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बजट विशेष: उम्मीदों की पटरी पर कितनी तेज दौड़ेगी गोयल की रेल?

अरुण जेटली की अस्वस्थता के कारण रेल मंत्री पीयूष गोयल इस बार बजट पेश कर रहे हैं. अलग से रेल बजट पेश होने की रवायत खत्म हो चुकी है, लिहाजा रेलवे से जुड़ी घोषणा भी इसी बजट में शामिल होगी. ऐसे में ये जानना भी अहम हो जाता है कि पिछले बार जो ऐलान हुए थे, वो कितनी पूरी हुईं और इस बार किन क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है.

फाइल फोटो
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Published : Feb 1, 2019, 4:45 AM IST

यह चुनावी साल है, लिहाजा इस मर्तबा अंतरिम बजट आएगा. रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. लिहाजा अरुण जेटली की गैर मौजूदगी में गोयल ही बजट पेश करेंगे. 2018 के बजट में रेलवे को 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. सुरक्षा को पहला लक्ष्य बताया गया था, मगर आज भी रेले में सुरक्षा बहुत बड़ी चुनौती है.

2018 में मिली T-18 की सौगात

2018 में देश की पहली बिना इंजन की रेलगाड़ी टी18 की सौगात देशवासियों को मिली. यह भारत की सबसे तेज गति की ट्रेन है, जो शताब्दी ट्रेन की जगह चलाई जाएगी. हालांकि अभी इस ट्रेन का ट्रायल रन चल रहा है और जल्द ही इसे दिल्ली-वाराणसी सेक्शन पर शुरू कर दिया जाएगा. इस ट्रेन की अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटा है

वहीं, 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को बंद करने और मीटर गेज लाइन को खत्म करके ब्रॉडगेज किया जा रहा है. उस वक्त 36 हजार किमी लाइन को बदलने और 18 हजार किमी की लाइन का दोहरीकरण करने का प्लान किया गया था. इसके साथ ही कई रेलवे लाइन का विद्युतीकरण भी किया जा रहा है. इन घोषणाओं पर तेजी से काम हो रहा है.

अरुण जेटली ने रेल बजट 2018 में देश में भारतीय रेल के नेटवर्क को मजबूत करने पर जोर दिया. लिहाजा, वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे बजट आवंटन में बढ़ोतरी की गई. जेटली ने संसद में आम बजट के साथ रेल बजट 2018 को पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे के पूंजीगत व्‍यय को बढ़ाकर 1,48,528 करोड़ किया जाता है. इसका बड़ा हिस्‍सा रेलवे की क्षमता सृजन पर खर्च किया जाएगा.

2018-19 के रेल बजट की प्रमुख बातें...

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  • 18000 किलोमीटर के दोहरीकरण, तीसरी/चौथी लाइन के निर्माण कार्य और 5000 किलोमीटर के गेज परिवर्तन से क्षमता में वृद्धि‍ पर जोर.
  • 2017-18 के दौरान विद्युतिकरण के लिए 4000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क चालू करने का ऐलान.
  • 12000 वैगन, 5160 कोच और लगभग 700 लोकोमोटिव की खरीददारी की घोषणा.
  • पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कोरिडोर के काम तेजी से पूरे किए जाएंगे.
  • माल शेडों में अवसंरचना को सुदृढ़ करने और निजी साइडिंग के फास्‍ट ट्रेक कार्य शुरू करने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम शुरू करने की बात.
  • कोहरे से सुरक्षा और ट्रेन सुरक्षा के लिए तकनीक के सहारे पर जोर.
  • 4,267 गैर मानवरहित रेलवे क्रासिंग को अगले दो साल में खत्म करने का निर्णय.
  • अगले दो सालों में 4267 मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को खत्‍म कर उन्‍हें बिजी नेटवर्क में परिवर्तित करना.
  • इंडियन रेलवे स्‍टेशन डेवलेपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा 600 प्रमुख रेलवे स्‍टेशनों को दोबारा विकसित करने पर जोर.
  • जिस स्‍टेशन 25 हजार से ज्‍यादा से ज्‍यादा यात्री आते हैं, वहां एस्केलेटर लगाने का ऐलान.
  • सभी रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में वाई-फाई की सुविधा का फैसला.
  • यात्रियों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए सभी रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में सीसीटीवी लगाने की घोषणा.
  • मुंबई की परिवहन प्रणाली का विस्‍तार और 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से 90 किलोमीटर दोहरी पटरियां जोड़ने का काम तेज.
  • लगभग 40,000 करोड़ रुपये की लागत से 150 किलोमीटर अतिरिक्‍त उपनगरीय नेटवर्क योजना बनाने का फैसला.
  • बेंगलुरु में महानगरीय विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से करीब 160 किलोमीटर के उपनगरीय नेटवर्क की योजना.
  • हाई स्‍पीड रेल परियोजना के लिए आवश्‍यक श्रमबल को प्रशिक्षित करने के लिए वड़ोदरा में एक संस्‍थान की स्‍थापना की घोषणा.
    खास रिपोर्ट
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सिग्नलिंग सिस्टम, सुरक्षा और बढ़ता वित्तीय दबाव चुनौती-

