भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के एक साल बाद कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के युवा और कद्दावर नेता जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. माना जा रहा है कि अपने कांग्रेस के पुराने साथी जितिन को बीजेपी में लाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अहम भूमिका निभाई है. पश्चिम बंगाल में हार के बाद मिशन उत्तर प्रदेश में जुटी बीजेपी के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. उधर, राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट की नाराजगी दूर नहीं हुई है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी सिंधिया के सहारे जितिन के बाद पायलट पर भी डोरे डाल रही हैं.
बीजेपी में मजबूत हो रहे सिंधिया
अपने समर्थक दो दर्जन नेताओं के साथ बीजेपी में शामिल होकर कमलनाथ सरकार को पटखनी देने वाले सिंधिया की बीजेपी में लगातार पकड़ मजबूत हो रही है. बीजेपी के साथ संघ में भी सिंधिया जड़े जमा रहे हैं. यही वजह है कि प्रदेश की बीजेपी की सत्ता के बाद बीजेपी कार्यसमिति की सूची में भी सिंधिया समर्थकों को तव्वजो मिली है. उधर, उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारी में जुटी बीजेपी की निगाह कांग्रेस के युवा और असंतुष्ट नेताओं पर है. पार्टी से जुड़े नेताओं की मानें तो इस मुहिम में बीजेपी के लिए सिंधिया खासे मददगार साबित हो रहे हैं. इसकी शुरूआत उत्तर प्रदेश के जितिन प्रसाद से हुई है. जितिन प्रसाद पिछले करीब 3 सालों से पार्टी में हाशिए पर चल रहे थे. बंगाल चुनाव के दौरान उन्हें पार्टी में खास तवज्जो नहीं मिली.जानकार मानते हैं कि जितिन प्रसाद का पाला बदलवाने में सिंधिया ने बीजेपी और उनके बीच सेतु का काम किया है. हालांकि जब जितिन के बीजेपी में शामिल होने का सवाल सिंधिया से किया गया तो उन्होंने इस पर खुशी जताते हुए कहा, कि मैं उनके लिए खुश हूं. उनके साथ मेरा बहुत पुराना रिश्ता है. उन्होंने बीजेपी में आकर अच्छा किया.
भोपाल पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह अच्छी बात है कि वे बीजेपी में आ रहे हैं. वे मेरे पुराने करीबी रहे हैं, जितिन प्रसाद मुख्यधारा में आएंगे तो अच्छा होगा. हालांकि उन्हें बीजेपी में लाने में उनकी भूमिका पर सिंधिया ने कहा कि वे उनके संपर्क में नहीं थे. हालांकि सिंधिया समर्थकों से चर्चा में इस बात के संकेत मिले हैं कि जितिन प्रसाद को बीजेपी में लाने में सिंधिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, साथ ही अब वे नाराज चल रहे सचिन पायलट पर भी डोरे डाल रहे हैं. सचिन पायलट ने ट्वीट कर हाल में अपनी नाराजगी जाहिर की है. इससे माना जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में भले ही सबकुछ ठीक दिख रहा हो, लेकिन अंदरखाने में हालात नाजुक हैं.
सिंधिया और जितिन प्रसाद दोनो कांग्रेस में हुए उपेक्षा के शिक्षा
देखा जाए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद दोनों ही नेता सिंधिया परिवार और खासतौर से राहुल गांधी के करीबी रहे हैं. दोनों नेताओं का अपने-अपने राज्यों में अच्छा जनाधार रहा है, लेकिन दोनों ही नेता पार्टी में उपेक्षा के शिकार हुए. पिछले साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ दी. उधर 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद राज बब्बर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद जितिन प्रसाद के प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चाएं जोरों पर थी, लेकिन प्रियंका गांधी ने अजय लल्लू को पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया. जानकारों का मानना है कि जितिन को साइडलाइन किए जाने के बाद उनके समर्थकों को भी साइड लाइन कर दिया गया. इसके बाद जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं जोरों पर चली थी, बाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस पर सफाई पेश की थी.