ETV Bharat / city

सपाक्स पार्टी से हमेशा के लिए अलग हुआ सपाक्स समाज, मुद्दों से भटकने का लगाया आरोप

कुछ लोगों ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इनके ही संस्थान के नाम का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक दल की स्थापना कर दी. जब संस्था के लोगों को इस बात का एहसास हुआ कि कुछ लोग केवल अपनी निजी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उनके संस्था का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्होंने इन लोगों से रिश्ता खत्म करना ही उचित समझा है .

सपाक्स पार्टी से अलग हुआ सपाक्स समाज
author img

By

Published : Jun 17, 2019, 12:23 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 12:33 PM IST


भोपाल | मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 के समय अचानक राजनीतिक दलों के लिए चुनौती का सबब बन चुकी सपाक्स पार्टी कुछ ही महीनों के बाद दो भागों में बंटी नजर आने लगी है. दरअसल विधानसभा चुनाव 2018 और लोकसभा चुनाव 2019 में सपाक्स ने जितने भी उम्मीदवार मैदान में उतारे, सभी के सभी पूरी तरह से फेल साबित हुए.


एक समय सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था ( सपाक्स) , सपाक्स समाज ने मध्यप्रदेश में आरक्षण का मुद्दा उठाकर अच्छा खासा समर्थन हासिल किया था. उस समय भारी संख्या में लोगों का जुड़ाव इस संगठन से हो रहा था. लेकिन जैसे ही इसी नाम से राजनीतिक दल की स्थापना की गई . उसके बाद से ही यहां पर उठापटक का दौर शुरू हो गया. आखिरकार सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स ) ने अपना नाता सपाक्स पार्टी से हमेशा के लिए तोड़ लिया है.

सपाक्स पार्टी से अलग हुआ सपाक्स समाज


⦁ सपाक्स संस्था के प्रांतीय सचिव भानु तोमर का कहना है कि नाता उनसे तोड़ा जाता है जिससे जुड़ा हो.
⦁ सपाक्स से कोई नाता नहीं समर्थन था- भानु तोमर
⦁ सपाक्स संस्था ने समर्थन राजनीतिक पार्टी सपाक्स से वापस लिया
⦁ ना चुनाव लड़ना चाहते हैं, न ही राजनीतचि में आना है- सपाक्स समाज
⦁ जिन लोगों को सपाक्स पार्टी में पद दिया गया था उन्होंने भी पद से दिया इस्तीफा


सपाक्स संस्था और सपाक्स पार्टी में लोकसभा चुनाव के दौरान ही खटपट शुरू हो गई थी. क्योंकि समाज से जुड़े हुए लोग किसी भी रूप में राजनीति नहीं करना चाहते थे. लेकिन जिस प्रकार से सपाक्स समाज का नाम राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, उसे लेकर संस्था के लोग नाराज थे और धीरे-धीरे संस्था से जुड़े हुए सभी पदाधिकारियों ने सपाक्स पार्टी से अपना रिश्ता हमेशा के लिए खत्म कर दिया.


भोपाल | मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 के समय अचानक राजनीतिक दलों के लिए चुनौती का सबब बन चुकी सपाक्स पार्टी कुछ ही महीनों के बाद दो भागों में बंटी नजर आने लगी है. दरअसल विधानसभा चुनाव 2018 और लोकसभा चुनाव 2019 में सपाक्स ने जितने भी उम्मीदवार मैदान में उतारे, सभी के सभी पूरी तरह से फेल साबित हुए.


एक समय सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था ( सपाक्स) , सपाक्स समाज ने मध्यप्रदेश में आरक्षण का मुद्दा उठाकर अच्छा खासा समर्थन हासिल किया था. उस समय भारी संख्या में लोगों का जुड़ाव इस संगठन से हो रहा था. लेकिन जैसे ही इसी नाम से राजनीतिक दल की स्थापना की गई . उसके बाद से ही यहां पर उठापटक का दौर शुरू हो गया. आखिरकार सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स ) ने अपना नाता सपाक्स पार्टी से हमेशा के लिए तोड़ लिया है.