लगातार बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच रेलवे ने इस बार वित्त मंत्रालय से अगले वित्तीय वर्ष के लिए 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता मांगी है. रेलवे इस रकम के जरिए न सिर्फ ट्रेक मेंटीनेंस पर फोकस करना चाहती है बल्कि सिग्नलिंग सिस्टम और अपने नेटवर्क के विस्तार पर भी आक्रामक तरीके से कार्य करना चाहती है. हालांकि, रेलवे को पिछली बार वित्त मंत्रालय ने महज 53 हजार करोड़ रुपये की ही बजटीय सहायता दी थी. लेकिन इस बार रेलवे को लग रहा है कि चूंकि रेलमंत्री और वित्तमंत्री की भूमिका पीयूष गोयल ही निभा रहे हैं इसलिए रेलवे को इस बार अच्छी खासी रकम मिल सकती है. रेलवे की ओर से वित्त मंत्रालय से मांग की है कि अगले वित्तीय वर्ष में बजटीय सहायता के रूप में उसे 68 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलनी चाहिए. पहले रेलवे ने लगभग 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूरे देश में नया सिग्नल सिस्टम बनाने की योजना तैयार की थी, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ सकी.

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सूत्रों का कहना है कि अगले वित्तीय साल में यह हो सकता है कि पूरे रेल नेटवर्क की बजाए कुछ हिस्से में नया सिग्नल सिस्टम लगा दिया जाए. इस सिग्नल सिस्टम की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि ट्रेनों की रफ्तार अगर बढ़ानी है तो सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करना आवश्यक है. मौजूदा सिग्नल सिस्टम उतना आधुनिक नहीं है, जितने की अभी जरूरत है.

सूत्रों के मुताबिक रेलवे की बड़ी दिक्कत बढ़ता वित्तीय दबाव है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की वजह से रेलवे पर सालाना 23 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ा है. इसके अलावा रेलवे चाहता है कि दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए जरूरी है कि ट्रैक मेंटीनेंस पर जोर दिया जाए. रेलवे मेंटीनेंस के लिए अत्याधुनिक मशीनें खरीदना चाहता है ताकि ट्रैक मेंटीनेंस का काम सिर्फ मैनुअल न रखा जाए.

रेलवे की चिंता यह भी है कि उस पर वित्तीय दबाव बढ़ता जा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि रेलवे में उतने बड़े पैमाने पर प्राइवेट निवेश नहीं आ रहा, जिसकी पहले उम्मीद की जा रही थी. ऐसे में रेलवे चाहता है कि उसे अतिरिक्त बजटीय सहायता मिले तो वह रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर भी कार्य कर सकेगा.

निजी क्षेत्र मिल सकती है हिस्सेदारी

भारतीय रेलवे में अब निजी क्षेत्र को भी हिस्सेदारी मिल सकती है. हालांकि अभी इस बात की चर्चा रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने की है, लेकिन इसका फैसला कब तक होगा इस बारे में फिलहाल किसी तरह की जानकारी नहीं मिल पाई है. रेलवे के सूत्र बताते हैं कि यात्री ट्रेनों एवं मालगाड़ियों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने पर विचार हो रहा है.

रेल बजट का प्रावधान खत्म

दरअसल मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रेल बजट को भी आम बजट का ही हिस्सा बना दिया गया है. जब 2017-18 का आम बजट पेश किया गया था, तब पहली बार ऐसा हुआ था कि रेल बजट को अलग से पेश नहीं किया गया था. पहला रेल बजट 1924 में पेश किया गया था. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के नाम सबसे ज्यादा बार रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. लालू यादव ने 6 बार रेल बजट पेश किया है. ममता बनर्जी रेल बजट पेश करने वाली पहली महिला रेल मंत्री हैं, 2002 में उन्होंने रेल बजट पेश किया था. वहीं, सुरेश प्रभु अंतिम रेल मंत्री हैं, जिन्‍होंने 2016 में अंतिम बार रेल बजट पेश किया.

