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बाढ़ के सैलाब में सब कुछ हुआ खत्म, न घर बचा न खाने को राशन, अब मदद का इंतजार

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Published : Sep 1, 2020, 9:34 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 10:32 PM IST

एक झटके में ग्रामीणों का सब कुछ खत्म हो गया, अचानक से आई बारिश अपने साथ तबाही लेकर आई और सब कुछ अपने साथ लेकर चली गई.

Flood in Chhindwara
बाढ़ में सब कुछ हुआ बरबाद

छिंदवाड़ा। प्रदेश के कई इलाकों में हुई भारी बारिश के बाद तबाही का मंजर है, जहां अचानक आई बारिश अपने साथ सब कुछ बहाकर ले गई और एक झटके में ग्रामीणों का सब कुछ खत्म हो गया. ऐसा ही हाल है छिंदवाड़ा जिले की चौरई विधानसभा के बंधीढाना गांव का जहां पेंच नदी में अचानक आई बाढ़ ने करीब 100 परिवारों का सब कुछ उजाड़ दिया. हालांकि हिम्मत कर बेघर हुए परिवारों ने पहाड़ी पर अपना आशियाना बनाना शुरू किया है.

बाढ़ में सब कुछ हुआ बर्बाद

डर के मारे ग्रामीणों ने ली पहाड़ी में शरण
पेंच नदी के निचले इलाके बंधीढाना गांव में अचानक बाढ़ आने से करीब 100 घर पूरी तरीके से बह गए, जिसमें मुश्किल से लोग अपनी जान बचाकर भागे थे. अचानक आई इस आफत से डरे हुए लोगों ने अब गांव के पास एक पहाड़ी में अपना आशियाना बनाना शुरू किया है. लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें यहीं पर मकान बनाने की अनुमति दे क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं है कि कब निचले इलाके में फिर पानी भर जाए.

सिर्फ रहने लिए सुरक्षित स्थान की गुहार
ग्रामीणों का कहना है कि उनका सब कुछ तो बर्बाद हो गया, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को लेकर फिलहाल रहना है ऐसे में प्रशासन उन्हें सुरक्षित जगह उपलब्ध करा दे क्योंकि जहां ठहराया गया है, वहीं की छत से पानी टपकता है. अगर उन्हें सुरक्षित जगह रहने को मिल जाए तो खाने पीने का जुगाड़ मेहनत मजदूरी से कर लेंगे.

अधिकारियों ने दिया आश्वासन
बाढ़ के बाद मौके का मुआयना और पुनर्वास केंद्र के हालात देख अधिकारी भी जल्द से जल्द ग्रामीणों को किसी अच्छी जगह में शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं, साथ ही उन्हें जमीन भी उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जा रही है, जिससे तबाह हुए परिवार फिर से अपना घर बसा सकें.

चार पीढ़ियों में कभी नहीं आई ऐसी आफत
ग्रामीणों का कहना है कई सालों से उनका परिवार यहां रह रहा है लोग बताते हैं कि ऐसी बाढ़ उन्होंने चार पीढ़ियों से आज तक नहीं देखी, लेकिन जैसे ही बांध बना उनके लिए परेशानी लेकर आया और एक झटके में ही उनका सब कुछ खत्म कर दिया हालात ये है कि उनके पास कुछ भी नहीं बचा है.

सैंकड़ों मवेशी और जमा पूंजी हो गई खत्म
किसानों और ग्रामीणों की जमा पूंजी उनके मवेशी होते हैं. अचानक आई इस आफत में लोग बमुश्किल अपनी जान बचा पाए. मवेशी बाढ़ की चपेट में आ गए और करीब 100 मवेशी मारे गए हैं. इतना ही नहीं परिवार का गुजर बसर करने के लिए रखा अनाज भी पूरी तरह बर्बाद हो गया है.

मुश्किल से खुद को बचा पाए ग्रामीण
लगातार हुई बारिश की वजह से पेंच नदी का जलस्तर बढ़ गया. जिस कारण माचागोरा में बने बांध में पानी बढ़ने के कारण आठों गेट खोलने पड़े, जैसे ही गेट खोले गए निचले इलाके के गांव बंधीढाना में पानी भरने लगा. घरों में सो रहे लोगों को जैसे ही पानी की आहट लगी, लोग अपनी जान बचाकर भागे. लेकिन अपनी जान बचाने के चक्कर में आजीविका का सामान ले जाना भूल गए.

