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हादसों का MP, 6 महीनों में 19 हजार से ज्यादा एक्सीडेंट, 4 हजार से ज्यादा मौतें

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Published : Sep 25, 2020, 6:22 PM IST

मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ते सड़क हादसे लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहे हैं. साल दर साल प्रदेश में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में इजाफा होता जा रहा है. मध्य प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों पर देखिए ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट....

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हादसों का MP

भोपाल। लॉकडाउन से देशभर में सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की रफ्तार थम गयी. लिहाजा सड़क हादसों में भी कमी आयी. लेकिन जैसे ही अनलॉक शुरु हुआ तो सड़कों पर वाहनों ने फिर रफ्तार पकड़ी और सड़क हादसों में भी तेजी आ गयी. मध्य प्रदेश में सड़क हादसों के आंकड़े तो यही बता रहे है कि प्रदेश में रफ्तार का कहर लोगों के लिए काल बना हुआ है.

मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसे

मध्य प्रदेश में पिछले 6 महीनों में 19 हजार से भी ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें करीब 4 हजार से भी ज्यादा वाहन चालक काल के गाल में समा गए. इन सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह वाहनों की तेज रफ्तार बताई गयी. हालांकि पिछले सालों के आंकड़ों को देखें तो इन 6 महीनों में सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ में 28 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. लेकिन फिर भी यह आंकड़ें डराने वाले जरुर साबित हुए.

मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ते सड़क हादसे

  • ओवर स्पीड से 7851 हादसे, 8635 लोगों की मौत, 4815 घायल
  • ड्रिंक एंड ड्राइव से 157 हादसे, 145 लोगों की मौत, 99 घायल
  • रॉन्ग साइड ड्राइविंग से 556 हादसे, 617 लोगों की मौत, 484 घायल
  • रेड सिग्नल जंप करने से 5 हादसे, 8 लोगों की मौत, 10 घायल
  • मोबाइल पर बात करने से 63 हादसे, 61 लोगों की मौत, 64 घायल
    ट्रैफिक का भी बढ़ रहा दवाब
    ट्रैफिक का भी बढ़ रहा दवाब

साल दर साल सड़क हादसों में बढ़ती मौतें

  • 2016 के सड़क हादसों में 9 हजार 646 लोगों की मौत
  • 2017 के सड़क हादसों में 10 हजार 177 लोगों की मौत
  • 2018 के सड़क हादसों में 10 हजार 706 लोगों की मौत
  • 2019 के सड़क हादसों में 11 हजार 249 लोगों की मौत
  • 2020 जून माह तक सड़क हादसों 4 हजार 716 लोगों ने जान गंवाई

डिवेलप किया गया है आई रेड एप

पुलिस प्रशिक्षण और शोध संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि सड़क हादसों पर एक इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस प्रणाली, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आईआईटी मद्रास और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के समन्वय से विकसित किया गया है. यह ऐप एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भारत के 6 राज्यों में लागू करने का निर्णय लिया गया है जिनमें मध्यप्रदेश भी शामिल हैं.

तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसे
तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसे

पहले चरण में इसे मध्य प्रदेश के 11 जिलों में लागू किया गया है जिसके तहत 11 जिलों के 5-5 थाना प्रभारियों और यातायात प्रभारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आई रेड ऐप के जरिए आने वाले समय में दुर्घटना और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों का रियल टाइम डाटा कलेक्शन किया जाएगा. इसके अलावा क्विक रिस्पांस के साथ पुलिस घटनास्थल पर पहुंच सकेगी.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर और यातायात पुलिस की एक्सपर्ट के तौर पर मदद करने वाले सिद्धार्थ रोकड़े की मानें तो ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने या फिर चौराहों की रोटरी छोटी करने से सड़क हादसों में कमी नहीं आएगी. प्रोफेसर रोकड़े ने कहा कि सड़कों को लेकर पीडब्ल्यूडी, सीपीए, नगर निगम समेत तमाम विभाग काम करते हैं. इन सभी विभागों में सबसे पहले सामंजस्य बनाने की जरूरत है. इसके अलावा यह भी जरूरी है कि जिन ब्लैक स्पॉट को चिन्हित किया गया है वहां रोड सेफ्टी ऑडिटिंग की जाए. लेकिन यह भी बड़ी समस्या है कि आखिर ऑडिटिंग कौन करेगा. क्योंकि रोड सेफ्टी ऑडिटिंग का काम यातायात पुलिस का नहीं है यातायात पुलिस सिर्फ बल मुहैया करवा सकती है. जब तक सही दिशा में मिलकर काम नहीं किया जाएगा तब सड़क हादसे कम नहीं होंगे.

वाहन चलाते वक्त नहीं बरती जा रही सावधानी
वाहन चलाते वक्त नहीं बरती जा रही सावधानी

मध्य प्रदेश में मनाया जाता है सड़क सुरक्षा सप्ताह

मध्य प्रदेश के सभी जिलों हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है. इस दौरान वाहन चालकों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं. बावजूद इसके सड़क हादसों का ग्राफ घटने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. कई बार वाहन चालक भी यातायात के नियमों को गंभीरता से नहीं लेते. सिग्नल जंप करना और तेज गति से वाहन चलाने के चलते सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती है. हालांकि इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले सड़क हादसों और मौतों में 28 फीसदी की कमी हुई है. लेकिन यह कमी कहीं ना कहीं प्रदेश भर में कोविड-19 के चलते लगे लॉकडाउन के कारण मानी जा रही है.

