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Ujjain Mahakal Lok: आस्था के साथ महाकाल लोक के कितने असर, 2023 में चमकेगी किसकी किस्मत?

मंगलवार को उज्जैन में भव्य आयोजन होगा, जिसमें पीएम मोदी शामिल होंगे. 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित 856 करोड़ रुपये के महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करने वाले हैं. कहा जा रहा है कि महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद से मध्यप्रदेश के पर्यटन में बढ़ावा होगा.

PM MODI VISIT UJJAIN
महाकाल लोक
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Published : Oct 10, 2022, 11:02 PM IST

भोपाल। बीजेपी मौके की अहमियत बखूबी समझती है. कौन सा समय ठीक और कब क्या संदेश देना है, बीजेपी का इस मामले में कोई सानी नहीं. मांडू में पार्टी का प्रशिक्षण वर्ग हो या उज्जैन में महाकाल लोक को देश को समर्पित करने का मौका. बीजेपी उस वक्त ये भव्य आयोजन करने जा रही है, जब एमपी चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. बेशक महाकाल लोक के साथ केवल उज्जैन देश ही नहीं दुनिया के नक्शे पर नए सिरे से आ जाएगा और महाकाल लोक उज्जैन के धार्मिक पर्यटन में अपना असर दिखाएगा. लेकिन क्या बदलाव केवल इतना ही होगा. जिस जमीन पर लिखा जा रहा ये इतिहास, वो भला कैसे अछूता रह जाएगा. तो सवाल ये कि, महाकाल लोक आने वाले समय में पहले मालवा निमाड़ और फिर एमपी की चुनावी सियासत पर क्या असर दिखाएगा. मालवा निमाड़ के लिए यूं भी कहा जाता है कि, यहां जिसने पकड़ बनाई, उसी दल ने फिर सत्ता की कुर्सी पाई है.

2023 के पहले महाकाल लोक: एक हिंदू आस्थावान वोटर की निगाह से महाकाल लोक के पूरे प्लान को देखिए. ये महाकाल लोक केवल महाकाल की आस्था का विस्तार भर नहीं है. ये वोटर तक बीजेपी का ये संदेश भी है कि, मध्यप्रदेश में अपने वोटर को तीर्थ यात्रा कराने वाली बीजेपी की सरकार में उस प्रदेश के आस्था के स्थलों का कायाकल्प कर देने की काबिलियत है. ये बीजेपी की सरकार में ही हुआ है कि, मध्यप्रदेश धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर दिखाई दे रहा है. महाकाल लोक में भगवान शिव की कहानियों के किस्सों में सीएम शिवराज के कार्यकाल के हिस्से भी आएंगे. ये तय जानिए और संदेश ये भी दिया जाएगा कि, अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत महाकाल से करने वाली बीजेपी का उज्जैन से नाता केवल सियासी नहीं है. वैचारिक महाकुंभ से लेकर महाकाल लोक तक महाकाल और उज्जैन को दुनिया के नक्शे पर लाने का कोई मौका शिवराज सरकार ने नहीं छोड़ा.

Mahakal Lok: अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होगी महाकाल लोक की धूम, MP के पर्यटन को मिलेगा बूम

महाकाल लोक से क्या बदलेगा मालवा का नक्शा: मालवा निमाड़ वो इलाका है, जिसे आरएसएस की नर्सरी भी कहा जाता रहा है. इस लिहाज से ये पूरा इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता इसी इलाके से हैं और यही वो इलाका 2003 के बाद से जहां बीजेपी को मिली जीत ने मध्यप्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने का रास्ता मजबूत किया है. मालवा निमाड़ दोनों इलाके मिला लिए जाएँ, तो यहां विधानसभा की करीब 67 सीटे हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में मालवा निमाड़ की 57 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी और करीब दस सीटें कांग्रेस के हिस्से आ पाई थीं. 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता बीजेपी के हाथ से सत्ता खिसक जाने की बड़ी वजह ग्वालियर चंबल के बाद मालवा निमाड़ का ये इलाका ही रहा, जहां 67 सीटो में से 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. करीब 28 सीटें बीजेपी के खाते में आई. इस लिहाज से देखा जाए तो महाकाल से चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाली बीजेपी सरकार मे चुनाव से पहले महाकाल लोक का उद्घाटन बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है.

