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इस बार होलिका दहन होगा खास: गाय के गोबर की लकड़ी से जलेगी होली - भोपाल

इस बार मध्य प्रदेश में होलिका दहन कुछ खास होने वाला है. इस होली पर गाय के गोबर से बनी लकड़ी से होलिका दहन होगा.

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इस बार होलिका दहन होगा खास
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Published : Mar 27, 2021, 7:41 PM IST

भोपाल। रविवार को शहर में एक हजार से ज्यादा जगहों पर होलिका दहन होगा. इस बार होलिका दहन के लिए गौ काष्ठ और कंडों का उपयोग किया जा रहा है. राजधानी की सबसे प्रमुख सामाजिक संस्था हिंदू उत्सव समिति के आह्वान पर शहर की सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं ने भी इस बार गौ काष्ठ से होलिका दहन में सहभागिता दिखाई है. कंडों और गोबर से बनी लकड़ियों यानि गौ काष्ठ से होली जलाने की शुरुआत कुछ सालों पहले हो चुकी है. इसके जरिए पेड़ों को कटने से बचाने का भी काम हो रहा है.

इस तरह बनाई जाती है गौ काष्ठ

गौ काष्ठ बनाने वाली मजदूर लीला बाई के अनुसार गोबर में पानी मिलाकर इसे फावड़े से मिलाया जाता है. फिर इसे मशीन में डालते हैं. इसके बाद गौ काष्ठ को सुखाने के लिए छोड़ देते हैं. एक-दो दिन धूप में सूखने पर गौ काष्ठ बिक्री के लिए तैयार हो जाती है. इसे दो आकारोंं गोलाकार औऱ चौकोर रूप में तैयार किया जाता है.

इस बार होलिका दहन होगा खास

700 रुपए क्विंटल है कीमत

हलाली डेम के पास स्थित ब्रजमोहन रामकली गौरक्षण केंद्र के प्रबंधक सुरेश योगी ने बताया, कि केंद्र में एक दिन में 450 नग गौ काष्ठ तैयार किए जाते हैं. एक क्विंटल गौ काष्ठ की कीमत 700 रुपए है. इसे बनाने के लिए गौरक्षण केंद्र में दो मशीनें लगाई गई हैं. इसके साथ ही पांच से छह मजदूर इसे बनाने के लगे रहते हैं. बारिश के चार महीनों को छोड़कर साल भर गौ काष्ठ का जारी रहता है. इस गौ शाला में करीब 1100 गायें हैं. भोपाल और आसपास के इलाकों में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों में भी यहां से गौ काष्ठ की सप्लाई की जाती है.

होली के कारण बढ़ गई डिमांड

हिंदू उत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष और मार्गदर्शक दिलीप खंडेलवाल के मुताबिक होलिका दहन के कारण इस बार गौ काष्ठ की डिमांड बढ़ गई है. कई होलिका दहन समितियों ने गौ काष्ठ की एडवांस बुकिंग कर ली है. खंडेलवाल कहते हैं कि कोविड नियमों के कारण होलिका दहन प्रतीकात्मक रूप से मनाए जाने के लिए सरकार से गुजारिश की गई है.

रिश्तों का संगम! होली के रंग, बुंदेलखंडी लोकगीत के संग

पैसों की बचत के साथ पेड़ भी बचेंगे

होलिका दहन के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करते रहे, तो पेड़ों की बलि चढ़ती रहेगी. इससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा. बाजार में लकड़ी 900 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मिलती है. गौ काष्ठ 700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मिलती है. गौ काष्ठ खरीदने पर प्रति क्विंटल 200 रुपए बचेंगे. इसका फायदा ये भी है कि लकड़ियों की अपेक्षा कंडों और गोबर से बनी लकड़ियो में लगी आग ज्यादा देर तक जलती रहती है.

भोपाल। रविवार को शहर में एक हजार से ज्यादा जगहों पर होलिका दहन होगा. इस बार होलिका दहन के लिए गौ काष्ठ और कंडों का उपयोग किया जा रहा है. राजधानी की सबसे प्रमुख सामाजिक संस्था हिंदू उत्सव समिति के आह्वान पर शहर की सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं ने भी इस बार गौ काष्ठ से होलिका दहन में सहभागिता दिखाई है. कंडों और गोबर से बनी लकड़ियों यानि गौ काष्ठ से होली जलाने की शुरुआत कुछ सालों पहले हो चुकी है. इसके जरिए पेड़ों को कटने से बचाने का भी काम हो रहा है.

इस तरह बनाई जाती है गौ काष्ठ

गौ काष्ठ बनाने वाली मजदूर लीला बाई के अनुसार गोबर में पानी मिलाकर इसे फावड़े से मिलाया जाता है. फिर इसे मशीन में डालते हैं. इसके बाद गौ काष्ठ को सुखाने के लिए छोड़ देते हैं. एक-दो दिन धूप में सूखने पर गौ काष्ठ बिक्री के लिए तैयार हो जाती है. इसे दो आकारोंं गोलाकार औऱ चौकोर रूप में तैयार किया जाता है.

इस बार होलिका दहन होगा खास

700 रुपए क्विंटल है कीमत

हलाली डेम के पास स्थित ब्रजमोहन रामकली गौरक्षण केंद्र के प्रबंधक सुरेश योगी ने बताया, कि केंद्र में एक दिन में 450 नग गौ काष्ठ तैयार किए जाते हैं. एक क्विंटल गौ काष्ठ की कीमत 700 रुपए है. इसे बनाने के लिए गौरक्षण केंद्र में दो मशीनें लगाई गई हैं. इसके साथ ही पांच से छह मजदूर इसे बनाने के लगे रहते हैं. बारिश के चार महीनों को छोड़कर साल भर गौ काष्ठ का जारी रहता है. इस गौ शाला में करीब 1100 गायें हैं. भोपाल और आसपास के इलाकों में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाटों में भी यहां से गौ काष्ठ की सप्लाई की जाती है.

होली के कारण बढ़ गई डिमांड

हिंदू उत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष और मार्गदर्शक दिलीप खंडेलवाल के मुताबिक होलिका दहन के कारण इस बार गौ काष्ठ की डिमांड बढ़ गई है. कई होलिका दहन समितियों ने गौ काष्ठ की एडवांस बुकिंग कर ली है. खंडेलवाल कहते हैं कि कोविड नियमों के कारण होलिका दहन प्रतीकात्मक रूप से मनाए जाने के लिए सरकार से गुजारिश की गई है.

रिश्तों का संगम! होली के रंग, बुंदेलखंडी लोकगीत के संग

पैसों की बचत के साथ पेड़ भी बचेंगे

होलिका दहन के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करते रहे, तो पेड़ों की बलि चढ़ती रहेगी. इससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा. बाजार में लकड़ी 900 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मिलती है. गौ काष्ठ 700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से मिलती है. गौ काष्ठ खरीदने पर प्रति क्विंटल 200 रुपए बचेंगे. इसका फायदा ये भी है कि लकड़ियों की अपेक्षा कंडों और गोबर से बनी लकड़ियो में लगी आग ज्यादा देर तक जलती रहती है.

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