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यह चुनावी साल है, लिहाजा इस मर्तबा अंतरिम बजट आएगा. रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. लिहाजा अरुण जेटली की गैर मौजूदगी में गोयल ही बजट पेश करेंगे. 2018 के बजट में रेलवे को 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. सुरक्षा को पहला लक्ष्य बताया गया था, मगर आज भी रेले में सुरक्षा बहुत बड़ी चुनौती है.

2018 में मिली T-18 की सौगात

2018 में देश की पहली बिना इंजन की रेलगाड़ी टी18 की सौगात देशवासियों को मिली. यह भारत की सबसे तेज गति की ट्रेन है, जो शताब्दी ट्रेन की जगह चलाई जाएगी. हालांकि अभी इस ट्रेन का ट्रायल रन चल रहा है और जल्द ही इसे दिल्ली-वाराणसी सेक्शन पर शुरू कर दिया जाएगा. इस ट्रेन की अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटा है

वहीं, 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को बंद करने और मीटर गेज लाइन को खत्म करके ब्रॉडगेज किया जा रहा है. उस वक्त 36 हजार किमी लाइन को बदलने और 18 हजार किमी की लाइन का दोहरीकरण करने का प्लान किया गया था. इसके साथ ही कई रेलवे लाइन का विद्युतीकरण भी किया जा रहा है. इन घोषणाओं पर तेजी से काम हो रहा है.

अरुण जेटली ने रेल बजट 2018 में देश में भारतीय रेल के नेटवर्क को मजबूत करने पर जोर दिया. लिहाजा, वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे बजट आवंटन में बढ़ोतरी की गई. जेटली ने संसद में आम बजट के साथ रेल बजट 2018 को पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे के पूंजीगत व्‍यय को बढ़ाकर 1,48,528 करोड़ किया जाता है. इसका बड़ा हिस्‍सा रेलवे की क्षमता सृजन पर खर्च किया जाएगा.

2018-19 के रेल बजट की प्रमुख बातें...

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  • 18000 किलोमीटर के दोहरीकरण, तीसरी/चौथी लाइन के निर्माण कार्य और 5000 किलोमीटर के गेज परिवर्तन से क्षमता में वृद्धि‍ पर जोर.
  • 2017-18 के दौरान विद्युतिकरण के लिए 4000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क चालू करने का ऐलान.
  • 12000 वैगन, 5160 कोच और लगभग 700 लोकोमोटिव की खरीददारी की घोषणा.
  • पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कोरिडोर के काम तेजी से पूरे किए जाएंगे.
  • माल शेडों में अवसंरचना को सुदृढ़ करने और निजी साइडिंग के फास्‍ट ट्रेक कार्य शुरू करने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम शुरू करने की बात.
  • कोहरे से सुरक्षा और ट्रेन सुरक्षा के लिए तकनीक के सहारे पर जोर.
  • 4,267 गैर मानवरहित रेलवे क्रासिंग को अगले दो साल में खत्म करने का निर्णय.
  • अगले दो सालों में 4267 मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को खत्‍म कर उन्‍हें बिजी नेटवर्क में परिवर्तित करना.
  • इंडियन रेलवे स्‍टेशन डेवलेपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा 600 प्रमुख रेलवे स्‍टेशनों को दोबारा विकसित करने पर जोर.
  • जिस स्‍टेशन 25 हजार से ज्‍यादा से ज्‍यादा यात्री आते हैं, वहां एस्केलेटर लगाने का ऐलान.
  • सभी रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में वाई-फाई की सुविधा का फैसला.
  • यात्रियों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए सभी रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में सीसीटीवी लगाने की घोषणा.
  • मुंबई की परिवहन प्रणाली का विस्‍तार और 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से 90 किलोमीटर दोहरी पटरियां जोड़ने का काम तेज.
  • लगभग 40,000 करोड़ रुपये की लागत से 150 किलोमीटर अतिरिक्‍त उपनगरीय नेटवर्क योजना बनाने का फैसला.
  • बेंगलुरु में महानगरीय विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से करीब 160 किलोमीटर के उपनगरीय नेटवर्क की योजना.
  • हाई स्‍पीड रेल परियोजना के लिए आवश्‍यक श्रमबल को प्रशिक्षित करने के लिए वड़ोदरा में एक संस्‍थान की स्‍थापना की घोषणा.
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सिग्नलिंग सिस्टम, सुरक्षा और बढ़ता वित्तीय दबाव चुनौती-