बता दें करीब 10 साल पहले पेंच नदी में माचागोरा बांध बनाया गया था. ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके. सैकड़ों गांव इसका लाभ भी ले रहे हैं, लेकिन कुछ गांवों के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं है. हर साल बारिश के दिनों में इन गांवों में जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, लेकिन इस साल आई बारिश ने सब तबाह कर दिया.

छिंदवाड़ा। प्रदेश के कई इलाकों में हुई भारी बारिश के बाद तबाही का मंजर है, जहां अचानक आई बारिश अपने साथ सब कुछ बहाकर ले गई और एक झटके में ग्रामीणों का सब कुछ खत्म हो गया. ऐसा ही हाल है छिंदवाड़ा जिले की चौरई विधानसभा के बंधीढाना गांव का जहां पेंच नदी में अचानक आई बाढ़ ने करीब 100 परिवारों का सब कुछ उजाड़ दिया. हालांकि हिम्मत कर बेघर हुए परिवारों ने पहाड़ी पर अपना आशियाना बनाना शुरू किया है.

बाढ़ में सब कुछ हुआ बर्बाद

डर के मारे ग्रामीणों ने ली पहाड़ी में शरण
पेंच नदी के निचले इलाके बंधीढाना गांव में अचानक बाढ़ आने से करीब 100 घर पूरी तरीके से बह गए, जिसमें मुश्किल से लोग अपनी जान बचाकर भागे थे. अचानक आई इस आफत से डरे हुए लोगों ने अब गांव के पास एक पहाड़ी में अपना आशियाना बनाना शुरू किया है. लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें यहीं पर मकान बनाने की अनुमति दे क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं है कि कब निचले इलाके में फिर पानी भर जाए.

सिर्फ रहने लिए सुरक्षित स्थान की गुहार
ग्रामीणों का कहना है कि उनका सब कुछ तो बर्बाद हो गया, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को लेकर फिलहाल रहना है ऐसे में प्रशासन उन्हें सुरक्षित जगह उपलब्ध करा दे क्योंकि जहां ठहराया गया है, वहीं की छत से पानी टपकता है. अगर उन्हें सुरक्षित जगह रहने को मिल जाए तो खाने पीने का जुगाड़ मेहनत मजदूरी से कर लेंगे.

अधिकारियों ने दिया आश्वासन
बाढ़ के बाद मौके का मुआयना और पुनर्वास केंद्र के हालात देख अधिकारी भी जल्द से जल्द ग्रामीणों को किसी अच्छी जगह में शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं, साथ ही उन्हें जमीन भी उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जा रही है, जिससे तबाह हुए परिवार फिर से अपना घर बसा सकें.

चार पीढ़ियों में कभी नहीं आई ऐसी आफत
ग्रामीणों का कहना है कई सालों से उनका परिवार यहां रह रहा है लोग बताते हैं कि ऐसी बाढ़ उन्होंने चार पीढ़ियों से आज तक नहीं देखी, लेकिन जैसे ही बांध बना उनके लिए परेशानी लेकर आया और एक झटके में ही उनका सब कुछ खत्म कर दिया हालात ये है कि उनके पास कुछ भी नहीं बचा है.

सैंकड़ों मवेशी और जमा पूंजी हो गई खत्म
किसानों और ग्रामीणों की जमा पूंजी उनके मवेशी होते हैं. अचानक आई इस आफत में लोग बमुश्किल अपनी जान बचा पाए. मवेशी बाढ़ की चपेट में आ गए और करीब 100 मवेशी मारे गए हैं. इतना ही नहीं परिवार का गुजर बसर करने के लिए रखा अनाज भी पूरी तरह बर्बाद हो गया है.

मुश्किल से खुद को बचा पाए ग्रामीण
लगातार हुई बारिश की वजह से पेंच नदी का जलस्तर बढ़ गया. जिस कारण माचागोरा में बने बांध में पानी बढ़ने के कारण आठों गेट खोलने पड़े, जैसे ही गेट खोले गए निचले इलाके के गांव बंधीढाना में पानी भरने लगा. घरों में सो रहे लोगों को जैसे ही पानी की आहट लगी, लोग अपनी जान बचाकर भागे. लेकिन अपनी जान बचाने के चक्कर में आजीविका का सामान ले जाना भूल गए.

बता दें करीब 10 साल पहले पेंच नदी में माचागोरा बांध बनाया गया था. ताकि लोगों को इसका फायदा मिल सके. सैकड़ों गांव इसका लाभ भी ले रहे हैं, लेकिन कुछ गांवों के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं है. हर साल बारिश के दिनों में इन गांवों में जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, लेकिन इस साल आई बारिश ने सब तबाह कर दिया.

Last Updated : Sep 1, 2020, 10:32 PM IST
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