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World Children's Day in Bhopal: तस्वीरों के जरिए गांवों की झलक, बच्चों ने किया कमाल

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Published : Nov 19, 2021, 7:52 PM IST

विश्व बाल दिवस के मौके (World Children's Day )पर भोपाल में फोटो प्रदर्शनी का (photo exhibition by children)आयोजन हुआ. प्रदर्शनी में बच्चों ने तस्वीरों के जरिए गांव की खुशहाली का (Glimpses of happy villages)संदेश दिया. प्रदर्शनी में 6 बच्चों द्वारा खींची गई 60 तस्वीरें प्रदर्शित(photo exhibition in bhopal) की गईं.

World Children's Day in Bhopal
तस्वीरों के जरिए गांवों की झलक, बच्चों ने किया कमाल

भोपाल। भोपाल में विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के मौके (World Children's Day )पर दो दिवसीय मांदल फोटो प्रदर्शनी (photo exhibition by children) लगी. इस प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा कैमरे में कैद की गई तस्वीरों का प्रदर्शन किया गया है, जो गांव की खुशहाली का संदेश दे रही हैं.

विश्व बाल दिवस पर फोटो प्रदर्शनी

राजधानी के माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रांगण में लगी प्रदर्शनी का मुख्य अतिथि राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उद्घाटन किया. इस प्रदर्शनी में छह किशोरों द्वारा खींची हुई 60 तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं.(Glimpses of happy villages ) इनमें झाबुआ के दो और धार के चार चाइल्ड फोटोग्राफर शामिल हैं.

गांवों के बच्चों ने किया कमाल

यूथ फॉर चिल्ड्रन के अंतर्गत यूनिसेफ, माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं वसुधा विकास संस्थान के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में बाल अधिकार के साथ आदिवासी लोकदर्शन और मांडव थीम पर खींची गई तस्वीरों को खासतौर पर शामिल किया गया है. (World Children's Day in bhopal)ये तस्वीरें न सिर्फ मानवीय भावनाओं का प्रतीक हैं, बल्कि ये भी दर्शाती हैं कि गांवों में सीमित संसाधनों के बीच भी बच्चों के चेहरे पर कैसी निश्छल मुस्कान बिखरी रहती है.

बच्चों में लीडरशिप विकसित हो

प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, यूनिसेफ और वसुधा को बधाई क्योंकि उन्होंने गांव की रोजमर्रा की जिंदगी को इतनी अच्छी तरह दर्शाया. बच्चों के अधिकार की बातें कर रहे हैं. कृष्ण ने भी बचपन से अपने लीडरशिप स्किल को दिखाया था. बच्चे भविष्य होते हैं. उनका भविष्य ही समाज के भविष्य का निर्धारण करता है. देश का निर्माण करना है तो बच्चों का निर्माण करना होगा. छोटे बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं. उन्हें आकार देना हमारा काम है.

उज्ज्वल हो बच्चों का भविष्य

इस मौके पर यूनिसेफ मध्यप्रदेश की चीफ मार्गरेट ग्वाडा ने कहा, यूनिसेफ की 75वीं सालगिरह पर(photo exhibition in bhopal) हम बच्चों का भविष्य उज्‍जवल देखना चाहते हैं. तस्वीरें शब्दों से ज्यादा सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम है और बच्चों ने इस माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल किया है.

माखनलाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने इस अवसर पर कहा, बाल अधिकार हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे. इन विषयों को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है और विश्वविद्यालय इसमें अपनी भूमिका जरूर निभाएगा. विश्व बाल दिवस को उत्सव के तौर पर मनाने के लिए यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग भी शुक्रवार शाम से ब्लू लाइट से सजेगी.

खुश रहना बच्चों से सीखें

झाबुआ के नौगांव की रिया सोनी ने मांडव में पारम्परिक रूप से होने वाली खेती, पुराने किलों के मुंडेरों पे खेलते बच्चों आदि को अपने कैमरे में कैद किया है. रिया कहती हैं, मांडव की सादगी भरी जिंदगी से ये सीखने को मिला कि कम में भी खुश रहा जा सकता है.

