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ग्वालियर: ये हैं डायबिटीज वाले प्रोफेसर, जानिए इस नाम के पीछे की कहानी - मुफ्त इलाज

जीवाजी यूनिवर्सिटी में पदस्थ एक प्रोफेसर छात्रों को पढ़ाने के साथ साथ लोगों की बीमारी ठीक कर जनसेवा का काम कर रहे हैं. इसी के चलते प्रोफेसर जीबीकेएस प्रसाद को जेयू कैम्पस में अब डायबिटीज वाले प्रोफेसर के नाम से भी जाना जाता है.

मरीज को दवा देते प्रोफेसर
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Published : Feb 7, 2019, 5:21 PM IST

ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी में पदस्थ एक प्रोफेसर छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ लोगों की डायबिटीज का इलाज कर जनसेवा का काम कर रहे हैं. अब प्रोफेसर जीबीकेएस प्रसाद को डायबिटीज वाले प्रोफेसर के नाम से जाना जाता है.

मरीज को दवा देते प्रोफेसर
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प्रोफेसर जीबीकेएस प्रसाद ने रिसर्च कर डायबिटीज के मरीजों के लिए एक हर्बल दवा तैयार की है. इस दवा के जरिये वह अब तक डेढ़ लाख मरीजों को मुफ्त इलाज देकर ठीक कर चुके हैं. दरअसल, आंध्रप्रदेश के रहने वाले डॉ जीबीकेएस प्रसाद जीवाजी यूनिवर्सिटी में बायो केमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं. डॉ प्रसाद ने डायबिटीज पर रिसर्च करके एक हर्बल दवा बनाई है, जिससे वे मरीजों का फ्री में इलाज करते हैं. प्रसाद ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के कैम्पस में दो साल पहले मरीजों का इलाज करने के लिए क्लीनिक खोली थी. वह कभी कैंप लगाकर तो कभी क्लास शुरू करने से पहले मरीजों को बुलाकर इनका इलाज करते हैं.


प्रोफेसर प्रसाद का कहना है कि पढ़ाई का असली मतलब तभी होता है, जब वह समाज के काम आए. उन्होंने देखा कि सुबह जो लोग टहलने के लिए कैंपस में आते हैं, वह लोग अधिकतर डायबिटीज की बीमारी से ग्रस्त हैं. डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ता देखकर उन्होंने इस पर रिसर्च करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक पौधों से तैयार की गई इस दवा को बनाने में उन्हें दो साल से ज्यादा का वक्त लगा. इसके बाद इस हर्बल दवा के 14 फॉमूले तैयार किए और मरीजों का इलाज करना शुरू किया.वहीं इलाज कराने वाले मरीजों का कहना है कि डायबिटीज बढ़ने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन डॉ प्रसाद के ट्रीटमेंट से लगातार फायदा मिल रहा है. यह दवा लेने से डायबिटीज कंट्रोल में है साथ ही इस दवा का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है.

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ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी में पदस्थ एक प्रोफेसर छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ लोगों की डायबिटीज का इलाज कर जनसेवा का काम कर रहे हैं. अब प्रोफेसर जीबीकेएस प्रसाद को डायबिटीज वाले प्रोफेसर के नाम से जाना जाता है.

मरीज को दवा देते प्रोफेसर
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प्रोफेसर जीबीकेएस प्रसाद ने रिसर्च कर डायबिटीज के मरीजों के लिए एक हर्बल दवा तैयार की है. इस दवा के जरिये वह अब तक डेढ़ लाख मरीजों को मुफ्त इलाज देकर ठीक कर चुके हैं. दरअसल, आंध्रप्रदेश के रहने वाले डॉ जीबीकेएस प्रसाद जीवाजी यूनिवर्सिटी में बायो केमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं. डॉ प्रसाद ने डायबिटीज पर रिसर्च करके एक हर्बल दवा बनाई है, जिससे वे मरीजों का फ्री में इलाज करते हैं. प्रसाद ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के कैम्पस में दो साल पहले मरीजों का इलाज करने के लिए क्लीनिक खोली थी. वह कभी कैंप लगाकर तो कभी क्लास शुरू करने से पहले मरीजों को बुलाकर इनका इलाज करते हैं.