भोपाल। लॉकडाउन से देशभर में सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की रफ्तार थम गयी. लिहाजा सड़क हादसों में भी कमी आयी. लेकिन जैसे ही अनलॉक शुरु हुआ तो सड़कों पर वाहनों ने फिर रफ्तार पकड़ी और सड़क हादसों में भी तेजी आ गयी. मध्य प्रदेश में सड़क हादसों के आंकड़े तो यही बता रहे है कि प्रदेश में रफ्तार का कहर लोगों के लिए काल बना हुआ है.

मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसे

मध्य प्रदेश में पिछले 6 महीनों में 19 हजार से भी ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें करीब 4 हजार से भी ज्यादा वाहन चालक काल के गाल में समा गए. इन सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह वाहनों की तेज रफ्तार बताई गयी. हालांकि पिछले सालों के आंकड़ों को देखें तो इन 6 महीनों में सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ में 28 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. लेकिन फिर भी यह आंकड़ें डराने वाले जरुर साबित हुए.

मध्य प्रदेश में तेजी से बढ़ते सड़क हादसे

  • ओवर स्पीड से 7851 हादसे, 8635 लोगों की मौत, 4815 घायल
  • ड्रिंक एंड ड्राइव से 157 हादसे, 145 लोगों की मौत, 99 घायल
  • रॉन्ग साइड ड्राइविंग से 556 हादसे, 617 लोगों की मौत, 484 घायल
  • रेड सिग्नल जंप करने से 5 हादसे, 8 लोगों की मौत, 10 घायल
  • मोबाइल पर बात करने से 63 हादसे, 61 लोगों की मौत, 64 घायल
    ट्रैफिक का भी बढ़ रहा दवाब
    ट्रैफिक का भी बढ़ रहा दवाब

साल दर साल सड़क हादसों में बढ़ती मौतें

  • 2016 के सड़क हादसों में 9 हजार 646 लोगों की मौत
  • 2017 के सड़क हादसों में 10 हजार 177 लोगों की मौत
  • 2018 के सड़क हादसों में 10 हजार 706 लोगों की मौत
  • 2019 के सड़क हादसों में 11 हजार 249 लोगों की मौत
  • 2020 जून माह तक सड़क हादसों 4 हजार 716 लोगों ने जान गंवाई

डिवेलप किया गया है आई रेड एप

पुलिस प्रशिक्षण और शोध संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि सड़क हादसों पर एक इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस प्रणाली, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आईआईटी मद्रास और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के समन्वय से विकसित किया गया है. यह ऐप एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भारत के 6 राज्यों में लागू करने का निर्णय लिया गया है जिनमें मध्यप्रदेश भी शामिल हैं.

तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसे
तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसे

पहले चरण में इसे मध्य प्रदेश के 11 जिलों में लागू किया गया है जिसके तहत 11 जिलों के 5-5 थाना प्रभारियों और यातायात प्रभारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आई रेड ऐप के जरिए आने वाले समय में दुर्घटना और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों का रियल टाइम डाटा कलेक्शन किया जाएगा. इसके अलावा क्विक रिस्पांस के साथ पुलिस घटनास्थल पर पहुंच सकेगी.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर और यातायात पुलिस की एक्सपर्ट के तौर पर मदद करने वाले सिद्धार्थ रोकड़े की मानें तो ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने या फिर चौराहों की रोटरी छोटी करने से सड़क हादसों में कमी नहीं आएगी. प्रोफेसर रोकड़े ने कहा कि सड़कों को लेकर पीडब्ल्यूडी, सीपीए, नगर निगम समेत तमाम विभाग काम करते हैं. इन सभी विभागों में सबसे पहले सामंजस्य बनाने की जरूरत है. इसके अलावा यह भी जरूरी है कि जिन ब्लैक स्पॉट को चिन्हित किया गया है वहां रोड सेफ्टी ऑडिटिंग की जाए. लेकिन यह भी बड़ी समस्या है कि आखिर ऑडिटिंग कौन करेगा. क्योंकि रोड सेफ्टी ऑडिटिंग का काम यातायात पुलिस का नहीं है यातायात पुलिस सिर्फ बल मुहैया करवा सकती है. जब तक सही दिशा में मिलकर काम नहीं किया जाएगा तब सड़क हादसे कम नहीं होंगे.

वाहन चलाते वक्त नहीं बरती जा रही सावधानी
वाहन चलाते वक्त नहीं बरती जा रही सावधानी

मध्य प्रदेश में मनाया जाता है सड़क सुरक्षा सप्ताह

मध्य प्रदेश के सभी जिलों हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है. इस दौरान वाहन चालकों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं. बावजूद इसके सड़क हादसों का ग्राफ घटने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. कई बार वाहन चालक भी यातायात के नियमों को गंभीरता से नहीं लेते. सिग्नल जंप करना और तेज गति से वाहन चलाने के चलते सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती है. हालांकि इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले सड़क हादसों और मौतों में 28 फीसदी की कमी हुई है. लेकिन यह कमी कहीं ना कहीं प्रदेश भर में कोविड-19 के चलते लगे लॉकडाउन के कारण मानी जा रही है.

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