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हालात कठिन हैं, बेकाबू नहीं: कोरोना की चुनौती से मिलकर लड़ेंगे

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हालात कठिन हैं, बेकाबू नहीं. ये हमारे लिए ही नहीं पूरे देश के लिए बड़ी चुनौती है. ईटीवी भारत ने कोरोना संक्रमण और अस्पतालों में व्यवस्था पर मंत्री विश्वास सारंग से EXCLUSIVE बातचीत की.

exclusive interview of vishwas sarang
मंत्री विश्वास सारंग से exclusive बातचीत
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Published : Apr 27, 2021, 11:08 PM IST

भोपाल। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कोरोना महामारी मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए बड़ी चुनौती है. सरकार पूरी ताकत से व्यवस्था बनाने में जुटी है. ईटीवी भारत से EXCLUSIVE बातचीत में विश्वास सारंग ने कहा कि महामारी में हर व्यवस्था छोटी लगती है. लेकिन हम एकजुटता के साथ कोरोना से जंग जीतेंगे. मंत्री विश्वास सारंग से EXCLUSIVE बात की ईटीवी भारत मध्यप्रदेश के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी ने.

हालात कठिन हैं, बेकाबू नहीं-विश्वास सारंग

सवाल- हालात बेकाबू हैं. दवाइयों की कमी है, बेड्स की कमी है, ऑक्सीजन की कमी है. कैसे निपटेंगे इस हालात से ?

जवाब- बेकाबू हालात कहना ठीक नहीं है. चुनौतियां हैं. ये चुनौती सिर्फ मध्यप्रदेश के लिए नहीं हैं, पूरे देश के लिए हैं. ऑक्सीजन के निर्माण की एक लिमिटेशन है. रेमडेसिविर के मामले में भी यही स्थिति है. ये बीमारी नहीं हैं, ये महामारी है. महामारी में हमें हर व्यवस्था छोटी लगती है. आज की डेट में जितनी हमें ऑक्सीजन की जरूरत है, उतनी हम आपूर्ति कर पा रहे हैं.

सवाल- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था, कि 37 जिलों में हम ऑक्सीजन प्लांट शुरु करने वाले हैं. अब क्या स्थिति है इस समय?

जवाब- हम हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने वाले हैं. इस पर काम भी शुरु हो गया है.कुछ इस महीने में शुरु कर देंगें, कुछ अगले महीने में शुरु कर देंगे.तीन महीने में हम हर जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्लांट शुरु कर देंगे.

सवाल- कुछ पुरानी इंडस्ट्रीज हैं. जैसे मालनपुर की इंडस्ट्री है. 90 मीट्रिक टन उसकी केपेसिटी है. लेकिन वो बंद पड़ी है. ईटीवी ने इस खबर को दिखाया था. क्या कोई योजना है ऐसी इंडस्ट्री को रिवाइव करने की?

जवाब- केवल इंडस्ट्रीज नहीं. ऑक्सीजन के सभी वैकल्पिक उपायों पर हम विचार कर रहे हैं. ऑक्सीजन सपोर्ट वाले सभी बिस्तरों पर ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर लगाने की योजना है.जैसे बीना की फैक्ट्री में दो प्लांट्स में 90-90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन बनती है. मुख्यमंत्री जी ने भी कहा है कि कुआं जो है प्यासे के पास पहुंच गया है.

सवाल- क्या ऐसा हो सकता है कि जहां ऑक्सीजन प्लांट है, वहीं कोविड केयर सेंटर बना दें?

जवाब- बीना में कोविड केयर सेंटर नहीं, 1000 बिस्तर का अस्पताल बना रहे हैं. यहां 180 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलेगी.

सवाल- मौतें बढ़ रही हैं, अस्पतालों में अव्यवस्थाएं भी चल रही हैं. हर कोई कहता है कि ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, दवा नहीं मिल रही है, पैरामेडिकल स्टाफ सेवा नहीं कर पा रहा है. इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे?

जवाब- चुनौतियां हैं, कमी नहीं बोलना चाहिए. हर चीज की एक लिमिट है.पूरे देश में डॉक्टर कम हैं.इसलिए प्रधानमंत्री जी ने एक योजना बनाई थी, कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो.नर्सिंग स्टाफ, पैरा मेडिकल स्टाफ की हम पेरेलल ट्रेनिंग कर रहे हैं. उस फोर्स को हम तैयार कर रहे हैं. चुनौतियों का हम भरपूर सामना कर रहे हैं. हम इस पर जीत हासिल करेंगे.

सवाल- कोरोना वॉरियर्स को लेकर बड़ा कंफ्यूजन है.हर कर्मचारी कह रहा है कि हमें कोरोना वॉरियर बनना चाहिए. आपकी नजर में किसे कोरोना वॉरियर माना जाए?

