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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर कब्जे के लिए सिंधिया खेमा सक्रिय, दावेदारी के साथ कर रहे हैं सीक्रेट मीटिंग

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Published : Jun 16, 2019, 12:08 AM IST

पिछले दिनों दिल्ली में ज्योतिरादित्य सिंधिया के घर में एक सीक्रेट मीटिंग की भी चर्चा जोरों से सुनने को मिली है. जिसमें मध्यप्रदेश सरकार में सिंधिया गुट के मंत्री और विधायकों के शामिल होने की चर्चा है. जो खबरें सुनने को मिल रही हैं, उन पर भरोसा किया जाए तो इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पद हासिल करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव की खबरों के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए खेमेबाजी शुरू हो गई है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के अलग-अलग गुटों के नेता अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए तरह- तरह की कवायद कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग सबसे ज्यादा जोर पकड़ रही है.

कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट से जो मंत्री हैं, वह लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर कोई बड़ा पद मिलने की भी चर्चा जोर पकड़ रही है, लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनकी दावेदारी को लेकर यह माना जा रहा है कि भले ही सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर अहम पद मिले. लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का भी सिंधिया खेमे का ही बने. इस रणनीति पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा काम कर रहा है.
गुपचुप मीटिंग की चर्चा जोरों पर
पिछले दिनों दिल्ली में एक गुपचुप मीटिंग की भी चर्चा जोरों से सुनने को मिली है. जिसमें मध्य प्रदेश सरकार में सिंधिया गुट के मंत्री और विधायकों के शामिल होने की चर्चा है. जो खबरें सुनने को मिल रही हैं, उन पर भरोसा किया जाए तो इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पद हासिल करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया है. यह बैठक इसी हफ्ते दिल्ली में सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों की मौजूदगी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बंगले पर हुई.
अध्यक्ष पद में दिख रही सिंधिया की रुचि
कमलनाथ अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं. अब जब लोकसभा चुनाव हो चुका है, जिसके बाद से सिंधिया खेमे की सक्रियता काफी तेजी से बढ़ी है. सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, लखन यादव सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की पेशकश कर चुके हैं.

मप्र कांग्रेस अध्यक्ष पर कब्जे के लिए सिंधिया खेमा सक्रिय
सिंधिया नहीं उनके खेमे का नेतासूत्रों की माने तो सिंधिया खेमे की कोशिश यह है कि केंद्रीय स्तर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोई अहम जिम्मेदारी दी जाती है. तो फिर सिंधिया खेमे के इसी कद्दावर नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की रणनीति पर काम किया जाएगा. इस रणनीति में गोविंद सिंह राजपूत और रामनिवास रावत जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं. फिलहाल कमलनाथ सरकार में राजस्व एवं परिवहन मंत्री का पद संभाल रहे गोविंद सिंह राजपूत मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं रामनिवास रावत फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैंकेंद्रीय नेतृत्व का निर्णय सर्वमान्य: दुर्गेश शर्माइस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के अंदर कोई खेमा नहीं है. आने वाले समय में कोई बदलाव का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व लेता है तो वह सर्वमान्य होगा. वहीं सिंधिया खेमे की तरफ से सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग के अलावा गुप्त मीटिंग को लेकर उनका कहना है कि हर व्यक्ति अपना सुझाव रख सकता है. हमारी पार्टी में लोकतंत्र और स्वतंत्रता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह दूसरी पार्टियां संघ और दूसरे के लट्ठ से चलती हैं. वैसे कांग्रेस नहीं चलती. सब को अपनी बात रखने का अधिकार है. निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को लेना है, राहुल गांधी को लेना है, वह जो निर्णय लेंगे सर्वमान्य होगा.

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव की खबरों के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए खेमेबाजी शुरू हो गई है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के अलग-अलग गुटों के नेता अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए तरह- तरह की कवायद कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग सबसे ज्यादा जोर पकड़ रही है.

कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट से जो मंत्री हैं, वह लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर कोई बड़ा पद मिलने की भी चर्चा जोर पकड़ रही है, लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनकी दावेदारी को लेकर यह माना जा रहा है कि भले ही सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर अहम पद मिले. लेकिन मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का भी सिंधिया खेमे का ही बने. इस रणनीति पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा काम कर रहा है.
गुपचुप मीटिंग की चर्चा जोरों पर
पिछले दिनों दिल्ली में एक गुपचुप मीटिंग की भी चर्चा जोरों से सुनने को मिली है. जिसमें मध्य प्रदेश सरकार में सिंधिया गुट के मंत्री और विधायकों के शामिल होने की चर्चा है. जो खबरें सुनने को मिल रही हैं, उन पर भरोसा किया जाए तो इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पद हासिल करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया है. यह बैठक इसी हफ्ते दिल्ली में सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों की मौजूदगी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बंगले पर हुई.
अध्यक्ष पद में दिख रही सिंधिया की रुचि
कमलनाथ अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं. अब जब लोकसभा चुनाव हो चुका है, जिसके बाद से सिंधिया खेमे की सक्रियता काफी तेजी से बढ़ी है. सिंधिया खेमे के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी, लखन यादव सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की पेशकश कर चुके हैं.