लगातार बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच रेलवे ने इस बार वित्त मंत्रालय से अगले वित्तीय वर्ष के लिए 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता मांगी है. रेलवे इस रकम के जरिए न सिर्फ ट्रेक मेंटीनेंस पर फोकस करना चाहती है बल्कि सिग्नलिंग सिस्टम और अपने नेटवर्क के विस्तार पर भी आक्रामक तरीके से कार्य करना चाहती है. हालांकि, रेलवे को पिछली बार वित्त मंत्रालय ने महज 53 हजार करोड़ रुपये की ही बजटीय सहायता दी थी. लेकिन इस बार रेलवे को लग रहा है कि चूंकि रेलमंत्री और वित्तमंत्री की भूमिका पीयूष गोयल ही निभा रहे हैं इसलिए रेलवे को इस बार अच्छी खासी रकम मिल सकती है. रेलवे की ओर से वित्त मंत्रालय से मांग की है कि अगले वित्तीय वर्ष में बजटीय सहायता के रूप में उसे 68 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलनी चाहिए. पहले रेलवे ने लगभग 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूरे देश में नया सिग्नल सिस्टम बनाने की योजना तैयार की थी, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ सकी.

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सूत्रों का कहना है कि अगले वित्तीय साल में यह हो सकता है कि पूरे रेल नेटवर्क की बजाए कुछ हिस्से में नया सिग्नल सिस्टम लगा दिया जाए. इस सिग्नल सिस्टम की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि ट्रेनों की रफ्तार अगर बढ़ानी है तो सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करना आवश्यक है. मौजूदा सिग्नल सिस्टम उतना आधुनिक नहीं है, जितने की अभी जरूरत है.

सूत्रों के मुताबिक रेलवे की बड़ी दिक्कत बढ़ता वित्तीय दबाव है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की वजह से रेलवे पर सालाना 23 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ा है. इसके अलावा रेलवे चाहता है कि दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए जरूरी है कि ट्रैक मेंटीनेंस पर जोर दिया जाए. रेलवे मेंटीनेंस के लिए अत्याधुनिक मशीनें खरीदना चाहता है ताकि ट्रैक मेंटीनेंस का काम सिर्फ मैनुअल न रखा जाए.

रेलवे की चिंता यह भी है कि उस पर वित्तीय दबाव बढ़ता जा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि रेलवे में उतने बड़े पैमाने पर प्राइवेट निवेश नहीं आ रहा, जिसकी पहले उम्मीद की जा रही थी. ऐसे में रेलवे चाहता है कि उसे अतिरिक्त बजटीय सहायता मिले तो वह रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर भी कार्य कर सकेगा.

निजी क्षेत्र मिल सकती है हिस्सेदारी

भारतीय रेलवे में अब निजी क्षेत्र को भी हिस्सेदारी मिल सकती है. हालांकि अभी इस बात की चर्चा रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने की है, लेकिन इसका फैसला कब तक होगा इस बारे में फिलहाल किसी तरह की जानकारी नहीं मिल पाई है. रेलवे के सूत्र बताते हैं कि यात्री ट्रेनों एवं मालगाड़ियों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने पर विचार हो रहा है.

रेल बजट का प्रावधान खत्म

दरअसल मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रेल बजट को भी आम बजट का ही हिस्सा बना दिया गया है. जब 2017-18 का आम बजट पेश किया गया था, तब पहली बार ऐसा हुआ था कि रेल बजट को अलग से पेश नहीं किया गया था. पहला रेल बजट 1924 में पेश किया गया था. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के नाम सबसे ज्यादा बार रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. लालू यादव ने 6 बार रेल बजट पेश किया है. ममता बनर्जी रेल बजट पेश करने वाली पहली महिला रेल मंत्री हैं, 2002 में उन्होंने रेल बजट पेश किया था. वहीं, सुरेश प्रभु अंतिम रेल मंत्री हैं, जिन्‍होंने 2016 में अंतिम बार रेल बजट पेश किया.

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बजट विशेष: उम्मीदों की पटरी पर कितनी तेज दौड़ेगी गोयल की रेल?



एंकर- अरुण जेटली की अस्वस्थता के कारण रेल मंत्री पीयूष गोयल इस बार बजट पेश कर रहे हैं. अलग से रेल बजट पेश होने की रवायत खत्म हो चुकी है, लिहाजा रेलवे से जुड़ी घोषणा भी इसी बजट में शामिल होगी. ऐसे में ये जानना भी अहम हो जाता है कि पिछले बार जो ऐलान हुए थे, वो कितनी पूरी हुईं और इस बार किन क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है.