जवाब- सीधी बात है, जो कोरोना की जंग में फ्रंट पर आकर काम करे, वो कोरोना वॉरियर है.जो अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाए, वो कोरोना वॉरियर है.

सवाल- भारत आयुर्वेद का प्रदाता है. आयुर्वेद से कोरोना काबू में आ सकता है कि नहीं. अगर हो सकता है कि हम क्या कर सकते हैं इसके लिए?

जवाब- आयुर्वेद और ऐसी हमारी कई पुरानी पद्धतियां हैं, जो लोगों की इम्यूनिटी को बढ़ाती हैं.वो निश्चित रूप से कारगर है. काढ़े का हमने मुफ्त में वितरण किया है. फिर से हम वितरण कर रहे हैं. अभी हमने नया कार्यक्रम शुरु किया है योग से निरोग. योग, ध्यान, आध्यात्म हमारी पुरानी पद्धतियां हैं. जो मानसिक रूप से भी व्यक्ति को सुदृढ़ बनाते हैं. कोरोना में व्यक्ति शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी टूटता है. ये पद्धतियां मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं. हम इनका उपयोग कर रहे हैं.

सवाल- कोरोना में लोग मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर हो रहे हैं. हम इसमें क्या कर रहे हैं ?

जवाब- हमने सुनिश्चित किया है कि कोरोना वार्ड में मनोचिकित्सक जाएं और मरीजों की काउंसलिंग करें. इस महामारी में मरीज का मनोबल टूटता है. सांस कम आती है, तो उसे लगता है वो जाने वाला है. ये सीधा सीधा व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है.इसलिए हमने मनोचिकित्सकों की ड्यूटी लगाई है. लोग गायत्री मंत्र का उच्चारण करें, लोग रामायण देखें. लोग इस तरह मानसिक रूप से मजबूत हों.

सवाल- भोपाल के हवेली हॉस्पिटल ने एक शुरुआत की है. वहां वीडियो के जरिए मरीजों और उनके परिजनों के बीच बातचीत करवाई जाती है. इस प्रयोग को आप पूरे प्रदेश में करनी की सोच रहे हैं ?

जवाब- हमारा प्रयास है कि कम से कम एक बार मरीज और उसके परिजनों के बीच किसी भी माध्यम से बातचीत हो. जो पिछला दौर था कोरोना का. उसमें भी हमने ये प्रयोग किया था. इस बीमारी में सबसे बड़ी दिक्कत अकेलेपन की है. इसमे मरीज को अकेले लड़ना है. परिजन उसके साथ नहीं रह सकते. संक्रमण की बीमारी में कोई साथ में रह नहीं सकता . मरीज और परिजन की बातचीत का ये प्रयोग काफी सफल रहा है.

सवाल- समाज में panic फैल रहा है. कोरोना ग्रामीण क्षेत्र तक फैल गया है. सीएम ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कर्फ्यू लगाएं. शहरी क्षेत्रों में कोरोना कर्फ्यू लगाएं. कर्फ्यू का ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है. क्या पाबंदियां और बढ़ाने का विचार है ?

जवाब- कोरोना कर्फ्यू का मकसद ये हैं कि हम स्वयं अनुशासित होकर इसका पालन करें.हम टोटल लॉकडाउन नहीं लगा रहे हैं. क्योंकि अर्थव्यवस्था भी देखनी है, रोज कमाने खाने वालों की भी सोचना है.अगर हम कोरोना चेन को नहीं तोड़ेंगे, तो किसी भी व्यवस्था को व्यवस्थित नहीं कर पाएंगे. मैंने भोपाल में विभिन्न लोगों से वीडियो के जरिए बातचीत की. मैंने सबसे निवेदन किया है कि हम स्वयं से अपना कर्फ्यू लागू करें. कोरोना को लड़ाई को जीतना है, तो केवल संक्रमण की चेन को तोड़ना है.

सवाल- उद्योगों की हालत खराब है. प्रोडक्शन तो हो रहा है लेकिन बेचें कहां. सरकार इन लोगों का क्या रियायत दे पाएगी ?

जवाब- ये अभी temporary व्यवस्था है. समय के साथ ठीक हो जाएगी.हमें लोगों की जान भी बचानी है. प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि जान भी है, जहान भी है. जान बचाने का भी काम किया जाएगा. जहान चल सके, इसका भी ध्यान रखना होगा.

सवाल- कोरोना की दूसरी के बाद तीसरी वेव भी आ सकती है.क्या तैयारी कर सकती है इसके लिए ?

