छिंदवाड़ा। जिला अस्पताल छिंदवाड़ा (chhindwra district hospital) की 600 यूनिट की क्षमता वाले ब्लड बैंक में 60-70 यूनिट ब्लड बचा है. जिला प्रशासन ने लोगों से रक्तदान करने की अपील की है. गर्मी में रक्तदान की कमी और स्वैच्छिक रक्तदान शिविर ना लगने से जिला अस्पताल में आने वाले जरूरतमंदों को बिना एक्सचेंज के ब्लड देना मुश्किल हो गया है. खासतौर पर ऐसे मरीज जो सिकलसेल से पीड़ित हैं वह नि:शुल्क ब्लड के लिए अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं. (Blood Crisis in MP)
ब्लड बैंक में खून की किल्लत: ब्लड बैंक के कर्मचारियों की माने तो जिला अस्पताल में प्रसूताओं, सिकलसेल पीड़ित और गंभीर घायलों के लिए रोजाना लगभग 30 से 50 यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है. ब्लड की कमी से मरीजों के परिजनों से एक्सचेंज कराए बिना खून नहीं दिया जा रहा है. 60 से 70 यूनिट ब्लड अति गंभीर मरीजों के लिए बचा कर रखा गया है.
छिंदवाड़ा जिला अस्पताल की पार्किंग में मरीज के परिजनों से मारपीट
मरीज परेशान: अस्पताल में 250 सिकलसेल के मरीज हैं. जिला अस्पताल में हर माह लगभग 100 सिकलसेल पीड़ित बच्चों को ब्लड उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन ब्लड की कमी के चलते इन बच्चों को बिना एक्सचेंज के ब्लड नहीं मिल रहा है. (chhindwara blood bank storage) इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि ब्लड खरीदा नहीं जा सकता. रक्तदाताओं को आगे आकर रक्तदान करना चाहिए. ब्लड बैंक में ब्लड की कमी होने से जरूरतमंदों को परेशान होना पड़ रहा है. मरीजों की जान भी बचाने के लिए सिर्फ रक्तदान से ही एक उपाय है.
जिला अस्पताल की लापरवाही, एंबुलेंस के नहीं पहुंचने से प्रसूता और नवजात ने तोड़ा दम
डोनेशन की अपील: ब्लड बैंक के अधिकारियों का कहना है कि, ब्लड बैंक में हमेशा 200 यूनिट ब्लड होना चाहिए. रोजाना गायनिक वार्ड में 8 से 10 यूनिट की जरूरत होती है. हर दिन एक दर्जन से अधिक घायल जिला अस्पताल में भर्ती होते हैं, जिन्हें निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में ब्लड ना होने से गंभीर मरीजों की जान को खतरा बना है. गर्मी के चलते लोग रक्तदान नहीं कर रहे हैं. लोगों में गलतफहमी है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है, जबकि ऐसा नहीं होता. अस्पताल प्रबंधन में रक्तदाताओं से रक्तदान करने की अपील की है. (hospital administration appeling blood Donation)