भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, जिसका सीधा असर प्रदेश की सियासी गतिविधियों पर पड़ा है, राज्यसभा के उपचुनाव पहले ही रद्द हो चुके हैं तो अब नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों पर भी संशय बढ़ गया है. निकाय और पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने की वजह से यहां प्रशासक काम कर रहे हैं. प्रशासक का काम शासकीय अधिकारी देख रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव आगे बढ़ सकते हैं.
प्रदेश के लगभग सभी निकायों और पंचायतों के कार्यकाल खत्म हो चुके हैं. पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के निकाय चुनावों की प्रक्रिया में बदलाव किया, जिससे चुनाव आगे बढ़ गए, तो अब कोरोना के चलते चुनाव और आगे बढ़ने के आसार हैं. इन सभी निकायों में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं. इसलिए बताया जा रहा है कि अब निकाय चुनाव और आगे बढ़ाए जा सकते हैं.
2021 में हो सकते हैं प्रदेश के निकाय चुनाव
सूत्रों की माने तो प्रदेश में कोरोना वायरस निपटने के बाद भी सभी विभागों के कामों की रफ्तार पटरी पर लोटने में वक्त लग सकता है. ऐसे में निकाय चुनाव अब और आगे बढ़ सकते. दरअसल, निकाय चुनावों के अलावा प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने है, प्रदेश में फिर वापसी करने वाली बीजेपी सरकार निकाय और पंचायत चुनावों से पहले विधानसभा के उपचुनावों को प्राथमिकता दे सकती है.
गर्मियों का सीजन खत्म होने के बाद बारिश के मौसम में निकाय चुनाव कराना चुनौतियों भरा होगा. ऐसे में निकाय चुनाव अगले साल भी आगे बढ़ने की पूरी उम्मीद है. क्योंकि निकाय चुनाव से संबंधित अभी तक कोई प्रक्रिया शुरु नहीं हो पाई. न तो मतदाता सूंची तैयार हुई और क्षेत्रों की जानकारियां. जिससे निर्वाचन का काम पिछड़ा है. यही वजह है कि निकाय चुनाव आगे बढ़ सकते हैं.
लंबी है प्रदेश के निकाय चुनावों की प्रक्रिया
मध्य प्रदेश में 16 नगर-निगम, 98 नगर पालिका, 294 नगर परिषद है. इसी तरह 23 हजार 922 पंचायतें, 313 जनपद और 52 जिला पंचायतें हैं. जिससे प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनावों को संपन्न कराने में वक्त लगता है. जबकि कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए बदलाव को बीजेपी जारी रखती है या नहीं इस पर भी संस्पेंस बरकरार है.