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ले ना डूबे कर्ज का अर्थशास्त्र: एक साल,खर्च बेहिसाब - मध्यप्रदेश सरकार पर कर्ज

वर्तमान शिवराज सरकार को एक साल पूरा हो गया है. जानकार मानते हैं कि इस एक साल में सरकार की माली हालत खस्ता है. अपने खर्चे चलाने के लिए सरकार ने भारी भरकम कर्ज ले लिया है.

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ले ना डूबे कर्ज !
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Published : Mar 23, 2021, 7:49 PM IST

Updated : Mar 24, 2021, 10:28 PM IST

भोपाल। प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. सरकार भले ही तरक्की के तमाम दावे कर रही हो, लेकिन उसके आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं. मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकार के खर्चों में कोई कटौती देखने को नहीं मिल रही है.इसका सीधा असर जनता पर पड़ना तय है.

जनता की जेब पर होगा असर

पिछले साल कोरोना काल में राज्य की आय को झटका लगा था. माली हालत खराब हो गई थी. वैसे ही हालात अब भी बनते नजर आ रहे हैं. प्रदेश सरकार ने इस साल जनवरी से लेकर अब तक पांच बार में करीब 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है. आर्थिक जानकारों का कहना है कि सरकार अपने राजनैतिक फायदे के लिए कर्ज ले रही है. जिसका सीधा असर जनता पर पड़ना तय है. भाजपा इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती है. पार्टी का मानना है कि सरकार जरूरी खर्चे चलाने के लिए कर्ज ले रही है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की भाजपा सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है.

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कर्ज का अर्थशास्त्र

बिजली कंपनियों की कर्जदार बनी मध्यप्रदेश सरकार, चुकाने हैं 14 हजार करोड़

हर व्यक्ति पर साढ़े तीन लाख से ज्यादा का कर्ज

आर्थिक मामलों के जानकार राजेंद्र कोठारी मानते हैं कि राजनैतिक फायदा तो हर सरकार उठाती है, चाहे वो किसी भी पार्टी की हो. सरकार को अपने आर्थिक तंत्र को भी देखना पड़ता है. वर्तमान में प्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज के कारण हर व्यक्ति पर करीब साढ़े तीन लाख रुपए का बोझ आ चुका है. आगे भी ऐसा ही रहा तो गरीब-किसान और आम जनता की क्या हालत होगी. बड़ा सवाल ये है कि कर्ज का ये अर्थशास्त्र प्रदेश को कहां ले जाएगा. कोठारी का कहना है कि एक तरफ सरकार विज्ञापनों पर खर्च कर रही है, तो दूसरी ओर आम आदमी पर कर्ज थोपा जा रहा है.

'विकास के लिए कर्ज जरूरी'

भाजपा प्रवक्ता धैर्यवर्धन शर्मा कहते हैं कि लोन लेना विकासशील अर्थव्यवस्था की पहचान है. हर सरकार जन कल्याणकारी नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए हर साल लोन लेती है. कर्ज भी राज्य की क्षमता के हिसाब से ही मिलता है. कर्ज को नकारात्मक रूप में नहीं देखना चाहिए. ज्यादातर विकासशील अर्थव्यवस्था में लोन विकास के पहिए को स्पीड देता है.

ले ना डूबे कर्ज का अर्थशास्त्र

'श्वेत पत्र लाए सरकार'

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार दर्ज के दलदल में फंस चुकी है. प्रदेश सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए तक पैसे नहीं हैं . अपनी ब्रांडिंग करने के लिए सरकार प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार का खजाना खाली है. विकास कार्य रुके हुए हैं. नतीजा ये, कि जनता परेशान है. राज्य के आर्थिक हालात पर प्रदेश सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए.

