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Bhadrapada Amavasya 2022 इस बार दो दिन है अमावस्या का अनोखा संयोग, 26 और 27 को पितृ पूजा, जानें कब रहेगा दान और स्नान का शुभ मुहूर्त

भाद्रपद अमावस्या में स्नान, दान और श्राद्ध करने से पुण्य मिलता है. पितरों की पूजा करने पर उनको शांति मिलती है. भाद्रपद अमावस्या में कुश एकत्र करने की भी परंपरा है. इसलिए इसे कुशा गृहणी अमावस्या भी कहते हैं. इस साल हिंदू पंचांग में भाद्रपद की अमावस्या तिथि दो दिन लग रही है. 26 अगस्त और 27 अगस्त को अमावस्या है जिसे पूजा-पाठ, दान और पितृदोष के लिए काफी लाभदायक माना जा रहा है. Bhadrapada Amavasya 2022, Bhadrapada Amavasya date and time, Bhadrapada Amavasya pujan vidhi

Bhadrapada Amavasya 2022
भाद्रपद अमावस्या 2022
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Published : Aug 25, 2022, 9:44 PM IST

ग्वालियर। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या का योग इस बार अनोखा रहने वाला है. इस साल यह अमावस्या 26 और 27 अगस्त को रहेगी. 26 अगस्त शुक्रवार को सूर्योदय के बाद शुरू होकर 27 अगस्त शनिवार को दोपहर 1:00 बजे तक इस अमावस्या का अनोखा संयोग है. यह पूजा-पाठ, दान और पितृदोष के लिए काफी लाभदायक माना जा रहा है. इसके साथ ही अमावस्या के दौरान शनिदेव की पूजा अर्चना, दान और स्नान करने से कई गुना फल मिलने वाला है. इस भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या को लेकर ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि इससे लोगों को कितना लाभ होगा. (Bhadrapada Amavasya 2022)

भाद्रपद अमावस्या 2022

कब करें दान जिससे विशेष लाभ प्राप्त होगा: ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि, अबकी बार अमावस्या 2 दिन की रहेगी. जो शुक्रवार शाम से शुरू होगी और शनिवार को दोपहर 1:00 बजे समाप्त होगी. इस अमावस्या का बड़ा महत्व माना जा रहा है, क्योंकि कई ग्रह ऐसे हैं जो अपने घर में चल रहे हैं और इस अमावस्या में जिन लोगों की राशि पर साढ़ेसाती, शनि ढैया चल रहा है उसका वे उपाय करते हैं तो निश्चित ही उन्हें लाभ पहुंचेगा. इस दौरान दान का भी काफी विशेष महत्व माना गया है. अगर जिन लोगों की राशियों पर शनि की दशा है और शुक्रवार की शाम सूर्यास्त के बाद दान करते हैं तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होगा. (Bhadrapada Amavasya date and time)

भाद्रपद शनिवार को सूर्यास्त से पहले करें स्नान: शुक्रवार की शाम सूर्यास्त के बाद दान का विशेष महत्व है. बारिश का मौसम है और इस दौरान अगर लोग किसी गरीब व्यक्ति को छाता दान करते हैं तो उसका अधिक लाभ प्राप्त होगा. इसके साथ ही उड़द की दाल, तेल और काला कपड़ा भी आप दान कर सकते हैं, लेकिन जो स्नान का महत्व है वह शनिचरी अमावस्या यानी भाद्रपद शनिवार को सूर्यास्त से पहले करना बहुत आवश्यक है. इसका ही विशेष महत्व माना जा रहा है. शनिवार को सूर्यास्त से पहले शनि के स्थान पर पहुंचकर स्नान करें और अपने वस्त्र वहीं पर छोड़कर आएं, जिससे काफी लाभ प्राप्त होगा. (Bhadrapada Amavasya pujan vidhi) (Bhadrapada Amavasya significance)

Santoshi Mata: शुक्रवार के दिन इस विधि से करें देवी संतोषी माता की पूजा, जल्द पूरी होंगी मनोकामना

