GDP यानी कि (Gross domestic product) सकल घरेलू उत्पाद. जीडीपी किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति बताने का पैमाना होता है. जिस देश की जीडीपी बढ़ रही है मतलब वो देश आर्थिक प्रगति कर रहा है. जीडीपी से ही किसी राष्ट्र के आर्थिक प्रदर्शन की अंतरराष्ट्रीय तुलना की जाती है.
जीडीपी मतलब एक साल में एक देश की में सभी अंतिम माल और सेवाओं का बाजार मूल्य. जीडीपी की गणना हर तिमाही में की जाती है. जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है. अगर आपको किसी देश की आर्थिक सेहत जाननी है तो वहां की जीडीपी देखिए. जीडीपी के तहत कृषि, उद्योग और सेवा तीन प्रमुख घटक आते हैं. इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है.
दो तरह से पेश की जाती है जीडीपी
जीडीपी को दो तरह से प्रस्तुत किया जाता है, क्योंकि उत्पादन की कीमतें महंगाई के साथ घटती बढ़ती रहती हैं. यह पैमाना है कॉन्टैंट प्राइस का जिसके अंतर्गत जीडीपी की दर और उत्पादन का मूल्य एक आधार वर्ष में उत्पादन की कीमत पर तय होता है जबकि दूसरा पैमाना करेंट प्राइस है जिसमें उत्पादन वर्ष की महंगाई दर शामिल होती है.
इस साल कितनी रहेगी जीडीपी
बात अगर वित्त वर्ष 2018-19 की करें तो देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की रफ्तार बढ़कर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसकी रफ्तार 6.7 फीसदी थी. आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है और ये मोदी सरकार के लिए राहत भरा संकेत है. इस सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे कड़े फैसले लिए हैं. जानकार कहते हैं कि इन फैसलों से भारत की आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ा है और यही वजह रही कि जीडीपी दर कम रही.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने '2018-19 के राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमानों' में बताया, "वित्त वर्ष 2018-19 में वास्तविक जीडीपी या लगातार कीमतों (2011-12) पर जीडीपी 139.52 लाख करोड़ रुपये के स्तर को प्राप्त करने की संभावना है, जबकि 'वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी का अनंतिम अनुमान 130.11 लाख करोड़ रुपये है', जो 31 मई 2018 को जारी किया गया था." मतलब कि पिछले साल की तुलना में इस साल इकॉनॉमी की सेहत में सुधार आएगा.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने क्या कहा
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने शुक्रवार को ये बताया है कि चुनौतियों के बावजूद भारत की वृद्धि दर अगले कुछ सालों तक 7-7.5 फीसदी रहेगी, जो दुनिया की एक सबसे उच्च दर है. इसमें संरचनात्मक समस्याओं को दूर करने के लिए सुधारों को लागू करने के बाद एक फीसदी की अतिरिक्त तेजी आ सकती है. इसी महीने विश्व बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी रह सकती है और भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपने दर्जे को बरकरार रखेगी.