भोपाल। 6 से 17 मई तक 12वीं हॉकी इंडिया राष्ट्रीय सीनियर महिला हॉकी चैंपियनशिप 2022 का भोपाल में आयोजन हो रहा है. भोपाल को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है. यहां लगातार हॉकी की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता होती आयोजित की जाती रहती हैं. इन दिनों गर्मी भले ही चरम पर हो लेकिन राजधानी भोपाल में खेलों को पारा चढ़ा हुआ है. 12वीं राष्ट्रीय महिला हॉकी प्रतियोगिता में देशभर की 27 टीमों के खिलाड़ी खेल रहे हैं. यहां पर देश भर की बेहतरीन महिला हॉकी खिलाड़ी अपनी हॉकी स्टिक का जादू बिखेर रही हैं.
हॉकी के मशहूर खिलाड़ी: हॉकी टीम के सदस्य रहे पूर्व ओलंपियन असलम शेर खान जो बेहद मशहूर भी हैं, हॉकी के स्वर्णिम युग के वापस आने को लेकर कहते हैं कि-
हॉकी के स्वर्णिम दौर को फिर आने में वक्त लगेगा. हॉकी का चार्म जो 70 के दशक में था, अब वो नहीं रहा. इसकी वजह है कि हॉकी के फार्मेट में बदलाव किया गया है, और पहले जो हॉकी घास के मैदान में खेली जाती थी और जो नियम थे, वो भी अलग थे. जिसके कारण देखने वाले को आनंद आता था, लेकिन अब हमने विदेशियों के दबाव में एस्टोटर्फ में खेलना शुरु कर दिया है. जिसका नतीजा ये है कि हॉकी के खेल में वो मजा नहीं रहा और यही वजह है कि दर्शकों का भी हॉकी की तरफ आकर्षण नहीं रहा. मैंने कई बार ये बात फेडरेशन के सामने भी रखी, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
हॉकी में भारत फिर से बनेगा वर्ल्ड चैंपियन: पूर्व हॉकी चैंपियन असलम शेर खान ने हॉकी मौजूदा नियमों को लेकर कई और खामियां भी गिनाईं जिनके चलते हॉकी का क्रेज खत्म होते जा रहा है. खान ने बताया कि हमारे जमाने में खिलाड़ी ने पीठ दिखाई तो फाउल माना जाता था, ,लेकिन अब कैसे भी मार सकते हो. अब पावर गेम हो गया है, मैं मानता हूं कि ऑफ साइड फिर से शुरु हो जाए तो इस खेल में फिर जान आ जाएगी. यदि हमें फिर से हॉकी को वापस लाना है तो सैक्रीफाइज करना होगा, और गो फॉर द किल के लिए खेलना होगा. तभी भारत फिर से वर्ल्ड चैंपियन बन पाएगा.
भारतीय हॉकी टीम के युवा सिलेक्टर युवराज का बयान: असलम शेर खां ने बतौर हॉकी खिलाड़ी हॉकी में भारत को स्वर्णिम ऊंचाईयों तक पहुंचाया हो, लेकिन इसके नई पीढ़ी के खिलाड़ी असलम शेर खान से इत्तेफाक नहीं रखते. भारतीय हॉकी टीम के युवा सिलेक्टर युवराज वाल्मिकी का कहना है कि,
हमने तो शुरुआत ही एस्ट्रोटर्फ से की है, और जो हॉकी के लिए घास के मैदान रहते थे, उनमें खिलाड़ी को उतनी फुर्ती नहीं दिखानी पड़ती थी, लेकिन अब हॉकी के खेल में बहुत बदलाव आ गए हैं, यदि हमें विदेशी खिलाड़ियों से काम्पिटीशन करना है, तो हमें एस्ट्रोटर्फ पर ही खेलना होगा, और अब समय की मांग भी यही है. युवराज का कहना है कि अब खेल में नियम भी काफी बदले गए हैं जो कि खिलाड़ी को बिना रुकावट खेलने के लिए आगे लाते हैं. उन्हें इतनी कम उम्र में नेशनल सिलेक्टर बनाया गया और उनकी कोशिश होगी कि असल टेंलेंट जो मैदान में दिख रहा है उसे आगे लाने की कोशिश होगी.
नेशनल हॉकी टीम की कप्तान रितुरानी पहुंची भोपाल: भोपाल में हो रही प्रतियोगिता में देश से नामी महिला खिलाड़ी भोपाल पहुंची हैं. नेशनल हॉकी टीम की कप्तान रही रितुरानी का कहना है कि,
मैंने 14 साल हॉकी खेली है. मैं चार साल कैप्टन भी रही. मेरी कप्तानी में भारत ने 36 साल बाद ओलंपिक में क्वालिफाई किया था. अभी हमारी टीम फिर ओलंपिक खेली. नई लड़कियों में हॉकी को लेकर रूझान बढ़ा है. अब पैरेंट्स भी खूब सपोर्ट करते हैं, यही वजह है कि लड़कियां खूब आगे आ रही हैं. हालांकि इनका भी मानना है कि अब घास के मैदानों में हॉकी का फ्यूचर नहीं है. उस मैदान में एकरुपता नहीं होती. कब गेंद उठ जाए, कोई भरोसा नहीं लेकिन अब एस्ट्रोटर्फ का ही जमाना है और भारत भी अब विदेशों में इन्हीं मैदानों में बाजी मार रहा है.
रितु रानी भी ये मानती हैं कि हॉकी का दौर फिर से लौटेगा, लेकिन इसके लिए सरकार को इस गेम के लिए आगे आना होगा. लोगों तक इस गेम को पहुंचाने के लिए लीग शुरु करनी होगी, जो अभी बंद कर दी गई है. लोगों तक पहुंच बनाने के लिए सोशल मीडिया, टीवी, लाइव साधन मुहैया कराने होगें. जिससे लोग हॉकी के प्रति फिर से आकर्षित हो सकें.
एमपी से विवेक सागर ने जीता था पदक: खिलाड़ियों का कहना है कि इस गेम में भी ग्लैमर लाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए सरकार और अन्य संस्थाएं जो हॉकी से जुड़ी हैं, उनको मेहनत करनी होगी, हालांकि जब से ओलिंपिक में मध्यप्रदेश के विवेक सागर ने देश के लिए पदक जीता है, तब से प्रदेश में हॉकी के लिए माहौल बनता जा रहा है. हैरिटेज ओबेदुल्ला कप के बाद सीनियर वर्ग की हॉकी प्रतियोगिता भी भोपाल में आयोजित की गई थी.