प्रोफेसर प्रसाद का कहना है कि पढ़ाई का असली मतलब तभी होता है, जब वह समाज के काम आए. उन्होंने देखा कि सुबह जो लोग टहलने के लिए कैंपस में आते हैं, वह लोग अधिकतर डायबिटीज की बीमारी से ग्रस्त हैं. डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ता देखकर उन्होंने इस पर रिसर्च करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक पौधों से तैयार की गई इस दवा को बनाने में उन्हें दो साल से ज्यादा का वक्त लगा. इसके बाद इस हर्बल दवा के 14 फॉमूले तैयार किए और मरीजों का इलाज करना शुरू किया.वहीं इलाज कराने वाले मरीजों का कहना है कि डायबिटीज बढ़ने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन डॉ प्रसाद के ट्रीटमेंट से लगातार फायदा मिल रहा है. यह दवा लेने से डायबिटीज कंट्रोल में है साथ ही इस दवा का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है.

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एंकर -  जीवाजी यूनिवर्सिटी में पदस्थ एक प्रोपेसर छात्रों को पढ़ाने के साथ साथ लोगो की बीमारी ठीक कर जनसेवा का काम कर रहे है। इसी के चलते प्रोपेसर जीबीकेएस प्रसाद को जेयू केम्पस में अब डायबिटीज बाले प्रोपेसर के नाम से भी जाना जाता है । इसके लिए प्रसाद ने रिसर्च कर डायबटीज के मरीजों के लिए एक हर्बल दवा तैयार की है। इस दवा के जरिये वह अब तक डेढ़ लाख मरीजों को मुफ्त इलाज देकर ठीक कर चुके है। डॉ प्रसाद जीवाजी यूनिवर्सिटी में छात्रों को बायोकेमिस्ट्री पढ़ाते है। 

बीओ - आंध्रप्रदेश के रहने बाले डॉ जीबीकेएस प्रसाद जीवाजी यूनिवर्सिटी में बायो केमिस्ट्री के प्रोपेसर है डॉ प्रसाद ने डायबिटीज पर रिसर्च करके एक हर्बल दवा बनाई है जिससे डायबिटीज के मरीजों का फ्री में इलाज करते है प्रसाद ने जीवाजी के कैम्पस में दो साल पहले मरीजों का इलाज करने के लिए क्लीनिक खोली है वह कभी केम्प लगाकर तो कभी क्लास शुरू करने से पहले मरीजों को बुलाकर इनका इलाज करते है इसी बजह उन्हे यूनिवर्सिटी में डायबिटीज बाले प्रोपेसर के नाम से भी बुलाया जाता है प्रोपेसर प्रसाद का कहना है कि पढ़ाई का असली मतलब तभी हल होता है तब वह समाज के काम आये। मेने जेयू में देखा कि सुबह जो लोग टहलने के लिए केम्पस में आते है वह लोग अधिकतर डायबिटीज बीमारी से ग्रसित है. इस बीमारी से परेशान लोगो डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ते देखकर इस रिसर्च करना शुरू कर दिया। जब मेने 2002 में आयुर्बेदिक पोधो से डायबिटीज को नियंत्रित करने की दवा तैयार की है इस दवा को तैयार करने में दो साल ज्यादा का बक्त लगा। इसके बाद इस हर्बल दवा के 14 फॉमूले तैयार किये और मरीजों का इलाज करना शुरू किया। इस दवा से लोगो को फायदा मिलता गया और धीरे धीरे मरीजों की संख्या बढ़ती गई। मरीजों की सख्या देखकर जेयू के हेल्थ सेंटर कैम्पस में एक क्लिनिक की शुरुआत की। डॉ प्रसाद अब तक डेढ़ लाख से अधिक मरीजों का इलाज कर चुके है। वही इलाज कराने बाले मरीजों का कहना है डायबिटीज बढ़ने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था लेकिन डॉ प्रसाद ट्रीटमेंट से लगातार फायदा मिल रहा है यह दवा लेने से डायबिटीज कंट्रोल है साथ ही इस दवा का कोई साइट इफेक्ट नहीं है इस बजह से कोई परेशानी नहीं आती है यह दवा पूरी तरीके से आयुर्बेदिक है 


बाईट - डॉ जीबीकेएस प्रसाद , जीवाजी यूनिवर्सिटी में प्रोपेसर 

बाईट -  अमित श्रीवास्तव ,  डायबिटीज मरीज 

बाईट -  सुलेखा ,  डायबिटीज मरीज 



ANIL GAUR (REPORTER )
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