अमावस्या पितृ पूजा के लिए बेहद शुभ दिन: ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि इस समय राशि धनु, मकर और कुंभ पर साढ़ेसाती चल रही है. इसके साथ ही तुला मकर पर ढैय्या का प्रभाव है. इस राशि वाले लोग अगर इस अमावस्या को दान और पूजा पाठ करते हैं तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होगा. इसके साथ ही शनि मंदिर पर जाकर विशेष पूजा अर्चना और शनि मंत्र का जाप करें. उन्होंने बताया कि शुक्रवार और शनिवार को देवताओं और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए. ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि यह अमावस्या पितृ पूजा के लिए काफी शुभ है. पितृ से संबंधित पूजा और दान अवश्य करें. इसके साथ ही उनका कहना है कि कोविड के दौरान जिन परिवारों में मौतें हुई है, वे परिवार नारायण नागबली और त्रिपिंड श्राद्ध का पूजन करते हैं तो उन आत्माओं को शांति मिलती है. (Bhadrapada Amavasya shubh muhurt)

ग्वालियर। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या का योग इस बार अनोखा रहने वाला है. इस साल यह अमावस्या 26 और 27 अगस्त को रहेगी. 26 अगस्त शुक्रवार को सूर्योदय के बाद शुरू होकर 27 अगस्त शनिवार को दोपहर 1:00 बजे तक इस अमावस्या का अनोखा संयोग है. यह पूजा-पाठ, दान और पितृदोष के लिए काफी लाभदायक माना जा रहा है. इसके साथ ही अमावस्या के दौरान शनिदेव की पूजा अर्चना, दान और स्नान करने से कई गुना फल मिलने वाला है. इस भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या को लेकर ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि इससे लोगों को कितना लाभ होगा. (Bhadrapada Amavasya 2022)

भाद्रपद अमावस्या 2022

कब करें दान जिससे विशेष लाभ प्राप्त होगा: ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि, अबकी बार अमावस्या 2 दिन की रहेगी. जो शुक्रवार शाम से शुरू होगी और शनिवार को दोपहर 1:00 बजे समाप्त होगी. इस अमावस्या का बड़ा महत्व माना जा रहा है, क्योंकि कई ग्रह ऐसे हैं जो अपने घर में चल रहे हैं और इस अमावस्या में जिन लोगों की राशि पर साढ़ेसाती, शनि ढैया चल रहा है उसका वे उपाय करते हैं तो निश्चित ही उन्हें लाभ पहुंचेगा. इस दौरान दान का भी काफी विशेष महत्व माना गया है. अगर जिन लोगों की राशियों पर शनि की दशा है और शुक्रवार की शाम सूर्यास्त के बाद दान करते हैं तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होगा. (Bhadrapada Amavasya date and time)

भाद्रपद शनिवार को सूर्यास्त से पहले करें स्नान: शुक्रवार की शाम सूर्यास्त के बाद दान का विशेष महत्व है. बारिश का मौसम है और इस दौरान अगर लोग किसी गरीब व्यक्ति को छाता दान करते हैं तो उसका अधिक लाभ प्राप्त होगा. इसके साथ ही उड़द की दाल, तेल और काला कपड़ा भी आप दान कर सकते हैं, लेकिन जो स्नान का महत्व है वह शनिचरी अमावस्या यानी भाद्रपद शनिवार को सूर्यास्त से पहले करना बहुत आवश्यक है. इसका ही विशेष महत्व माना जा रहा है. शनिवार को सूर्यास्त से पहले शनि के स्थान पर पहुंचकर स्नान करें और अपने वस्त्र वहीं पर छोड़कर आएं, जिससे काफी लाभ प्राप्त होगा. (Bhadrapada Amavasya pujan vidhi) (Bhadrapada Amavasya significance)

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अमावस्या पितृ पूजा के लिए बेहद शुभ दिन: ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि इस समय राशि धनु, मकर और कुंभ पर साढ़ेसाती चल रही है. इसके साथ ही तुला मकर पर ढैय्या का प्रभाव है. इस राशि वाले लोग अगर इस अमावस्या को दान और पूजा पाठ करते हैं तो उन्हें विशेष लाभ प्राप्त होगा. इसके साथ ही शनि मंदिर पर जाकर विशेष पूजा अर्चना और शनि मंत्र का जाप करें. उन्होंने बताया कि शुक्रवार और शनिवार को देवताओं और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए. ज्योतिषाचार्य चेतन गजकेसरी ने बताया कि यह अमावस्या पितृ पूजा के लिए काफी शुभ है. पितृ से संबंधित पूजा और दान अवश्य करें. इसके साथ ही उनका कहना है कि कोविड के दौरान जिन परिवारों में मौतें हुई है, वे परिवार नारायण नागबली और त्रिपिंड श्राद्ध का पूजन करते हैं तो उन आत्माओं को शांति मिलती है. (Bhadrapada Amavasya shubh muhurt)

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