भोपाल। कोरोना वायरस महामारी से लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खुद ब खुद हर रोज अपने को मौत के मुंह में ढकेल रहे हैं. तंबाकू के सेवन से वह लगातार अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दुनिया में लगभग 80 लाख लोगों की मौत तंबाकू की वजह से हो रही है. दुनिया को तंबाकू से होने वाले नुकसान के प्रति जागरुक करने के लिए 31 मई के दिन विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है.
कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत
लोगों में तंबाकू की बढ़ती लत और मौत के आंकड़ों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)को इस दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया. साल 1987 में तंबाकू खाने से होने वाली मौतों में जबरदस्त बढ़ोतरी को देखते हुए महामारी घोषित किया गया था. साल 1988 में पहली बार 7 अप्रैल को इस दिन की शुरुआत हुई, हालांकि फिर हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाने लगा.
क्यों मनाते हैं World No Tobacco Day
तंबाकू से होने वाले नुकसान के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दिन की शुरुआत की थी. डब्ल्यूएचओ ने लोगों को तंबाकू के नुकसान और उससे बचने के तमाम तरीकों को उन तक पहुंचाने के लिए 31 मई का दिन चुना और इस दिन को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया. इसका उद्देश्य आम जनता को यह बताना था कि तंबाकू उनके स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है. हालांकि इस बात की जानकारी होने के बाद भी लोग धूम्रपान (Smoking) की लत से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.
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क्या है इस साल की थीम
वर्ल्ड नो टोबैको डे हर साल अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है. इस साल 31 मई को वर्ल्ड नो टोबैको डे की थीम 'छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध' (Commit to Quit) है. सबसे ज्यादा मुश्किल तंबाकू छोड़ने के दौरान आती है. लोग तंबाकू के खतरे को जानते हुए इस छोड़ना तो चाहते हैं, लेकिन वह इसका सेवन नहीं रोक पाते और लत लगने के बाद वह इससे दूर नहीं हो पाते, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बार की थीम 'छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध' रखी है.
जानकारी के बाद भी नहीं सुधर रहे लोग
टीवी, अखबार और रेडियो के अलावा तमाम सोशल मीडिया माध्यमों से तंबाकू और धूम्रपान के नुकसान की जानकारी देने के बाद भी लोगों में इसके सेवन की लत घट नहीं रही है. तंबाकू उत्पाद पर तमाम चेतावनी लिखने के बावजूद लोग इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. अपनी जान की परवाह किए बगैर खुद तो मौत के करीब जा रहे हैं अपने साथ रहने वालों को भी धीरे-धीरे वह इसके मोहताज बना रहे हैं.
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इन बीमारियों को दावत दे रहे हैं आप
तमाम चेतावनी के बाद भी कोई तंबाकू का सेवन कर रहा है तो वह जानबूझकर खतरनाक बीमारियों को अपने शरीर में जगह दे रहा है. तंबाकू के इस्तेमाल से कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी, दांतों की बीमारी जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं. तंबाकू के सेवन से मुंह का कैंसर सबसे बड़ी बीमारी है. टीवी पर भी तमाम तरह के विज्ञापन के जरिए बताया जाता है कि तंबाकू और धूम्रपान कैसे परिवार को उजाड़ रहे हैं.
तंबाकू छोड़ना चाहते हैं तो अपनाएं ये तरीके
- तंबाकू या धूम्रपान की लत से बाहर आने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति सबसे जरूरी है. हमें इस बात पर मजबूती से टिके रहना है कि तंबाकू का सेवन सेहत के लिए खतरनाक है और इससे बचना है.
- तंबाकू छोड़ने वालों को यह लत छोड़ते समय अक्सर बेचैनी जैसे महसूस होती है और वह मुंह में कुछ न कुछ चबाते रहना चाहते हैं. इसलिए कोशिश करें कि जब भी तंबाकू छोड़ने के दौरान इस तरह की बेचैनी हो तो कोई टॉफी या फिर फल, सलाद कुछ भी खाने की कोशिश करें.
- धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करते समय धूम्रपान करने वालों को अक्सर मुंह में कुछ चबाते रहने की तीव्र इच्छा महसूस होती है. ऐसे में आप एक कटोरी सलाद को चबाने के लिए अपने पास रख सकते हैं. धूम्रपान करने की इच्छा से बचने के लिए आप चीनी रहित च्युइंगम भी ले सकते हैं. इसके अलावा इलायची या सौंफ चबाने से भी धूम्रपान करने की इच्छा से लड़ने में मदद मिलती है.
- जब कोई व्यक्ति खाली होता है तो उसका मन धूम्रपान या फिर तंबाकू, खैनी खाने का करता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए खुद को ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखें. तंबाकू छोड़ने के दौरान लोगों का दिमाग हर बार उस ओर जाता है, इसलिए अपना ध्यान काम पर रखें. सुबह योग और व्यायाम जरूर करें.
क्या कहते हैं आंकड़े
तंबाकू सेहत के लिए कितना खतरनाक है, इस बात का अंदाजा हर साल होने वाली मौतों से लगाया जा सकता है. एक आंकड़े के मुताबिक, लगभग 80 लाख लोग दुनियाभर में प्रतिवर्ष तंबाकू की वजह से मर रहे हैं, जबकि भारत में लगभग 13 लाख लोग प्रतिवर्ष तंबाकू की वजह से मौत के मुंह में जा रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, करीब 40 फीसदी कैंसर के मामले और करीब 30 फीसदी दिल के दौरे तंबाकू और धूम्रपान की वजह से होते हैं. एसोचैम (ASSOCHAM) के एक अध्ययन के अनुसार, तंबाकू उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में करीब 11,79,448 करोड़ रुपये का योगदान देता है. इसके अलावा लगभग 4.57 करोड़ लोगों को रोजगार भी मुहैया कराता है.