दुनिया के नक्शे पर नए ढंग से दिखेंगें महाकाल: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, महाकाल लोक के असर को मालवा निमाड़ में समेट कर नहीं देखा जा सकता, असर तो पूरे मध्यप्रदेश पर पड़ेगा. आर्थिक रुप से देखिए तो धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. महाकाल की अपनी प्रतिष्ठा है, देश दुनिया में नाम है उनका. महाकाल लोक के साथ तय है कि, केवल उज्जैन नहीं पूरा मध्यप्रदेश विश्व के मानचित्र पर नए ढंग से रेखांकित होगा.

भोपाल। बीजेपी मौके की अहमियत बखूबी समझती है. कौन सा समय ठीक और कब क्या संदेश देना है, बीजेपी का इस मामले में कोई सानी नहीं. मांडू में पार्टी का प्रशिक्षण वर्ग हो या उज्जैन में महाकाल लोक को देश को समर्पित करने का मौका. बीजेपी उस वक्त ये भव्य आयोजन करने जा रही है, जब एमपी चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. बेशक महाकाल लोक के साथ केवल उज्जैन देश ही नहीं दुनिया के नक्शे पर नए सिरे से आ जाएगा और महाकाल लोक उज्जैन के धार्मिक पर्यटन में अपना असर दिखाएगा. लेकिन क्या बदलाव केवल इतना ही होगा. जिस जमीन पर लिखा जा रहा ये इतिहास, वो भला कैसे अछूता रह जाएगा. तो सवाल ये कि, महाकाल लोक आने वाले समय में पहले मालवा निमाड़ और फिर एमपी की चुनावी सियासत पर क्या असर दिखाएगा. मालवा निमाड़ के लिए यूं भी कहा जाता है कि, यहां जिसने पकड़ बनाई, उसी दल ने फिर सत्ता की कुर्सी पाई है.

2023 के पहले महाकाल लोक: एक हिंदू आस्थावान वोटर की निगाह से महाकाल लोक के पूरे प्लान को देखिए. ये महाकाल लोक केवल महाकाल की आस्था का विस्तार भर नहीं है. ये वोटर तक बीजेपी का ये संदेश भी है कि, मध्यप्रदेश में अपने वोटर को तीर्थ यात्रा कराने वाली बीजेपी की सरकार में उस प्रदेश के आस्था के स्थलों का कायाकल्प कर देने की काबिलियत है. ये बीजेपी की सरकार में ही हुआ है कि, मध्यप्रदेश धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर दिखाई दे रहा है. महाकाल लोक में भगवान शिव की कहानियों के किस्सों में सीएम शिवराज के कार्यकाल के हिस्से भी आएंगे. ये तय जानिए और संदेश ये भी दिया जाएगा कि, अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत महाकाल से करने वाली बीजेपी का उज्जैन से नाता केवल सियासी नहीं है. वैचारिक महाकुंभ से लेकर महाकाल लोक तक महाकाल और उज्जैन को दुनिया के नक्शे पर लाने का कोई मौका शिवराज सरकार ने नहीं छोड़ा.

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महाकाल लोक से क्या बदलेगा मालवा का नक्शा: मालवा निमाड़ वो इलाका है, जिसे आरएसएस की नर्सरी भी कहा जाता रहा है. इस लिहाज से ये पूरा इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता इसी इलाके से हैं और यही वो इलाका 2003 के बाद से जहां बीजेपी को मिली जीत ने मध्यप्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने का रास्ता मजबूत किया है. मालवा निमाड़ दोनों इलाके मिला लिए जाएँ, तो यहां विधानसभा की करीब 67 सीटे हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में मालवा निमाड़ की 57 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी और करीब दस सीटें कांग्रेस के हिस्से आ पाई थीं. 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता बीजेपी के हाथ से सत्ता खिसक जाने की बड़ी वजह ग्वालियर चंबल के बाद मालवा निमाड़ का ये इलाका ही रहा, जहां 67 सीटो में से 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. करीब 28 सीटें बीजेपी के खाते में आई. इस लिहाज से देखा जाए तो महाकाल से चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाली बीजेपी सरकार मे चुनाव से पहले महाकाल लोक का उद्घाटन बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है.

दुनिया के नक्शे पर नए ढंग से दिखेंगें महाकाल: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, महाकाल लोक के असर को मालवा निमाड़ में समेट कर नहीं देखा जा सकता, असर तो पूरे मध्यप्रदेश पर पड़ेगा. आर्थिक रुप से देखिए तो धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. महाकाल की अपनी प्रतिष्ठा है, देश दुनिया में नाम है उनका. महाकाल लोक के साथ तय है कि, केवल उज्जैन नहीं पूरा मध्यप्रदेश विश्व के मानचित्र पर नए ढंग से रेखांकित होगा.

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