भोपाल: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में शनि का विशेष महत्व है. शनि का असर किसी भी राशि पर लंबे समय तक रहता है. शनि राशि परिवर्तन के साथ ही कुछ राशियों पर साढ़े साती और शनि ढैय्या भी शुरू होती है. साढ़े साती (sadhe saati) और शनि ढैय्या का असर कई सालों तक रहता है. शनि देव को कर्म और न्याय का देवता कहा जाता है इसलिए ज्यादातर लोगों के लिए शनि की साढ़े साती (shani ki sadhe sati) या ढैय्या (Shani Dhaiya) या दशा का समय कष्टदायक ही रहता है. इन कष्टों से मुक्ति के लिए शनि देव की पूजा (Shani dev puja) शनिवार के दिन की जाती है. इस बार शनिवार 4 दिसंबर को शनिवार के साथ अमवस्या (Amavasya) और सूर्य ग्रहण (surya grahan) का अत्यंत ही दुर्लभ सुखद संयोग बन रहा है. इस दिन शनिवार होने के कारण इसे शनिचरी या फिर शनैश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya) कहा जाता है. शनैश्चरी अमावस्या और ग्रहण (grahan) के दिन जप तप दान का असर जल्दी ही कई गुना और लम्बे समय तक मिलता है.
हमारे जीवन में कुछ शाश्वत सत्य होते हैं और उन्हें टाला या झुठलाया नहीं जा सकता. ऐसा ही एक सत्य है व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की साढ़े साती (shani sadhe saati) या ढैय्या का आना. किसी भी राशि की कोई भी ऐसी कुंडली नहीं मिलेगी जिसमें किसी न किसी कालावधि में शनि की साढ़े सात साल या ढाई साल की विशेष दशा न हो.
शनि की साढ़ेसाती (sadhe sati), ढैय्या (Shani Dhaiyya) , कुंडली की दशा (shani dasha) और पितृदोष (pitra dosh) आदि के कष्टों को दूर या कम करने के लिए शनैश्चरी अमावस्या और ग्रहण (Solar Eclipse) का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. इस बार मार्गशीर्ष (अगहन), कृष्ण पक्ष शनिवार 4 दिसंबर को शनि से संबंधित सभी परेशानियों के अलावा पितृदोष (pitru dosh)आदि से भी से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही अच्छा योग बन रहा है.
शनि की साढ़े साती, ढैय्या से प्रभावित राशियां
ज्योतिषाचार्य पंडित सचिन्द्रनाथ पांडेय बताते हैं कि ग्रहों के वर्तमान कालचक्र में धनु, कुंभ और मकर राशि वाले लोग शनि की साढ़े साती से प्रभावित हैं. इनमें धनु राशि के लोगों पर शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण, कुंभ राशि वालों पर पहला और मकर राशि वालों पर दूसरा चरण चल रहा है. इसके साथ ही तुला और मिथुन राशि के लोगों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव चल रहा है.अगले साल अप्रैल के 29 अप्रैल 2022 तक यही स्थिति रहेगी. इसके बाद शनि मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे.
इन उपायों से मिलेगी राहत!
शनैश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya) के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. तांबे के कलश में जल के साथ शक्कर और दूध मिलाकर पश्चिम दिशा में मुंह कर पीपल के पेड़ को वृक्ष को जल दें. व्रत वाले दिन दिन नीले, बैंगनी या काले रंग के कपड़े पहनें. संभव हो तो दिन में व्रत रखें. शनि मंत्रों का जाप करें.
शनिदेव के प्रभाव से परेशान हैं तो भगवान शिव का पूजन करें. शनिदेव भगवान शिव को गुरु मानते हैं और हनुमान जी की पूजा करें. उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं. शमी का पौधा अपने हाथों से लगाएं. उसका पूजन करें. हर शनिवार (Shanaishchari Amavasya) को मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं. अपने घर के आसपास सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं और घर वापस आते समय पीछे मुड़ कर न देखें. शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल और कपड़ा अर्पण करें. शनि महाराज को तेल के दीये के साथ काली उड़द और फिर कोई भी काली वस्तु भेंट करें. शनि देव को भेंट चढ़ाने के बाद शनि चालीसा पढ़ें. दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ भी लाभदायक रहता है. शनि देव की पूजा करने के बाद हनुमान जी की पूजा करने, उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाने, गुड़, चना और केला चढ़ाने से शनि देव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और दोनों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
शनैश्चरी अमावस्या महत्वपूर्ण समय (Shanishchari Amavasya Important Timings 4 december)
व्रत- शनैश्चरी (शनि) अमावस्या (Shani Amavasya)
व्रत दिन- शनिवार, 4 दिसंबर
सूर्योदय- सुबह 06:57 बजे
सूर्यास्त- शाम 05:47 बजे
राहुकाल- सुबह 09:30 बजे से 10:57 बजे तक
तिथि- अमावस्या, दोपहर 1.07 बजे तक
Surya Grahan 2021 : जानिये वर्ष के अंतिम सूर्य ग्रहण के समय और सूतक काल की संपूर्ण जानकारी
शनैश्चरी अमावस्या (Shani Amavashya)और ग्रहण (Solar Eclipse) के दिन गरीबों और जरूरतमंदो को यथाशक्ति दान करें. शनिवार, अमवस्या और ग्रहण के दिन पैसों, काली चीजों का दान श्रेष्ठ है जैसे कि काली उड़द, जूते-चप्पल, छाता, नील-काले कपड़े, तिल या सरसों का तेल और कम्बल आदि. मछलियों को आटे की गोलियां, दाना खिलाएं. गरीबों की सेवा करें उन्हें तेल और उड़द से बना खाना खिलाएं या दान करें.