कार्यक्रम में अन्य यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट अनिल गुलाटी, माखनलाल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अविनाश बाजपाई एवं वसुधा विकास संस्थान से डॉ. गायत्री परिहार मौजूद रहे।

इनपुट आईएएनएस

भोपाल। भोपाल में विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के मौके (World Children's Day )पर दो दिवसीय मांदल फोटो प्रदर्शनी (photo exhibition by children) लगी. इस प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा कैमरे में कैद की गई तस्वीरों का प्रदर्शन किया गया है, जो गांव की खुशहाली का संदेश दे रही हैं.

विश्व बाल दिवस पर फोटो प्रदर्शनी

राजधानी के माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रांगण में लगी प्रदर्शनी का मुख्य अतिथि राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उद्घाटन किया. इस प्रदर्शनी में छह किशोरों द्वारा खींची हुई 60 तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं.(Glimpses of happy villages ) इनमें झाबुआ के दो और धार के चार चाइल्ड फोटोग्राफर शामिल हैं.

गांवों के बच्चों ने किया कमाल

यूथ फॉर चिल्ड्रन के अंतर्गत यूनिसेफ, माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं वसुधा विकास संस्थान के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में बाल अधिकार के साथ आदिवासी लोकदर्शन और मांडव थीम पर खींची गई तस्वीरों को खासतौर पर शामिल किया गया है. (World Children's Day in bhopal)ये तस्वीरें न सिर्फ मानवीय भावनाओं का प्रतीक हैं, बल्कि ये भी दर्शाती हैं कि गांवों में सीमित संसाधनों के बीच भी बच्चों के चेहरे पर कैसी निश्छल मुस्कान बिखरी रहती है.

बच्चों में लीडरशिप विकसित हो

प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, यूनिसेफ और वसुधा को बधाई क्योंकि उन्होंने गांव की रोजमर्रा की जिंदगी को इतनी अच्छी तरह दर्शाया. बच्चों के अधिकार की बातें कर रहे हैं. कृष्ण ने भी बचपन से अपने लीडरशिप स्किल को दिखाया था. बच्चे भविष्य होते हैं. उनका भविष्य ही समाज के भविष्य का निर्धारण करता है. देश का निर्माण करना है तो बच्चों का निर्माण करना होगा. छोटे बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं. उन्हें आकार देना हमारा काम है.

उज्ज्वल हो बच्चों का भविष्य

इस मौके पर यूनिसेफ मध्यप्रदेश की चीफ मार्गरेट ग्वाडा ने कहा, यूनिसेफ की 75वीं सालगिरह पर(photo exhibition in bhopal) हम बच्चों का भविष्य उज्‍जवल देखना चाहते हैं. तस्वीरें शब्दों से ज्यादा सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम है और बच्चों ने इस माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल किया है.

माखनलाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने इस अवसर पर कहा, बाल अधिकार हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेंगे. इन विषयों को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है और विश्वविद्यालय इसमें अपनी भूमिका जरूर निभाएगा. विश्व बाल दिवस को उत्सव के तौर पर मनाने के लिए यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग भी शुक्रवार शाम से ब्लू लाइट से सजेगी.

खुश रहना बच्चों से सीखें

झाबुआ के नौगांव की रिया सोनी ने मांडव में पारम्परिक रूप से होने वाली खेती, पुराने किलों के मुंडेरों पे खेलते बच्चों आदि को अपने कैमरे में कैद किया है. रिया कहती हैं, मांडव की सादगी भरी जिंदगी से ये सीखने को मिला कि कम में भी खुश रहा जा सकता है.

कार्यक्रम में अन्य यूनिसेफ के कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट अनिल गुलाटी, माखनलाल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अविनाश बाजपाई एवं वसुधा विकास संस्थान से डॉ. गायत्री परिहार मौजूद रहे।

इनपुट आईएएनएस

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