सपाक्स पार्टी से अलग हुआ सपाक्स समाज


⦁ सपाक्स संस्था के प्रांतीय सचिव भानु तोमर का कहना है कि नाता उनसे तोड़ा जाता है जिससे जुड़ा हो.
⦁ सपाक्स से कोई नाता नहीं समर्थन था- भानु तोमर
⦁ सपाक्स संस्था ने समर्थन राजनीतिक पार्टी सपाक्स से वापस लिया
⦁ ना चुनाव लड़ना चाहते हैं, न ही राजनीतचि में आना है- सपाक्स समाज
⦁ जिन लोगों को सपाक्स पार्टी में पद दिया गया था उन्होंने भी पद से दिया इस्तीफा


सपाक्स संस्था और सपाक्स पार्टी में लोकसभा चुनाव के दौरान ही खटपट शुरू हो गई थी. क्योंकि समाज से जुड़े हुए लोग किसी भी रूप में राजनीति नहीं करना चाहते थे. लेकिन जिस प्रकार से सपाक्स समाज का नाम राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, उसे लेकर संस्था के लोग नाराज थे और धीरे-धीरे संस्था से जुड़े हुए सभी पदाधिकारियों ने सपाक्स पार्टी से अपना रिश्ता हमेशा के लिए खत्म कर दिया.

Intro: ( स्पेशल स्टोरी )

सपाक्स पार्टी से हमेशा के लिए अलग हुआ सपाक्स समाज, मुद्दों से भटकने का लगाया आरोप


भोपाल | मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 के समय अचानक राजनीतिक दलों के सर में दर्द पैदा करने वाली सपाक्स पार्टी कुछ ही महीनों के बाद दो भागों में बटी नजर आने लगी है . दरअसल विधानसभा चुनाव 2018 और लोकसभा चुनाव 2019 में सपाक्स पार्टी ने जितने भी उम्मीदवार मैदान में उतारे सभी के सभी पूरी तरह से फेल साबित हुए. वहीं सपाक्स पार्टी को जनता का किसी भी तरह से समर्थन प्राप्त नहीं हुआ .

एक समय सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था ( सपाक्स) , सपाक्स समाज ने मध्यप्रदेश में आरक्षण का मुद्दा उठाकर अच्छा खासा समर्थन हासिल किया था . उस समय भारी संख्या में लोगों का जुड़ाव इस संगठन से हो रहा था . लेकिन जैसे ही इसी नाम से राजनीतिक दल की स्थापना की गई . उसके बाद से ही यहां पर उठापटक का दौर शुरू हो गया . आखिरकार सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स ) ने अपना नाता सपाक्स पार्टी से हमेशा के लिए तो लिया है .


Body:सपाक्स संस्था और सपाक्स पार्टी में लोकसभा चुनाव के दौरान ही खटपट शुरू हो गई थी . क्योंकि समाज से जुड़े हुए लोग किसी भी रूप में राजनीति नहीं करना चाहते थे . लेकिन जिस प्रकार से सपाक्स समाज का नाम राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था उसे लेकर संस्था के लोग नाराज थे और धीरे-धीरे संस्था से जुड़े हुए सभी पदाधिकारियों ने सपाक्स पार्टी से अपना रिश्ता हमेशा के लिए खत्म कर दिया . जिन लोगों को सपाक्स पार्टी में पद दिया गया था उन्होंने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया .


सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था ( सपाक्स ) केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किए जाने की मांग और पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करने जैसे मुद्दे पर ही आंदोलन करना चाहता था . लेकिन कुछ लोगों ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इनके ही संस्थान के नाम का इस्तेमाल करते हुए राजनीतिक दल की स्थापना कर दी . जब संस्था के लोगों को इस बात का एहसास हुआ कि कुछ लोग केवल अपनी निजी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उनके संस्था का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्होंने इन लोगों से रिश्ता खत्म करना ही उचित समझा है .


