भोपाल। PM नरेन्द्र मोदी भोपाल की यात्रा पर आने वाले हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं. राज्य स्तर पर तो जवान तैनात रहते ही हैे, लेकिन सबसे नजदीकी सुरक्षा घेरा SPG का होता है. जिस पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी होती है. आइए जानते हैं क्या होती है SPG सुरक्षा और कौन होते हैं इसमें शामिल कमांडो.
पीएम मोदी की सुरक्षा SPG के हवाले
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा को लेकर पुलिस अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की तैयारी में जुटे हैं. माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यात्रा को लेकर बुधवार को SPG की टीम भोपाल पहुंच जाएगी. एसपीजी के अधिकारी भोपाल आने के पीएम के पूरे रूट और उनके प्रोग्राम स्थल का सिक्योरिटी ऑडिट करके उसे अपने अंडर में ले लेंगे.
SPG दुनिया की सबसे ताकतवर सुरक्षा बलों में से है
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानि SPG को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे ताकतवर सुरक्षा बलों में से एक माना जाता है. रिटायर्ड डीजी सुभाष अत्रे बताते हैं कि एसपीजी की सबसे खास बात ये होती है कि इसमें किसी भी जवान या फिर अधिकारी की नियुक्ति सीधे नहीं होती, बल्कि इसके लिए भारतीय पुलिस सेवा, सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में कार्यरत जवानों और अधिकारियों को निर्धारित समय के लिए एसपीजी में भर्ती किया जाता है. इसके लिए इन्हें कड़ी फिजिकल ट्रेनिंग से गुजरना होता है. इन्हें इस तरह से ट्रेंड किया जाता है, ताकि वे किसी भी परिस्थिति में देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा कर सकें. इन्हें एसपीजी में सिर्फ छह महीने के लिए ही रखा जाता है. इसके बाद उन्हें वापस मूल विभाग में भेज दिया जाता है.
सिर्फ देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा करती है SPG
एसपीजी का गठन के लिए 2 जून 1988 को किया गया. पहले मौजूदा प्रधानमंत्री के अलावा पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी एसपीजी की सुरक्षा मुहैया कराई जाती थी, लेकिन अब एसपीजी देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ही जिम्मा ही संभालती है. इसके लिए मोदी सरकार ने अधिनियम में संशोधन किया है.
कैसे काम करती है SPG
SPG के जवानों को वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. ये वही ट्रेनिंग है जो युनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दी जाती है. हमले की सूरत में सेकंड कार्डन की जिम्मेदारी होती है कि वह पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े जवानों को सिक्यॉरिटी कवर दें, ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. SPG के जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं, जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है. इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होती है.
कैसे हुआ गठन
1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा पुलिस उपायुक्त (DCP) के प्रभारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले की जिम्मेदारी हुआ करती थी. अक्टूबर 1981 में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा, नई दिल्ली में और नई दिल्ली के बाहर प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया. अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तय किया गया कि एक विशेष समूह को प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दारोमदार संभालना चाहिए. इसके बाद एसपीजी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई. 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की. मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश पेश की. 30 मार्च 1985, को भारत के राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट के लिए 819 पदों का निर्माण किया. इसे नाम दिया गया स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप.
अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं SPG के कमांडो
- एसपीजी के कमांडो ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असाॅल्ट रायफल से लैस होते हैं, इसके अलावा इनके पास ग्लाॅक 17 पिस्टल भी होती है.
- एसपीजी के जवान बुलट प्रूफ जैकेट पहने होते हैं.बताया जाता है इस जैकेट को एके 47 की बुलेट भी नहीं भेद सकती.
- एसपीजी के सभी जवान ईयर फोन से आपस में हमेशा कॉन्टेक्ट में रहते हैं.
- जवान हमेशा काले कलर का खास चश्मा पहनते हैं, ताकि उनके आई कांटेक्ट को दूसरा कोई व्यक्ति न देख सके.
- एसपीजी के जवान हमेशा पीएम को एक सुरक्षा घेरा देते हैं, इसे कोई नहीं भेद सकता.
काला सूटकेस होता है बेहद खास
पीएम के आसपास तैनात एसपीजी के कुछ जवान हमेशा काले रंग का एक ब्रीफकेस लेकर चलते देखे जाते हैं. यह ब्रीफकेस बेहद ही खास होता है. खतरे के समय या फिर यदि कोई हमला होता है तो एसपीजी के जवान इसे खोल देते हैं. जिसके बाद यह सूटकेस पीएम को ऊपर से नीचे तक ढंक लेता है. यह शील्ड पूरी तरह से बुलेट प्रूफ होती है.
पीएम की सुरक्षा के होते हैं पांच चक्र
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री की सुरक्षा के पांच चक्र होते हैं. शुरूआत के दो चरण पुलिस के होते हैं. इसके बाद बाकी तीन सुरक्षा चक्र एसपीजी के होते हैं. प्रधानमंत्री के सबसे करीबी घेरा एसपीजी का ही होता है.