तीन महीने में 10 हजार करोड़ का कर्ज

राज्य सरकार जनवरी के बाद से अभी तक पांच बार में 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. 17 फरवरी को राज्य सरकार ने 10 साल के लिए 3000 करोड़ का कर्ज लिया था. नौ फरवरी को राज्य सरकार ने तीन हजार करोड़ का कर्ज लिया था. ये कर्ज भी 10 साल के लिए लिया गया था . दो फरवरी को राज्य सरकार ने 2000 करोड़ का कर्ज लिया था. ये कर्ज सरकार ने 16 साल के लिए बाजार से लिया था. 25 जनवरी को राज्य सरकार ने 1000 करोड़ का कर्ज दिया था. ये कर्ज भी छह साल के लिए लिया गया था. 20 जनवरी को राज्य सरकार ने ओपन मार्केट से 1000 करोड़ का कर्ज लिया था. मार्च 2020 की स्थिति में देखा जाए तो मध्य प्रदेश सरकार पर 2 लाख 1989 करोड़ रुपए का कर्जा हो चुका है. मार्च 2020 के बाद से राज्य सरकार करीब 30 हजार करोड़ का कर्जा और ले चुकी है.

मध्यप्रदेश सरकार का कर्ज का आंकड़ा पहुंचा दो लाख करोड़ के पार, कांग्रेस ने खड़े किए सवाल

सरकार ने इस तरह बांटा पैसा

  • कर्जमाफी और सम्मान निधि के नाम पर किसानों को बांटा पैसा
  • स्व सहायता समूहों को दी मदद
  • सबल योजना में गरीब वर्ग को राहत के लिए खर्च किया पैसा
  • लॉकडाउन में मजदूरों के खाते में राशि की ट्रांसफर
  • कोरोना संकट में लाेगाें काे आर्थिक मदद देते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के आठ लाख 85 हजार 89 मजदूराें के बैंक खाताें में एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर किए
  • 88 कराेड़ 50 लाख 89 हजार रुपए मजदूरों के खाताें में डाले


    सितंबर 2020 तक कहां खर्च हुआ पैसा ?
  • राज्य के सहकारी बैंकों को कर्ज माफी की बकाया राशि दी गई. जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को 800 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया गया.
  • बीमा कंपनियों को राज्यांश दिया और किसानों को 3100 करोड़ रुपये का फसल बीमा दिलाया. इसके बाद 4600 करोड़ रूपये से ज्यादा का फसल बीमा 22 लाख से ज्यादा किसानों को दिया.

    2021 में अब तक कहां-कहां खर्च हुआ पैसा ?
  • सागर में किसान कल्याण योजना के तहत 20 लाख किसानों के खातों में डाले 400 करोड़ रुपए.
  • सीएम ने सिंगल क्लिक से प्रदेश के 30 लाख किसानों को राहत राशि की किस्त की. 1530 करोड़ और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 17 लाख किसानों के बैंक खातों में 340 करोड़ रुपये डाले.
  • 44 लाख किसानों को फसल बीमा के 8800 करोड़ रुपये का भुगतान किया
  • उद्यानिकी फसलों के बीमा का 100 करोड़ रुपया अलग से डाला गया
  • पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 78 लाख किसानों के बैंक खातों में 5474 करोड़ रुपये डाले
  • मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत पहले 1150 करोड़ और फिर 340 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले
  • फसल नुकसान के राहत की 1550 करोड़ राशि और 1530 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले गए
  • गेहूं, धान, ज्वार, बाजरा, सरसों की खरीदी के 36 हजार करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया गया
  • इस तरह किसानों के खातों में कुल 88 हजार 813 करोड़ रुपया डाले गए.

हालात बेकाबू ना हो जाएं

ये बात सही है कि विकास के पहिए को दौड़ाने के लिए अक्सर अर्थव्यवस्थाएं कर्ज लेती हैं. ये कर्ज भी एक सीमा तक ही झेला जा सकता है. इस बात के भी प्रमाण हैं कि कई बार कर्ज के बोझ तले अर्थ व्यवस्थाएं दम तोड़ देती हैं. शिवराज सरकार अगर कर्ज ले रही है, तो उसे चुकाना भी होगा. कर्ज चुकाने के लिए जेब आम जनता, किसान और कारोबारी की ही खाली होगी. कर्ज कहीं से भी, किसी भी मकसद के लिए लिया जाए. उसका भार तो जनता को ही उठाना होता है.