Conclusion:सपाक्स संस्था के प्रांतीय सचिव भानु तोमर का कहना है कि हमने सपाक्स पार्टी से नाता नहीं तोड़ा है क्योंकि नाता उनसे तोड़ा जाता है जिनसे कभी जुड़ा हो . सपाक्स पार्टी से हमारा ना पहले कोई नाता था और ना अभी कोई नाता है . सपाक्स समाज का सपाक्स पार्टी को समर्थन जरूर था .क्योंकि इस समय हमारे मुद्दों पर लड़ने वाली राजनीतिक पार्टी केवल एक वही थी . लेकिन अब उस राजनीतिक पार्टी में महत्वाकांक्षा रखने वाले लोग आ चुके हैं . जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को सिद्ध करने के लिए हमारे द्वारा चलाए गए उस आंदोलन को ही समाप्त कर कर रख दिया है हमारा शुरू से ही यही मानना रहा है कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए हम अपने एजेंडे को नहीं बदल सकते हैं इसीलिए सपाक्स संस्था ने अपना समर्थन राजनीतिक पार्टी सपाक्स से वापस ले लिया है .


उन्होंने कहा कि सपाक्स पार्टी को विचार करने की जरूरत है कि रे अपने मार्ग से भटक गए हैं लेकिन अब हम लोग उन्हें अपना समर्थन नहीं देंगे हम लोग अपने मूल सिद्धांतों से किसी भी प्रकार से समझौता नहीं करने वाले हैं और हमें वैसे भी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि हमारा संगठन राजनीति से प्रेरित नहीं है हमारा केवल एक ही एजेंडा है कि हम जातिगत आरक्षण के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं और वह हम आगे भी करते रहेंगे और हमारा इस समय पूरा फोकस 25 जनवरी 2020 में होने जा रही आरक्षण की समीक्षा बैठक पर है जिसे लेकर हम लगातार तैयारियां कर रहे हैं .


उन्होंने कहा कि इसे आप दुर्भाग्य कह सकते हैं कि हमारे संस्था का नाम भी सपाक्स है और उनके राजनीतिक दल का नाम भी सपाक्स है यह केवल एक इत्तफाक है लेकिन हम उन से निवेदन करेंगे कि वे अपने राजनीतिक पार्टी का नाम अब बदलने इससे उनकी पार्टी भी सफल हो जाएगी और जो आंदोलन हम लेकर आगे बढ़ रहे हैं वह भी सफल हो जाएगा .


भानु तोमर ने कहा कि सपाक्स पार्टी को केवल एक ही व्यक्ति हीरालाल त्रिवेदी अपने अधिकार में चला रहा है और कभी भी किसी राजनीतिक दल में किसी एक व्यक्ति का अधिकार नहीं होता है यही वजह है कि उस राजनीतिक दल का यह हश्र हो रहा है सपाक्स राजनीतिक दल में हमें भी प्रदेश सचिव का पद दिया गया था लेकिन लोकसभा चुनाव होने की वजह से हमने उस समय पद से इस्तीफा नहीं दिया लेकिन जैसे ही वोटिंग संपन्न हुई उसके तुरंत बाद ही हमने काउंटिंग से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था उन्होंने कहा कि सपाक्स संस्था में ऐसा कोई भी अनुबंध नहीं है कि हमारी संस्था से जुड़ने वाला व्यक्ति किसी अन्य राजनीतिक दल से नहीं जुड़ सकता है क्योंकि हमारी संस्था से जुड़े हुए कई लोग ऐसे हैं जो कांग्रेस में भी काम कर रहे हैं और बीजेपी में लेकिन इससे हमारे मूल एजेंडे पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हमारी संस्था से सभी धर्मों के लोग जुड़े हुए हैं जो केवल आरक्षण को आर्थिक आधार पर लागू करवाना चाहते हैं .


सपाक्स संस्था आरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर आई थी हम राजनीति करने के लिए नहीं आए थे यही वजह है कि हम ना चुनाव लड़ना चाहते हैं और ना ही किसी प्रकार की राजनीति करना चाहते हैं और ना ही किसी राजनीतिक पार्टी से कोई रिश्ता रखना चाहते हैं हम तो केवल अपने मुद्दों को सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं और जो आरक्षण के खिलाफ हमारी लड़ाई है उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं ताकि देश भर में आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जा सके और गरीब को उसका हक दिलवाया जा सके क्योंकि आरक्षण की जरूरत उस व्यक्ति को है जो सचमुच में आर्थिक रूप से गरीब है जो पहले से ही आर्थिक रूप से मजबूत है उसे आरक्षण की जरूरत नहीं है और यही सपाक्स संस्था की लड़ाई है .
Last Updated : Jun 17, 2019, 12:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.