यह चुनावी साल है, लिहाजा इस मर्तबा अंतरिम बजट आएगा. रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. लिहाजा अरुण जेटली की गैर मौजूदगी में गोयल ही बजट पेश करेंगे. 2018 के बजट में रेलवे को 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन हुआ था. सुरक्षा को पहला लक्ष्य बताया गया था, मगर आज भी रेले में सुरक्षा बहुत बड़ी चुनौती है.

2018 में मिली T-18 की सौगात

2018 में देश की पहली बिना इंजन की रेलगाड़ी टी18 की सौगात देशवासियों को मिली. यह भारत की सबसे तेज गति की ट्रेन है, जो शताब्दी ट्रेन की जगह चलाई जाएगी. हालांकि अभी इस ट्रेन का ट्रायल रन चल रहा है और जल्द ही इसे दिल्ली-वाराणसी सेक्शन पर शुरू कर दिया जाएगा. इस ट्रेन की अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटा है

वहीं, 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को बंद करने और मीटर गेज लाइन को खत्म करके ब्रॉडगेज किया जा रहा है.  उस वक्त 36 हजार किमी लाइन को बदलने और 18 हजार किमी की लाइन का दोहरीकरण करने का प्लान किया गया था. इसके साथ ही कई रेलवे लाइन का विद्युतीकरण भी किया जा रहा है. इन घोषणाओं पर तेजी से काम हो रहा है.

अरुण जेटली ने रेल बजट 2018 में देश में भारतीय रेल के नेटवर्क को मजबूत करने पर जोर दिया. लिहाजा, वित्‍त वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे बजट आवंटन में बढ़ोतरी की गई. जेटली ने संसद में आम बजट के साथ रेल बजट 2018 को पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए रेलवे के पूंजीगत व्‍यय को बढ़ाकर 1,48,528 करोड़ किया जाता है. इसका बड़ा हिस्‍सा रेलवे की क्षमता सृजन पर खर्च किया जाएगा.

2018-19 के रेल बजट की प्रमुख बातें...

18000 किलोमीटर के दोहरीकरण, तीसरी/चौथी लाइन के निर्माण कार्य और 5000 किलोमीटर के गेज परिवर्तन से क्षमता में वृद्धि‍ पर जोर.

2017-18 के दौरान विद्युतिकरण के लिए 4000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क चालू करने का ऐलान

12000 वैगन, 5160 कोच और लगभग 700 लोकोमोटिव की खरीददारी की घोषणा.

पूर्वी और पश्चिमी समर्पित फ्रेट कोरिडोर के काम तेजी से पूरे किए जाएंगे.

माल शेडों में अवसंरचना को सुदृढ़ करने और निजी साइडिंग के फास्‍ट ट्रेक कार्य शुरू करने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम शुरू करने की बात.

कोहरे से सुरक्षा और ट्रेन सुरक्षा के लिए तकनीक के सहारे पर जोर. 4,267 गैर मानवरहित रेलवे क्रासिंग को अगले दो साल में खत्म करने का निर्णय.  

अगले दो सालों में 4267 मानवरहित लेवल क्रॉसिंग को खत्‍म कर उन्‍हें बिजी नेटवर्क में परिवर्तित करना.

इंडियन रेलवे स्‍टेशन डेवलेपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा 600 प्रमुख रेलवे स्‍टेशनों को दोबारा विकसित करने पर जोर.

जिस स्‍टेशन 25 हजार से ज्‍यादा से ज्‍यादा यात्री आते हैं, वहां एस्केलेटर लगाने का ऐलान. 

सभी रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में वाई-फाई की सुविधा का फैसला.

यात्रियों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए सभी रेलवे स्‍टेशनों और ट्रेनों में सीसीटीवी लगाने की घोषणा. 

मुंबई की परिवहन प्रणाली का विस्‍तार और 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से 90 किलोमीटर दोहरी पटरियां जोड़ने का काम तेज.

लगभग 40,000 करोड़ रुपये की लागत से 150 किलोमीटर अतिरिक्‍त उपनगरीय नेटवर्क योजना बनाने का फैसला. 

बेंगलुरु में महानगरीय विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से करीब 160 किलोमीटर के उपनगरीय नेटवर्क की योजना.

