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चावल के साथ दाल भी दे रही सरकार, लेकिन ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही योजना

कोरोना के चलते हुआ लॉकडाउन अब परेशानियां बढ़ा रहा है. मुश्किल के इस दौर में गरीब तबके को, राहत पहुंचाने के लिए, केंद्र सरकार ने सभी राशन कार्ड धारकों को एक किलो दाल देने की व्यवस्था भी की है. लेकिन ये दाल गरीबों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे की तरह साबित हो रहा है. क्योंकि एक किलो दाल से महीनेभर का काम नहीं चल पा रहा.

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भोपाल न्यूज
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Published : May 14, 2020, 5:52 PM IST

भोपाल। कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में गरीब तबके को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई है. इसी के तहत राष्ट्रीय खाद सुरक्षा योजना के अंतर्गत राशन कार्ड धारकों को अब चावल के साथ एक किलो दाल भी दिए जाने की व्यवस्था की है. प्रदेश की राशन दुकानों पर दाल का बांटने का काम भी शुरु हो गया है. लेकिन लोग सरकार की योजना से संतुष्ट नहीं है. उनका मानना है कि जब चावल और गेहूं एक व्यक्ति के हिसाब से पांच किलो दिया जा रहा हैं, तो दाल भी कम से कम 4 किलो दी जानी चाहिए.

ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही एक किलो दाल

सरकार की इस योजना की हितग्राही सराहना तो कर रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि एक किलो दाल में महीनेभर का गुजारा चलाना मुश्किल है. जिस तरह चावल पांच किलो दिया जा रहा है उसके साथ कम से कम दाल भी चार किलो तो मिलनी ही चाहिए. जबकि प्रदेश सरकार फिलहाल राशन दुकानों पर चने की दाल का बांट रही है. जबकि ज्यादातर लोग तुवर दाल का उपयोग करते हैं. इसलिए लोगों का कहना है कि चने की जगह सरकार को तुअर दाल मुहैया करानी चाहिए.

एक किलो दाल से संतुष्ट नहीं लोग
एक किलो दाल से संतुष्ट नहीं लोग
दुकानों पर चावल के साथ मिल रही दाल
दुकानों पर चावल के साथ मिल रही दाल

जिला कलेक्टर द्वारा राशन दुकानों पर बनाए नोडल अधिकारी नाना राव बताते हैं कि पहली बार दाल का स्टाक आया है. हर कार्ड धारी को एक एक किलो दाल देने का आदेश हैं. लेकिन लोग दाल की ज्यादा मांग करते हैं. इसलिए सरकार को दाल की मात्रा बढ़ानी चाहिए.

एक किलो दाल से खुश नहीं है लोग

एक राशनकार्ड धारी ने कहा कि लॉकडाउन चल रहा है, लोगों की समय पर तनख्वाह नहीं आ रही है. जो गरीब मजदूर हैं, उनके पास पैसा नहीं है. इसलिए सरकार मदद तो कर रही है. लेकिन कम से दाल और चावल एक से देने चाहिए. ताकि गरीब का घर एक महीने तो चल सके. लॉकडाउन के इस मुश्किल दौर में गरीबों को चावल के साथ दाल बांटने की योजना तो अच्छी है. लेकिन ये बात भी सही है कि एक किलो दाल से महीने भर का गुजारा भी नहीं होता. ऐसे में जरूरत है कि सरकार, दाल की मात्रा को भी बढ़ाए तो गरीबों को थोड़ी राहत मिले.

भोपाल। कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में गरीब तबके को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई है. इसी के तहत राष्ट्रीय खाद सुरक्षा योजना के अंतर्गत राशन कार्ड धारकों को अब चावल के साथ एक किलो दाल भी दिए जाने की व्यवस्था की है. प्रदेश की राशन दुकानों पर दाल का बांटने का काम भी शुरु हो गया है. लेकिन लोग सरकार की योजना से संतुष्ट नहीं है. उनका मानना है कि जब चावल और गेहूं एक व्यक्ति के हिसाब से पांच किलो दिया जा रहा हैं, तो दाल भी कम से कम 4 किलो दी जानी चाहिए.

ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही एक किलो दाल

सरकार की इस योजना की हितग्राही सराहना तो कर रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि एक किलो दाल में महीनेभर का गुजारा चलाना मुश्किल है. जिस तरह चावल पांच किलो दिया जा रहा है उसके साथ कम से कम दाल भी चार किलो तो मिलनी ही चाहिए. जबकि प्रदेश सरकार फिलहाल राशन दुकानों पर चने की दाल का बांट रही है. जबकि ज्यादातर लोग तुवर दाल का उपयोग करते हैं. इसलिए लोगों का कहना है कि चने की जगह सरकार को तुअर दाल मुहैया करानी चाहिए.

एक किलो दाल से संतुष्ट नहीं लोग
एक किलो दाल से संतुष्ट नहीं लोग
दुकानों पर चावल के साथ मिल रही दाल
दुकानों पर चावल के साथ मिल रही दाल

जिला कलेक्टर द्वारा राशन दुकानों पर बनाए नोडल अधिकारी नाना राव बताते हैं कि पहली बार दाल का स्टाक आया है. हर कार्ड धारी को एक एक किलो दाल देने का आदेश हैं. लेकिन लोग दाल की ज्यादा मांग करते हैं. इसलिए सरकार को दाल की मात्रा बढ़ानी चाहिए.

एक किलो दाल से खुश नहीं है लोग

एक राशनकार्ड धारी ने कहा कि लॉकडाउन चल रहा है, लोगों की समय पर तनख्वाह नहीं आ रही है. जो गरीब मजदूर हैं, उनके पास पैसा नहीं है. इसलिए सरकार मदद तो कर रही है. लेकिन कम से दाल और चावल एक से देने चाहिए. ताकि गरीब का घर एक महीने तो चल सके. लॉकडाउन के इस मुश्किल दौर में गरीबों को चावल के साथ दाल बांटने की योजना तो अच्छी है. लेकिन ये बात भी सही है कि एक किलो दाल से महीने भर का गुजारा भी नहीं होता. ऐसे में जरूरत है कि सरकार, दाल की मात्रा को भी बढ़ाए तो गरीबों को थोड़ी राहत मिले.

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