जवाब- सेकेंड वेव का किसी को भी आभास नहीं था. हम पूरी तैयारी करेंगे और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेंगे.ये सुनिश्चित करेंगी कि संक्रमण की कोई भी बीमारी आए, तो हम उसका मुकाबला कर सकेंगे.

भोपाल। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कोरोना महामारी मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए बड़ी चुनौती है. सरकार पूरी ताकत से व्यवस्था बनाने में जुटी है. ईटीवी भारत से EXCLUSIVE बातचीत में विश्वास सारंग ने कहा कि महामारी में हर व्यवस्था छोटी लगती है. लेकिन हम एकजुटता के साथ कोरोना से जंग जीतेंगे. मंत्री विश्वास सारंग से EXCLUSIVE बात की ईटीवी भारत मध्यप्रदेश के ब्यूरो चीफ विनोद तिवारी ने.

हालात कठिन हैं, बेकाबू नहीं-विश्वास सारंग

सवाल- हालात बेकाबू हैं. दवाइयों की कमी है, बेड्स की कमी है, ऑक्सीजन की कमी है. कैसे निपटेंगे इस हालात से ?

जवाब- बेकाबू हालात कहना ठीक नहीं है. चुनौतियां हैं. ये चुनौती सिर्फ मध्यप्रदेश के लिए नहीं हैं, पूरे देश के लिए हैं. ऑक्सीजन के निर्माण की एक लिमिटेशन है. रेमडेसिविर के मामले में भी यही स्थिति है. ये बीमारी नहीं हैं, ये महामारी है. महामारी में हमें हर व्यवस्था छोटी लगती है. आज की डेट में जितनी हमें ऑक्सीजन की जरूरत है, उतनी हम आपूर्ति कर पा रहे हैं.

सवाल- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था, कि 37 जिलों में हम ऑक्सीजन प्लांट शुरु करने वाले हैं. अब क्या स्थिति है इस समय?

जवाब- हम हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने वाले हैं. इस पर काम भी शुरु हो गया है.कुछ इस महीने में शुरु कर देंगें, कुछ अगले महीने में शुरु कर देंगे.तीन महीने में हम हर जिले में कम से कम एक ऑक्सीजन प्लांट शुरु कर देंगे.

सवाल- कुछ पुरानी इंडस्ट्रीज हैं. जैसे मालनपुर की इंडस्ट्री है. 90 मीट्रिक टन उसकी केपेसिटी है. लेकिन वो बंद पड़ी है. ईटीवी ने इस खबर को दिखाया था. क्या कोई योजना है ऐसी इंडस्ट्री को रिवाइव करने की?

जवाब- केवल इंडस्ट्रीज नहीं. ऑक्सीजन के सभी वैकल्पिक उपायों पर हम विचार कर रहे हैं. ऑक्सीजन सपोर्ट वाले सभी बिस्तरों पर ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर लगाने की योजना है.जैसे बीना की फैक्ट्री में दो प्लांट्स में 90-90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन बनती है. मुख्यमंत्री जी ने भी कहा है कि कुआं जो है प्यासे के पास पहुंच गया है.

सवाल- क्या ऐसा हो सकता है कि जहां ऑक्सीजन प्लांट है, वहीं कोविड केयर सेंटर बना दें?

जवाब- बीना में कोविड केयर सेंटर नहीं, 1000 बिस्तर का अस्पताल बना रहे हैं. यहां 180 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिलेगी.

सवाल- मौतें बढ़ रही हैं, अस्पतालों में अव्यवस्थाएं भी चल रही हैं. हर कोई कहता है कि ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, दवा नहीं मिल रही है, पैरामेडिकल स्टाफ सेवा नहीं कर पा रहा है. इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे?

जवाब- चुनौतियां हैं, कमी नहीं बोलना चाहिए. हर चीज की एक लिमिट है.पूरे देश में डॉक्टर कम हैं.इसलिए प्रधानमंत्री जी ने एक योजना बनाई थी, कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो.नर्सिंग स्टाफ, पैरा मेडिकल स्टाफ की हम पेरेलल ट्रेनिंग कर रहे हैं. उस फोर्स को हम तैयार कर रहे हैं. चुनौतियों का हम भरपूर सामना कर रहे हैं. हम इस पर जीत हासिल करेंगे.

सवाल- कोरोना वॉरियर्स को लेकर बड़ा कंफ्यूजन है.हर कर्मचारी कह रहा है कि हमें कोरोना वॉरियर बनना चाहिए. आपकी नजर में किसे कोरोना वॉरियर माना जाए?

जवाब- सीधी बात है, जो कोरोना की जंग में फ्रंट पर आकर काम करे, वो कोरोना वॉरियर है.जो अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाए, वो कोरोना वॉरियर है.

