भोपाल/सीहोर। कोरोना वायरस से पूरा देश परेशान है तो वहीं भीषण गर्मी के कारण आम जनता का हाल बेहाल हो रखा है. गर्मी अपने पूरे उफान पर है, इस मौसम में आप जितना पानी पिएं, उतना कम लगता है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन्स के मुताबिक, हमें प्रतिदिन आठ ग्लास यानी दो लीटर पानी पीना चाहिए. गर्मी में जरूरत के अनुसार इसकी मात्रा बढ़ाई जा सकती है, लेकिन वो क्या करें जिनको जरूरत भर का पानी भी पीने को नसीब नहीं होता. ऐसा ही एक गांव है भोपाल से 30 किलोमीटर दूर सीहोर का पाटनी, जहां ग्रामीण पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं.
पानी की इस परेशानी को लेकर सरपंच का कहना है कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायत की है. विधायक से भी मुलाकात की लेकिन विधायक चुनाव जीतने के बाद इलाके में झांकने तक नहीं आए. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जिससे इस भीषण गर्मी में वो काफी परेशान रहते हैं.
पाटनी गांव के लोगों को जला देने वाली इस गर्मी में बून्द-बून्द के लिए मोहताज होना पड़ रहा है. 1 से 2 किलोमीटर दूर सफर तय कर रोजमर्रा के उपयोग के लिए पानी लाना पड़ रहा है. गांव में एक पानी की टंकी है वो भी जर्जर हो चुकी है, जिससे वो अब गांव की आधी आबादी की भी प्यास नहीं बुझा पा रही है. सुबह सबसे पहले ये लोग पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आते हैं, घर की महिलाएं भी कई किलोमीटर का सफर तय करके पानी लेने भीषण गर्मी में जाती हैं.
पानी की कमी दिल के लिए हानिकारक होती है. कम पानी पीने से शरीर डिहाइड्रेड हो जाता है, जिससे यूरिन और पसीना कम आने की परेशानी हो सकती है. इसके अलावा, रक्त भी जम सकता है, जिसके कारण दिल तक रक्त का संचार सुचारू रूप से नहीं हो पाता है, लेकिन कोरोना काल में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का ध्यान हर साल ग्रामीण इलाकों में होने वाली इस समस्या पर जा ही नहीं रहा है, ऐसे में राजधानी से सटे इलाकों में भी पानी की किल्लत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सुदूर इलाकों में क्या हाल होगा.