भोपाल। प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. सरकार भले ही तरक्की के तमाम दावे कर रही हो, लेकिन उसके आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं. मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. सरकार के खर्चों में कोई कटौती देखने को नहीं मिल रही है.इसका सीधा असर जनता पर पड़ना तय है.

जनता की जेब पर होगा असर

पिछले साल कोरोना काल में राज्य की आय को झटका लगा था. माली हालत खराब हो गई थी. वैसे ही हालात अब भी बनते नजर आ रहे हैं. प्रदेश सरकार ने इस साल जनवरी से लेकर अब तक पांच बार में करीब 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है. आर्थिक जानकारों का कहना है कि सरकार अपने राजनैतिक फायदे के लिए कर्ज ले रही है. जिसका सीधा असर जनता पर पड़ना तय है. भाजपा इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती है. पार्टी का मानना है कि सरकार जरूरी खर्चे चलाने के लिए कर्ज ले रही है. कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की भाजपा सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है.

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कर्ज का अर्थशास्त्र

बिजली कंपनियों की कर्जदार बनी मध्यप्रदेश सरकार, चुकाने हैं 14 हजार करोड़

हर व्यक्ति पर साढ़े तीन लाख से ज्यादा का कर्ज

आर्थिक मामलों के जानकार राजेंद्र कोठारी मानते हैं कि राजनैतिक फायदा तो हर सरकार उठाती है, चाहे वो किसी भी पार्टी की हो. सरकार को अपने आर्थिक तंत्र को भी देखना पड़ता है. वर्तमान में प्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज के कारण हर व्यक्ति पर करीब साढ़े तीन लाख रुपए का बोझ आ चुका है. आगे भी ऐसा ही रहा तो गरीब-किसान और आम जनता की क्या हालत होगी. बड़ा सवाल ये है कि कर्ज का ये अर्थशास्त्र प्रदेश को कहां ले जाएगा. कोठारी का कहना है कि एक तरफ सरकार विज्ञापनों पर खर्च कर रही है, तो दूसरी ओर आम आदमी पर कर्ज थोपा जा रहा है.

'विकास के लिए कर्ज जरूरी'

भाजपा प्रवक्ता धैर्यवर्धन शर्मा कहते हैं कि लोन लेना विकासशील अर्थव्यवस्था की पहचान है. हर सरकार जन कल्याणकारी नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए हर साल लोन लेती है. कर्ज भी राज्य की क्षमता के हिसाब से ही मिलता है. कर्ज को नकारात्मक रूप में नहीं देखना चाहिए. ज्यादातर विकासशील अर्थव्यवस्था में लोन विकास के पहिए को स्पीड देता है.

ले ना डूबे कर्ज का अर्थशास्त्र

'श्वेत पत्र लाए सरकार'

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार दर्ज के दलदल में फंस चुकी है. प्रदेश सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए तक पैसे नहीं हैं . अपनी ब्रांडिंग करने के लिए सरकार प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार का खजाना खाली है. विकास कार्य रुके हुए हैं. नतीजा ये, कि जनता परेशान है. राज्य के आर्थिक हालात पर प्रदेश सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए.

तीन महीने में 10 हजार करोड़ का कर्ज

राज्य सरकार जनवरी के बाद से अभी तक पांच बार में 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. 17 फरवरी को राज्य सरकार ने 10 साल के लिए 3000 करोड़ का कर्ज लिया था. नौ फरवरी को राज्य सरकार ने तीन हजार करोड़ का कर्ज लिया था. ये कर्ज भी 10 साल के लिए लिया गया था . दो फरवरी को राज्य सरकार ने 2000 करोड़ का कर्ज लिया था. ये कर्ज सरकार ने 16 साल के लिए बाजार से लिया था. 25 जनवरी को राज्य सरकार ने 1000 करोड़ का कर्ज दिया था. ये कर्ज भी छह साल के लिए लिया गया था. 20 जनवरी को राज्य सरकार ने ओपन मार्केट से 1000 करोड़ का कर्ज लिया था. मार्च 2020 की स्थिति में देखा जाए तो मध्य प्रदेश सरकार पर 2 लाख 1989 करोड़ रुपए का कर्जा हो चुका है. मार्च 2020 के बाद से राज्य सरकार करीब 30 हजार करोड़ का कर्जा और ले चुकी है.

