छिन्दवाड़ा। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते स्कूल बंद होने पर सबसे ज्यादा प्रभाव सुदूर अंचल के ग्रामीण और (digitally education fund raising program) जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है. स्कूलों के बंद रहने पर ऑनलाइन पढ़ाई एक अच्छा विकल्प बन गया. लेकिन असल में इसका दायरा बेहद सीमित है. ग्रामीणों इलाकों तक इसकी पहुंच बेहद कम है. 50 फीसदी ग्रामीण बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है, यही कारण है कि डिजिटल संसाधन सुलभ ना होने के कारण बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नहीं उठा सके. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों के जीवन और पढ़ाई का महत्व समझते हुए जिला प्रशासन ने "डिजिटल दान" कैंपेन की शुरु किया है.
एमओयू पर हस्ताक्षर
"डिजिटल दान" कैंपेन के लिए कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में मेटा सोशल कंपनी के फाउंडर इफ्तेखार पठान के साथ MOU पर हस्ताक्षर किए. इस मौके पर पूर्व वनमंडल अखिल बंसल सहित कई अधिकारी मौजूद रहे. वहीं सोशल की टीम वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से शामिल हुई.
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डिजिटल दान कैंपेन क्या है?
डिजिटल दान कैंपेन गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए बनाया गया है. इस कैंपैन को इंडियन ग्लोबल, मेटा सोशल, MIT-ADT यूनिवर्सिटी पुणे और इंदौर के "नन्हे फरिश्ते" NGO चला रहे हैं. जिसके तहत जरूरतमंद बच्चों को डिजिटल लर्निंग के लिए लैपटॉप और कोर्स मैटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा. यह कैंपेन चलाने वाला छिंदवाड़ा देश का पहला शहर बन गया है. जिले में कैंपेन के सफल होने के बाद देश के अन्य जिलों में भी चलाया जाएगा. अपनी मर्जी से कोई भी व्यक्ति डिजिटल दान कर सकता है. इसके लिए पारदर्शी प्लेटफार्म बनाया गया है, जिसके जरिए दान करने वाले अपने दान की राशि पर पूरी नजर रख सकते हैं.