सवाल- भारत आयुर्वेद का प्रदाता है. आयुर्वेद से कोरोना काबू में आ सकता है कि नहीं. अगर हो सकता है कि हम क्या कर सकते हैं इसके लिए?

जवाब- आयुर्वेद और ऐसी हमारी कई पुरानी पद्धतियां हैं, जो लोगों की इम्यूनिटी को बढ़ाती हैं.वो निश्चित रूप से कारगर है. काढ़े का हमने मुफ्त में वितरण किया है. फिर से हम वितरण कर रहे हैं. अभी हमने नया कार्यक्रम शुरु किया है योग से निरोग. योग, ध्यान, आध्यात्म हमारी पुरानी पद्धतियां हैं. जो मानसिक रूप से भी व्यक्ति को सुदृढ़ बनाते हैं. कोरोना में व्यक्ति शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से भी टूटता है. ये पद्धतियां मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं. हम इनका उपयोग कर रहे हैं.

सवाल- कोरोना में लोग मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर हो रहे हैं. हम इसमें क्या कर रहे हैं ?

जवाब- हमने सुनिश्चित किया है कि कोरोना वार्ड में मनोचिकित्सक जाएं और मरीजों की काउंसलिंग करें. इस महामारी में मरीज का मनोबल टूटता है. सांस कम आती है, तो उसे लगता है वो जाने वाला है. ये सीधा सीधा व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है.इसलिए हमने मनोचिकित्सकों की ड्यूटी लगाई है. लोग गायत्री मंत्र का उच्चारण करें, लोग रामायण देखें. लोग इस तरह मानसिक रूप से मजबूत हों.

सवाल- भोपाल के हवेली हॉस्पिटल ने एक शुरुआत की है. वहां वीडियो के जरिए मरीजों और उनके परिजनों के बीच बातचीत करवाई जाती है. इस प्रयोग को आप पूरे प्रदेश में करनी की सोच रहे हैं ?

जवाब- हमारा प्रयास है कि कम से कम एक बार मरीज और उसके परिजनों के बीच किसी भी माध्यम से बातचीत हो. जो पिछला दौर था कोरोना का. उसमें भी हमने ये प्रयोग किया था. इस बीमारी में सबसे बड़ी दिक्कत अकेलेपन की है. इसमे मरीज को अकेले लड़ना है. परिजन उसके साथ नहीं रह सकते. संक्रमण की बीमारी में कोई साथ में रह नहीं सकता . मरीज और परिजन की बातचीत का ये प्रयोग काफी सफल रहा है.

सवाल- समाज में panic फैल रहा है. कोरोना ग्रामीण क्षेत्र तक फैल गया है. सीएम ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कर्फ्यू लगाएं. शहरी क्षेत्रों में कोरोना कर्फ्यू लगाएं. कर्फ्यू का ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है. क्या पाबंदियां और बढ़ाने का विचार है ?

जवाब- कोरोना कर्फ्यू का मकसद ये हैं कि हम स्वयं अनुशासित होकर इसका पालन करें.हम टोटल लॉकडाउन नहीं लगा रहे हैं. क्योंकि अर्थव्यवस्था भी देखनी है, रोज कमाने खाने वालों की भी सोचना है.अगर हम कोरोना चेन को नहीं तोड़ेंगे, तो किसी भी व्यवस्था को व्यवस्थित नहीं कर पाएंगे. मैंने भोपाल में विभिन्न लोगों से वीडियो के जरिए बातचीत की. मैंने सबसे निवेदन किया है कि हम स्वयं से अपना कर्फ्यू लागू करें. कोरोना को लड़ाई को जीतना है, तो केवल संक्रमण की चेन को तोड़ना है.

सवाल- उद्योगों की हालत खराब है. प्रोडक्शन तो हो रहा है लेकिन बेचें कहां. सरकार इन लोगों का क्या रियायत दे पाएगी ?

जवाब- ये अभी temporary व्यवस्था है. समय के साथ ठीक हो जाएगी.हमें लोगों की जान भी बचानी है. प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि जान भी है, जहान भी है. जान बचाने का भी काम किया जाएगा. जहान चल सके, इसका भी ध्यान रखना होगा.

सवाल- कोरोना की दूसरी के बाद तीसरी वेव भी आ सकती है.क्या तैयारी कर सकती है इसके लिए ?

जवाब- सेकेंड वेव का किसी को भी आभास नहीं था. हम पूरी तैयारी करेंगे और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेंगे.ये सुनिश्चित करेंगी कि संक्रमण की कोई भी बीमारी आए, तो हम उसका मुकाबला कर सकेंगे.

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