मध्यप्रदेश सरकार का कर्ज का आंकड़ा पहुंचा दो लाख करोड़ के पार, कांग्रेस ने खड़े किए सवाल

सरकार ने इस तरह बांटा पैसा

  • कर्जमाफी और सम्मान निधि के नाम पर किसानों को बांटा पैसा
  • स्व सहायता समूहों को दी मदद
  • सबल योजना में गरीब वर्ग को राहत के लिए खर्च किया पैसा
  • लॉकडाउन में मजदूरों के खाते में राशि की ट्रांसफर
  • कोरोना संकट में लाेगाें काे आर्थिक मदद देते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के आठ लाख 85 हजार 89 मजदूराें के बैंक खाताें में एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर किए
  • 88 कराेड़ 50 लाख 89 हजार रुपए मजदूरों के खाताें में डाले


    सितंबर 2020 तक कहां खर्च हुआ पैसा ?
  • राज्य के सहकारी बैंकों को कर्ज माफी की बकाया राशि दी गई. जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को 800 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया गया.
  • बीमा कंपनियों को राज्यांश दिया और किसानों को 3100 करोड़ रुपये का फसल बीमा दिलाया. इसके बाद 4600 करोड़ रूपये से ज्यादा का फसल बीमा 22 लाख से ज्यादा किसानों को दिया.

    2021 में अब तक कहां-कहां खर्च हुआ पैसा ?
  • सागर में किसान कल्याण योजना के तहत 20 लाख किसानों के खातों में डाले 400 करोड़ रुपए.
  • सीएम ने सिंगल क्लिक से प्रदेश के 30 लाख किसानों को राहत राशि की किस्त की. 1530 करोड़ और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 17 लाख किसानों के बैंक खातों में 340 करोड़ रुपये डाले.
  • 44 लाख किसानों को फसल बीमा के 8800 करोड़ रुपये का भुगतान किया
  • उद्यानिकी फसलों के बीमा का 100 करोड़ रुपया अलग से डाला गया
  • पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 78 लाख किसानों के बैंक खातों में 5474 करोड़ रुपये डाले
  • मुख्यमंत्री कल्याण योजना के तहत पहले 1150 करोड़ और फिर 340 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले
  • फसल नुकसान के राहत की 1550 करोड़ राशि और 1530 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले गए
  • गेहूं, धान, ज्वार, बाजरा, सरसों की खरीदी के 36 हजार करोड़ रुपये किसानों को भुगतान किया गया
  • इस तरह किसानों के खातों में कुल 88 हजार 813 करोड़ रुपया डाले गए.

हालात बेकाबू ना हो जाएं

ये बात सही है कि विकास के पहिए को दौड़ाने के लिए अक्सर अर्थव्यवस्थाएं कर्ज लेती हैं. ये कर्ज भी एक सीमा तक ही झेला जा सकता है. इस बात के भी प्रमाण हैं कि कई बार कर्ज के बोझ तले अर्थ व्यवस्थाएं दम तोड़ देती हैं. शिवराज सरकार अगर कर्ज ले रही है, तो उसे चुकाना भी होगा. कर्ज चुकाने के लिए जेब आम जनता, किसान और कारोबारी की ही खाली होगी. कर्ज कहीं से भी, किसी भी मकसद के लिए लिया जाए. उसका भार तो जनता को ही उठाना होता है.

Last Updated : Mar 24, 2021, 10:28 PM IST
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