भोपाल। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से हर साल 28 जुलाई को वर्ल्ड हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता (world hepatitis day 2022) है. इस दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन लोगों को हेपेटाइटिस रोग के बारे में जागरुक करने का काम करता है, इस तरह के आयोजन से लोगों में हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी मिलती (Hepatitis is very dangerous disease) है. इसकी महत्व को समझते हुए 28 जुलाई 2018 को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया था. जिसके चार साल पूरे हो गए हैं. इस आयोजन का उद्देश्य देश में हेपेटाइटिस के केस को कम (measures to prevent Hepatitis) करना है.
हेपेटाइटिस बन सकती है मौत का कारण: हेपेटाइटिस एक खतरनाक बीमारी है, अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये मौत का कारण भी बन सकती है. जबकि इलाज के अभाव में कई लोग ऐसे हैं, जो अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं. ईटीवी भारत ने हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों से बात की, जहां से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
सिरोसिस बीमारी ने एक शख्स को जकड़ा: भोपाल के जहांगीराबाद में रहने वाले राजकुमार उर्फ राजू 26 साल के हैं और प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं. राजू को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं, लेकिन उनके शरीर पर सिरोसिस जैसी बीमारी है. इस बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया है, इसके चलते उनकी शरीर पर कई तरह से फंगल इंफेक्शन के साथ स्पॉट बने हुए हैं. हाथ, पैर और गर्दन के नीचे यह निशान साफ तौर पर नजर आते हैं. इसमें चमड़ी सूख जाती है और निशान छोड़ देती है. जब राजू ने डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने इसका इलाज किया, लेकिन 2 साल तक इसका लाभ नहीं होने के बाद जब राजू का पूरा बॉडी चेकअप किया गया, तो पता चला कि उनके लिवर में इंफेक्शन हो गया है. इसका कारण बचपन से ही हेपेटाइटिस बी का टीका नहीं लगवाना रहा.
बच्चों को हेपेटाइटिस बी का जरूर लगवाएं टीका: राजू बचपन में आम बच्चों की तरह थे, लेकिन उनके माता-पिता से एक गलती हो गई कि उन्होंने बचपन में राजू को हेपेटाइटिस बी का टीका नहीं लगवाया. इस वजह से उन्हें कई बार पीलिया रोग की शिकायत हुई, लेकिन जैसे-जैसे राजू बड़े हुए उनके शरीर पर इंफेक्शन होना शुरू हो गया. राजू बताते हैं कि हर डॉक्टर को दिखा लिया, लेकिन उनका कहना है कि यह बीमारी सिरोसिस बीमारी के समान है और लिवर में इंफेक्शन के कारण यह बढ़ गई है. ऐसे में अब दवाइयां ही राजू का सहारा है.
लिवर के जरिए हेपेटाइटिस से होते हैं ग्रस्त: राजू की तरह ही भोपाल के टीटी नगर में रहने वाले जितेंद्र शर्मा भी हेपेटाइटिस की बीमारी से जूझ रहे हैं. जितेंद्र बताते हैं कि परिवार और दोस्तों में शुरू से ही पार्टी का चलन रहा है. ऐसे में उनके परिवार में और वह खुद भी शराब का सेवन करते थे. इस वजह से उनके लिवर पर असर हुआ और बाद में जब चेकअप करवाया तो पता चला वह हेपेटाइटिस से ग्रस्त हो गए हैं. फिलहाल उनका इलाज चल रहा है.
लोगों में हेपेटाइटिस को लेकर जागरूकता नहीं: मध्यप्रदेश में 2 फीसदी से ज्यादा आबादी हेपेटाइटिस बी बीमारी से संक्रमित है, यह आंकड़ा सरकारी और निजी अस्पतालों के ब्लड बैंकों में होने वाले स्वैच्छिक रक्तदान के आधार पर पाया गया है. इसमें 2.1 फीसदी लोगों को हेपेटाइटिस बी संक्रमित पाया गया है. 2020-21 में कुल 5 लाख 20 हजार यूनिट रक्तदान हुआ है, अगर आम लोगों में सर्वे किया जाए तो यह आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है. लिवर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रणव रघुवंशी बताते हैं कि, "आज के समय में भी लोगों में हेपेटाइटिस को लेकर जागरूक नहीं है, इसका एक टीका ही आप को सुरक्षित रख सकता है, लेकिन टीके के बाद भी अन्य कारण से हेपेटाइटिस की बीमारी हो सकती है. ऐसे में समय-समय पर चेकअप कराना ही एकमात्र उपाय है."
बड़ी संख्या में हेपेटाइटिस बी से होती है मौत: भारत की बात करें तो WHO के मुताबिक, 2020 में भारत में करीब 4 करोड़ लोगों को हेपेटाइटिस बी हुआ था. जबकि 60 लाख से 1.2 करोड़ लोगों को हेपेटाइटिस सी का संक्रमण हुआ था. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च की मानें तो हर साल करीब 2,50,000 लोगों की मौत हेपेटाइटिस की वजह से होती है.
हेपेटाइटिस बी के लक्षण: भूख कम लगना, आंखें पीली होना, पेशाब पीली होना, सिर दर्द, थकान और उल्टी होना है. ब्लड के संपर्क में आने से, यौन संबंध से, संक्रमित निडिल और ब्लेड से, टूथ ब्रश शेयर करने से और संक्रमित मां से बच्चे को हेपेटाइटिस का संक्रमण फैलता है.