्वालियर शहर राजनीतिक दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां मोदी सरकार के 2 कैबिनेट मंत्री, शिवराज सरकार के दो मंत्री, कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त बीजेपी की दो कद्दावर नेता हैं. होना तो ये चाहिए था कि यहां ताबड़तोड़ विकास होता, लेकिन एक ही जगह पर इतने दिग्गज लोगों के होने से कई बार सियासी पेंच भी फंस जाते हैं. उदाहरण के तौर पर ग्वालियर में 15 साल पहले रोप-वे का सपना दिखाया गया था. पर्यटन की दृष्टि से ये शहर के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

ग्वालियर में रोपवे पर सियासी सर्कस

15 साल से फाइलों में दबा रोप- वे : दुर्भाग्य से रोप-वे बीते 15 सालों से सरकारी फाइलों में दबा हुआ है. अब तो इसका फिर से डिजाइन चेंज किया जा रहा है. ग्वालियर ग्वालियर में रोपवे का 15 साल में दो बार शिलान्यास हो चुका है. सीएम शिवराज सिंह चौहान इसका शिलान्यास कर चुके हैं. फिर भी शहर का ये सपना फाइलों में ही दफन है. कहा जाता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण ये प्रोजेक्ट अटका था. अब उनकी अपत्ति के बाद उसका स्थान परिवर्तन किया जा रहा है. सांसद विवेक नारायण शेजवलकर इस प्रोजेक्ट के स्थान में बदलाव और लेटलतीफी को लेकर नाराज हैं. इस बारे में उन्होंने नगर निगम कमिश्नर को कई बार पत्र भी लिखे हैं.

ये है रोप-वे की कहानी : 25 मई 2006 को एमआईसी ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. 5 जून 2018 को दामोदर रोपवे के साथ अनुबंध हुआ. कंपनी को वोट क्लब के पास फूल बाग स्टेशन से लैंडिंग स्टेशन किला तक निर्माण कराना था. पुरातत्व विभाग और अन्य विभागों की एनओसी नहीं मिलने के कारण 8 - 10 साल निर्माण शुरू नहीं हो सका. 9 जुलाई 2015 को फिर से एएसआई से 2 साल में काम करने की एनओसी मिली. 2020 पुरातत्व ने किले की दीवार को खतरा बताते हुए रोपवे की लैंडिंग दीवार के पास के बजाय दूर करने को कहा. यही मामला फंसा हुआ है कंपनी ने अभी तक रोप-वे के कार्य के रूप में फूलबाग स्थित लोअर टर्मिनल बनाया है. इसके अलावा कोई भी कार्य नहीं किया. 10 जनवरी 2010 को भूमिपूजन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया था. 25 नवंबर 2015 को महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने ही फूलबाग लोअर टर्मिनल के निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया था.

सिंधिया के कारण अटका ग्वालियर का रोप-वे ! 15 साल से सियासी फाइलों में दफन प्रोजेक्ट , शिवराज 2 बार कर चुके शिलान्यास

सिंधिया स्कूल की अड़चन : असल में रोपवे को लेकर सबसे बड़ा विवाद क्लिपर पैनल के पास सिंधिया स्कूल का होना है. जहां पर रोप-वे का पैनल लगना है. वहां सिंधिया स्कूल के कई कमरे बने हुए हैं. रोपवे बनने के बाद स्कूल की प्राइवेसी में दखल पढ़ सकता है. कहा जा रहा है कि पुराने लेआउट में अपर टर्मिनल यानी ऊपरी हिस्से का काम सिंधिया स्कूल परिसर के पास होना है. इससे स्कूल के कामकाज में परेशानी आयेगी. ऐसे में स्कूल प्रबंधन की आपत्ति की वजह से हर बार काम शुरू होने से पहले ही रोक दिया जाता है, लेकिन अब स्थान परिवर्तन किया जा रहा है, जिसको लेकर अब खुद सांसद ही अपनों पर ही आक्रोशित हैं.

Last Updated : Sep 3, 2022, 1:12 PM IST
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