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अब...नागपुर नहीं 'सतपुड़ा ऑरेंज' कहिए जनाब, यूएई तक बिखेरेगा अपनी मिठास, लोगो भी डिजाइन, बनेगी नई पहचान

संतरे के लिए मेहनत छिंदवाड़ा का किसान करता था और नाम नागपुर के संतरे का होता था, अब छिंदवाड़ा अपने संतरे को खुद की पहचान दिलाने के लिए लोगो डिजाइन करा रहा है जो अब 'सतपुड़ा ऑरेंज' (Satpura Orange) के नाम से पहचाना जाएगा.

Chhindwara orange will be known as Satpura Orange
छिंदवाड़ा का संतरा दुबई तक बिखेरेगा अपनी मिठास
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Published : Feb 26, 2022, 8:14 PM IST

छिंदवाड़ा। गर्मियों के दौरान लोगों के पसंदीदा फलों में से एक है, संतरा. महाराष्ट्र सीमा के पास सौंसर और पांढुर्ना क्षेत्रों में छिंदवाड़ा में संतरे उगाए जाते हैं, जिसे 'ऑरेंज सिटी' के रूप में जाना जाता है. जिले के इन दो क्षेत्रों से संतरे की आपूर्ति की जाती है. संतरे के लिए मेहनत छिंदवाड़ा का किसान करता था और नाम नागपुर के संतरे का होता था, अब छिंदवाड़ा अपने संतरे को खुद की पहचान दिलाने के लिए लोगो डिजाइन करा रहा है जो अब 'सतपुड़ा ऑरेंज' (Satpura Orange) के नाम से पहचाना जाएगा.

छिंदवाड़ा का संतरा दुबई तक बिखेरेगा अपनी मिठास

ऐसे मिली अपनी पहचान
छिंदवाड़ा जिले में 24500 हेक्टेयर में संतरे के बागान लगे हुए हैं, जिसका उत्पादन लगभग 4 लाख 49 हजार मीट्रिक टन हो रहा है. छिंदवाड़ा जिले में उत्पादित संतरा विदेशों में भी निर्यात होता है, लेकिन अब तक इसकी पहचान नागपुरी संतरे के नाम से होती थी. कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन के विशेष प्रयास से इसे एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत चयन किया गया है. जिसके चलते अब छिंदवाड़ा के संतरे को अपनी पहचान मिली, जिले के संतरे को अब 'सतपुड़ा ऑरेंज' के नाम से पहचान दिलाई जाएगी.

तैयार हो रही मार्केटिंग और ब्रांडिंग योजना
कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि, संतरे को अपने छिंदवाड़ा जिले की पहचान मिल सके और छिंदवाड़ा जिले में इसका नाम हो. इसके लिए संतरा उत्पादकों व्यापारी एवं एफपीओ के साथ बैठकें और कार्यशाला भी आयोजित की जा चुकी हैं. इसी कड़ी में जिले के संतरे की ब्रांडिंग के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक लोगो भी तैयार कराया जा रहा है, लोगो की डिजाइन के निर्धारण और लोगो का क्यूआर कोड के साथ जिले में उत्पादित संतरे की ब्रांडिंग पैकेजिंग व मार्केटिंग के लिए योजना बनाई जा रही है.

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यूएई तक होगा संतरे का निर्यात
फिलहाल छिंदवाड़ा जिले का संतरा नेपाल और बांग्लादेश तक निर्यात किया जाता है, लेकिन अब यहां का संतरा यूएई तक जाएगा.संतरे के निर्यात के लिए परिवहन व्यवस्था आसानी से बन सके इसके लिए जिला प्रशासन ने विशेष योजना भी तैयार की है.

यहां भी होता है संतरे का उत्पादन
छिंदवाड़ा जिले में संतरे का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र जिले के नागपुर की सीमा से लगे पांढुर्ना और सौंसर के साथ ही बिछुआ ब्लॉक में भी होता है. पांढुर्ना में 14697, सौंसर में 7316, बिछुआ में 13990, मोहखेड़ में 1082, चौरई में 12 और हर्रई में तीन है हेक्टेयर इलाके में संतरे की फसल का उत्पादन फिलहाल किया जा रहा है.

छिंदवाड़ा। गर्मियों के दौरान लोगों के पसंदीदा फलों में से एक है, संतरा. महाराष्ट्र सीमा के पास सौंसर और पांढुर्ना क्षेत्रों में छिंदवाड़ा में संतरे उगाए जाते हैं, जिसे 'ऑरेंज सिटी' के रूप में जाना जाता है. जिले के इन दो क्षेत्रों से संतरे की आपूर्ति की जाती है. संतरे के लिए मेहनत छिंदवाड़ा का किसान करता था और नाम नागपुर के संतरे का होता था, अब छिंदवाड़ा अपने संतरे को खुद की पहचान दिलाने के लिए लोगो डिजाइन करा रहा है जो अब 'सतपुड़ा ऑरेंज' (Satpura Orange) के नाम से पहचाना जाएगा.

छिंदवाड़ा का संतरा दुबई तक बिखेरेगा अपनी मिठास

ऐसे मिली अपनी पहचान
छिंदवाड़ा जिले में 24500 हेक्टेयर में संतरे के बागान लगे हुए हैं, जिसका उत्पादन लगभग 4 लाख 49 हजार मीट्रिक टन हो रहा है. छिंदवाड़ा जिले में उत्पादित संतरा विदेशों में भी निर्यात होता है, लेकिन अब तक इसकी पहचान नागपुरी संतरे के नाम से होती थी. कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन के विशेष प्रयास से इसे एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत चयन किया गया है. जिसके चलते अब छिंदवाड़ा के संतरे को अपनी पहचान मिली, जिले के संतरे को अब 'सतपुड़ा ऑरेंज' के नाम से पहचान दिलाई जाएगी.

तैयार हो रही मार्केटिंग और ब्रांडिंग योजना
कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि, संतरे को अपने छिंदवाड़ा जिले की पहचान मिल सके और छिंदवाड़ा जिले में इसका नाम हो. इसके लिए संतरा उत्पादकों व्यापारी एवं एफपीओ के साथ बैठकें और कार्यशाला भी आयोजित की जा चुकी हैं. इसी कड़ी में जिले के संतरे की ब्रांडिंग के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक लोगो भी तैयार कराया जा रहा है, लोगो की डिजाइन के निर्धारण और लोगो का क्यूआर कोड के साथ जिले में उत्पादित संतरे की ब्रांडिंग पैकेजिंग व मार्केटिंग के लिए योजना बनाई जा रही है.

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यूएई तक होगा संतरे का निर्यात
फिलहाल छिंदवाड़ा जिले का संतरा नेपाल और बांग्लादेश तक निर्यात किया जाता है, लेकिन अब यहां का संतरा यूएई तक जाएगा.संतरे के निर्यात के लिए परिवहन व्यवस्था आसानी से बन सके इसके लिए जिला प्रशासन ने विशेष योजना भी तैयार की है.

यहां भी होता है संतरे का उत्पादन
छिंदवाड़ा जिले में संतरे का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र जिले के नागपुर की सीमा से लगे पांढुर्ना और सौंसर के साथ ही बिछुआ ब्लॉक में भी होता है. पांढुर्ना में 14697, सौंसर में 7316, बिछुआ में 13990, मोहखेड़ में 1082, चौरई में 12 और हर्रई में तीन है हेक्टेयर इलाके में संतरे की फसल का उत्पादन फिलहाल किया जा रहा है.

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