मप्र कांग्रेस अध्यक्ष पर कब्जे के लिए सिंधिया खेमा सक्रिय
सिंधिया नहीं उनके खेमे का नेतासूत्रों की माने तो सिंधिया खेमे की कोशिश यह है कि केंद्रीय स्तर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोई अहम जिम्मेदारी दी जाती है. तो फिर सिंधिया खेमे के इसी कद्दावर नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की रणनीति पर काम किया जाएगा. इस रणनीति में गोविंद सिंह राजपूत और रामनिवास रावत जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं. फिलहाल कमलनाथ सरकार में राजस्व एवं परिवहन मंत्री का पद संभाल रहे गोविंद सिंह राजपूत मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं रामनिवास रावत फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैंकेंद्रीय नेतृत्व का निर्णय सर्वमान्य: दुर्गेश शर्माइस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि कांग्रेस के अंदर कोई खेमा नहीं है. आने वाले समय में कोई बदलाव का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व लेता है तो वह सर्वमान्य होगा. वहीं सिंधिया खेमे की तरफ से सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग के अलावा गुप्त मीटिंग को लेकर उनका कहना है कि हर व्यक्ति अपना सुझाव रख सकता है. हमारी पार्टी में लोकतंत्र और स्वतंत्रता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह दूसरी पार्टियां संघ और दूसरे के लट्ठ से चलती हैं. वैसे कांग्रेस नहीं चलती. सब को अपनी बात रखने का अधिकार है. निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को लेना है, राहुल गांधी को लेना है, वह जो निर्णय लेंगे सर्वमान्य होगा.
Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव की खबरों के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए खेलने वाली शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अलग-अलग गुटों के नेता अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए तरह-तरह की कवायद कर रहे हैं।मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग सबसे ज्यादा जोर पकड़ रही है। खासकर कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट से जो मंत्री हैं, वह लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर कोई बड़ा पद मिलने की भी चर्चा जोर पकड़ रही है।। लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनकी दावेदारी को लेकर यह माना जा रहा है कि भले ही सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर अहम पद मिले। लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी सिंधिया खेमे का बने। इस रणनीति पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा काम कर रहा है। पिछले दिनों दिल्ली में एक गुपचुप मीटिंग की भी चर्चा जोरो से सुनने को मिली है। जिसमें मध्य प्रदेश सरकार में सिंधिया गुट के मंत्री और विधायकों के शामिल होने की चर्चा है। जो खबरें सुनने को मिल रही हैं, उन पर भरोसा किया जाए तो इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष पद हासिल करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया है।


Body:लोकसभा चुनाव की करारी हार के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में बदलाव की चर्चा जोरों पर है। खासकर मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना चाह रहे हैं। कमलनाथ आलाकमान के सामने विधानसभा चुनाव के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने का निवेदन कर चुके थे।लेकिन आलाकमान ने उन्हें लोकसभा तक अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए कहा था। अब जब लोकसभा चुनाव हो चुका है, तो मध्य प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव की चर्चा जोर पकड़ रही है। संगठन में बदलाव की चर्चा के साथ ही सिंधिया खेमे की सक्रियता काफी तेजी से बढ़ी है। सिंधिया खेमे से मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी लखन यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की पेशकश कर चुके हैं। तारीफ की बात यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय स्तर पर कोई बड़े पद दिए जाने की चर्चा काफी जोरों से चल रही है।लेकिन इसके बावजूद उनके समर्थक और ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने में रुचि दिखा रहे हैं।अध्यक्ष पद हासिल करने की सिंधिया खेमे की सक्रियता तब चर्चा में आई, जब इसी हफ्ते दिल्ली में सिंधिया समर्थक मंत्रियों और विधायकों की एक अहम बैठक ज्योतिरादित्य सिंधिया के बंगले पर हुई। इस बैठक में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए रणनीति पर विचार किया गया। सूत्रों की माने तो सिंधिया खेमे की कोशिश यह है कि केंद्रीय स्तर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोई अहम जिम्मेदारी दी जाती है। तो फिर सिंधिया खेमे के इसी कद्दावर नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की रणनीति पर काम किया जाएगा। इस रणनीति में गोविंद सिंह राजपूत और रामनिवास रावत जैसे नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। फिलहाल कमलनाथ सरकार में राजस्व एवं परिवहन मंत्री का पद संभाल रहे गोविंद सिंह राजपूत मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। वही रामनिवास रावत फिलहाल मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। बहरहाल सिंधिया खेमे की रणनीति कितनी कारगर साबित होती है।यह तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन सिंधिया खेमे को लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के बाकी दिग्गज नेता तैयार हो जाएं, यह कहना काफी मुश्किल है।


Conclusion:इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि पहले तो मैं यह साफ कर दूं कि कांग्रेस के अंदर कोई खेमा नहीं है। कांग्रेस एकजुटता के साथ पहले खड़ी थी और आज भी खड़ी है। खेमे बाजी अगर देखना है,तो देश की नंबर वन पार्टी कही जाने वाली भाजपा में देखें। जहां किस तरह से शिवराज सिंह और कैलाश विजयवर्गीय अपने अस्तित्व के लिए झूठे सच्चे विरोध प्रदर्शन कर सड़क पर माहौल बनाना चाह रहे हैं और अपना वजूद केंद्रीय नेतृत्व को दिखाना चाह रहे हैं। कांग्रेस पार्टी कमलनाथ के नेतृत्व में बहुत अच्छे से काम कर रही है।आने वाले समय में कोई बदलाव का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व लेता है, तो वह सर्वमान्य होगा। जो प्रदेश का नेतृत्व करेगा, उसके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी जनता की सेवा करने का काम करेगी।वही सिंधिया खेमे की तरफ से सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग के अलावा गुपचुप मीटिंग को लेकर उनका कहना है कि हर व्यक्ति अपना सुझाव रख सकता है।हमारी पार्टी में लोकतंत्र और स्वतंत्रता है। हम दूसरी पार्टियों की तरह किसी लट्ठ से नहीं चलते हैं। जिस तरह दूसरी पार्टियां संघ और दूसरे के लट्ठ से चलती हैं। हमारा संगठन लोकतांत्रिक है, शसब को अपनी बात रखने का अधिकार है। निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को लेना है, राहुल गांधी को लेना है, वह जो निर्णय लेंगे सर्वमान्य होगा।
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