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Toota Tiger Book का खुलासा, 2006 में मनमोहन सरकार ने श्री श्री रविशंकर के श्रीलंका में शांति के प्रयासों को रोका था

श्रीलंका में जो स्थिति निर्मित है, ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती अगर 2006 में मनमोहन सरकार श्री श्री रविशंकर को एलटीटी और श्रीलंका सरकार के बीच बातचीत करने देती, लेकिन मनमोहन सरकार ने तब यह कहकर रविशंकर जी को मना कर दिया था कि तमिलनाडु में चुनाव है, इसलिए अभी बातचीत नहीं की जाएगी. यह खुलासा श्रीलंका की स्थिति पर लिखी किताब 'टूटा टाईगर' में श्री श्री रविशंकर के सहयोगी स्वामी विरुपाक्ष ने किया है, इस दौरान उन्होंने बताया कि श्रीलंका में अभी भी रामायण काल के साक्षय हैं, जिसमें सीता जी के स्नान के लिए बना कुंडा आज भी मौजूद है. Toota Tiger Book

Toota Tiger Book
स्वामी विरुपाक्ष लेखक टूटा टाइगर
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Published : Sep 4, 2022, 7:36 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 6:56 PM IST

भोपाल। श्रीलंका में जिस तरह से गृह युद्ध हुआ है और आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है उसका एक कारण यह भी है कि वहां पर जिस तरह से एलटीटी का साम्राज्य रहा और सरकार से लेकर उसका लगातार युद्ध चला. इस युद्ध को विराम देने के लिए 2006 में श्रीलंका सरकार ने श्री श्री रविशंकर से शांति की पहल की बात कही थी और रविशंकर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के हेड प्रभाकरन और श्री लंका सरकार के बीच सामंजस भी कराने जा रहे थे, लेकिन तब की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने इस पर यह कहते हुए विराम लगा दिया कि तमिलनाडु में चुनाव है, इसलिए आप नहीं जाइए. यह खुलासा श्री श्री रविशंकर के सहयोगी स्वामी विरुपाक्ष ने अपनी किताब में किया है. 'टूटा टाइगर' नाम से हिंदी की इस किताब में श्रीलंका के लिए श्री श्री रविशंकर द्वारा किए गए शांति प्रयासों की कई कहानियां समाहित है. Toota Tiger Book

2006 में मनमोहन सरकार ने श्री श्री रविशंकर के श्रीलंका में शांति के प्रयासों को रोका था

श्रीलंका में मिलते हैं रामायण काल के साक्ष्य: टूटा टाइगर के लेखक स्वामी विरुपाक्ष ने बताया कि 2006 के बाद से 2009 के बीच में श्री श्री रविशंकर के अपहरण का प्रयास भी एलटीटीई द्वारा किया जा रहा था, इसका खुलासा भी उन्होंने अपनी किताब में किया है. विरुपाक्ष 2004 से लेकर 2013 के बीच श्रीं लंका रहे हैं और वहां पर आर्ट ऑफ लिविंग की ट्रेनिंग भी दिया करते थे, इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राम पथ गमन और राम के अस्तित्व श्रीलंका में कैसे हैं, इसको लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि श्रीलंका के कुछ लोग मानते हैं कि राम वहां आए थे, जबकि कुछ नहीं मानते. जिनकी संख्या कम है, लेकिन आज भी वहां प्रमाण रामायण काल के मौजूद हैं, जिसमें सीता जी के स्नान का कुंड बना है. जिसे ये खुद भी देख कर आये थे. इसके साथ ही 225 में पेज की इस किताब को हिंदी अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित किया गया है, जिसमें श्री श्री रविशंकर के श्रीलंका के दौरान किए गए योगदान को लिखा है.

भोपाल। श्रीलंका में जिस तरह से गृह युद्ध हुआ है और आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है उसका एक कारण यह भी है कि वहां पर जिस तरह से एलटीटी का साम्राज्य रहा और सरकार से लेकर उसका लगातार युद्ध चला. इस युद्ध को विराम देने के लिए 2006 में श्रीलंका सरकार ने श्री श्री रविशंकर से शांति की पहल की बात कही थी और रविशंकर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के हेड प्रभाकरन और श्री लंका सरकार के बीच सामंजस भी कराने जा रहे थे, लेकिन तब की तत्कालीन मनमोहन सरकार ने इस पर यह कहते हुए विराम लगा दिया कि तमिलनाडु में चुनाव है, इसलिए आप नहीं जाइए. यह खुलासा श्री श्री रविशंकर के सहयोगी स्वामी विरुपाक्ष ने अपनी किताब में किया है. 'टूटा टाइगर' नाम से हिंदी की इस किताब में श्रीलंका के लिए श्री श्री रविशंकर द्वारा किए गए शांति प्रयासों की कई कहानियां समाहित है. Toota Tiger Book

2006 में मनमोहन सरकार ने श्री श्री रविशंकर के श्रीलंका में शांति के प्रयासों को रोका था

श्रीलंका में मिलते हैं रामायण काल के साक्ष्य: टूटा टाइगर के लेखक स्वामी विरुपाक्ष ने बताया कि 2006 के बाद से 2009 के बीच में श्री श्री रविशंकर के अपहरण का प्रयास भी एलटीटीई द्वारा किया जा रहा था, इसका खुलासा भी उन्होंने अपनी किताब में किया है. विरुपाक्ष 2004 से लेकर 2013 के बीच श्रीं लंका रहे हैं और वहां पर आर्ट ऑफ लिविंग की ट्रेनिंग भी दिया करते थे, इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राम पथ गमन और राम के अस्तित्व श्रीलंका में कैसे हैं, इसको लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि श्रीलंका के कुछ लोग मानते हैं कि राम वहां आए थे, जबकि कुछ नहीं मानते. जिनकी संख्या कम है, लेकिन आज भी वहां प्रमाण रामायण काल के मौजूद हैं, जिसमें सीता जी के स्नान का कुंड बना है. जिसे ये खुद भी देख कर आये थे. इसके साथ ही 225 में पेज की इस किताब को हिंदी अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित किया गया है, जिसमें श्री श्री रविशंकर के श्रीलंका के दौरान किए गए योगदान को लिखा है.

Last Updated : Sep 5, 2022, 6:56 PM IST
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