हाई स्‍पीड रेल परियोजना के लिए आवश्‍यक श्रमबल को प्रशिक्षित करने के लिए वड़ोदरा में एक संस्‍थान की स्‍थापना की घोषणा.

सिग्नलिंग सिस्टम, सुरक्षा और बढ़ता वित्तीय दबाव चुनौती

लगातार बढ़ते वित्तीय दबाव के बीच रेलवे ने इस बार वित्त मंत्रालय से अगले वित्तीय वर्ष के लिए 68 हजार करोड़ रुपये की बजटीय सहायता मांगी है। रेलवे इस रकम के जरिए न सिर्फ ट्रेक मेंटीनेंस पर फोकस करना चाहती है बल्कि सिग्नलिंग सिस्टम और अपने नेटवर्क के विस्तार पर भी आक्रामक तरीके से कार्य करना चाहती है.

हालांकि, रेलवे को पिछली बार वित्त मंत्रालय ने महज 53 हजार करोड़ रुपये की ही बजटीय सहायता दी थी। लेकिन इस बार रेलवे को लग रहा है कि चूंकि रेलमंत्री और वित्तमंत्री की भूमिका पीयूष गोयल ही निभा रहे हैं इसलिए रेलवे को इस बार अच्छी खासी रकम मिल सकती है. 

रेलवे की ओर से वित्त मंत्रालय से मांग की है कि अगले वित्तीय वर्ष में बजटीय सहायता के रूप में उसे 68 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलनी चाहिए. 

पहले रेलवे ने लगभग 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से पूरे देश में नया सिग्नल सिस्टम बनाने की योजना तैयार की थी, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ सकी. 

सूत्रों का कहना है कि अगले वित्तीय साल में यह हो सकता है कि पूरे रेल नेटवर्क की बजाए कुछ हिस्से में नया सिग्नल सिस्टम लगा दिया जाए. इस सिग्नल सिस्टम की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि ट्रेनों की रफ्तार अगर बढ़ानी है तो सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करना आवश्यक है. मौजूदा सिग्नल सिस्टम उतना आधुनिक नहीं है, जितने की अभी जरूरत है।

सूत्रों के मुताबिक रेलवे की बड़ी दिक्कत बढ़ता वित्तीय दबाव है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की वजह से रेलवे पर सालाना 23 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ा है. इसके अलावा रेलवे चाहता है कि दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए जरूरी है कि ट्रैक मेंटीनेंस पर जोर दिया जाए. रेलवे मेंटीनेंस के लिए अत्याधुनिक मशीनें खरीदना चाहता है ताकि ट्रैक मेंटीनेंस का काम सिर्फ मैनुअल न रखा जाए.

रेलवे की चिंता यह भी है कि उस पर वित्तीय दबाव बढ़ता जा रहा है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि रेलवे में उतने बड़े पैमाने पर प्राइवेट निवेश नहीं आ रहा, जिसकी पहले उम्मीद की जा रही थी. ऐसे में रेलवे चाहता है कि उसे अतिरिक्त बजटीय सहायता मिले तो वह रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर भी कार्य कर सकेगा. 

निजी क्षेत्र मिल सकती है हिस्सेदारी

भारतीय रेलवे में अब निजी क्षेत्र को भी हिस्सेदारी मिल सकती है. हालांकि अभी इस बात की चर्चा रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने की है, लेकिन इसका फैसला कब तक होगा इस बारे में फिलहाल किसी तरह की जानकारी नहीं मिल पाई है. रेलवे के सूत्र बताते हैं कि यात्री ट्रेनों एवं मालगाड़ियों के परिचालन में निजी ऑपरेटरों को अनुमति देने पर विचार हो रहा है. 

रेल बजट का प्रावधान खत्म

दरअसल मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रेल बजट को भी आम बजट का ही हिस्सा बना दिया गया है. जब 2017-18 का आम बजट पेश किया गया था, तब पहली बार ऐसा हुआ था कि रेल बजट को अलग से पेश नहीं किया गया था. पहला रेल बजट 1924 में पेश किया गया था. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के नाम सबसे ज्यादा बार रेल बजट पेश करने का रिकॉर्ड है. लालू यादव ने 6 बार रेल बजट पेश किया है. ममता बनर्जी रेल बजट पेश करने वाली पहली महिला रेल मंत्री हैं, 2002 में उन्होंने रेल बजट पेश किया था. वहीं, सुरेश प्रभु अंतिम रेल मंत्री हैं, जिन्‍होंने 2016 में  अंतिम बार रेल बजट पेश किया.

 


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