भोपाल। बसंत के शुरू होते ही जैसे पतझड़ शुरू हो जाता है, वैसे ही मार्च के शुरूआत से विधायकों के पतझड़ की आहट मिलने लगी, जो 20 मार्च तक 22 पर पहुंच गई. वैसे ही मध्यप्रदेश में खिलने वाला है सियासत का कमल, दो कमल में से एक कमल खिलेगा तो दूसरा मुरझाएगा, अब खिलेगा कौन सा कमल और मुरझाएगा कौन सा कमल, इसके लिए दोनों ही कमल को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ेगा, आंकड़ों की बाजीगरी में जो कमल जीतेगा, उसी के सिर सत्ता का ताज सजेगा.
आंकड़ों पर नजर डालें तो मौजूदा सरकार का संकट कम होने वाला नहीं है, इन सबसे इतर बागियों के भविष्य पर भी संकट बरकरार है क्योंकि 22 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो चुका है, जबकि दो सीटें पहले से ही रिक्त हैं, अब इन 24 सीटों पर उपचुनाव होना तय है. लेकिन ये तय नहीं है कि सभी बागी फिर विधायक बन पाएंगे या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 20 मार्च को ही शाम पांच बजे से पहले कमलनाथ सरकार को सदन में बहुमत साबित करना है, दोनों पार्टियों ने व्हिप जारी कर अपने-अपने विधायकों को सदन में मौजूद रहने का अल्टीमेटम दिया है. पर उससे पहले 12 बजे मुख्यमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, कयास लगाए जा रहे हैं कि कमलनाथ इस्तीफे का एलान कर देंगे.
आंकड़ों पर नजर डालें तो विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 230 है, जिसमें 2 सीटें रिक्त हैं, जबकि 22 में से 16 बागी विधायकों का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने देर रात मंजूर कर लिया है, इससे पहले 6 बागियों का इस्तीफा मंजूर कर लिया था, अब कुल 24 सीटें रिक्त होने के बाद सदन की संख्या 206 रह गई है. यानि बहुमत के लिए अब 104 सदस्य चाहिए, जोकि सरकार के पास इस समय नहीं है.
इस समय बीजेपी के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 114 विधायक थे, जो अब 92 रह गए हैं, इसके अलावा सपा के एक बसपा के दो और निर्दलीय चार विधायक हैं, कांग्रेस इन सबको साथ मिला लेती है, फिर भी जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि कांग्रेस इन सबको मिलाकर भी 99 पर ही रह जाती है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 104 है. ऐसे में कांग्रेस कम से कम 5 बीजेपी विधायकों को अपने पक्ष में कर ले तो सरकार का संकट टल सकता है. हालांकि, खबर है कि मुख्यमंत्री के पास 7 बीजेपी विधायकों के इस्तीफे पड़े हैं. यदि ये खबर सच होती है तो पेंच फंस जाएगा.
आंकड़े किसी भी खेल का परिणाम तय करते हैं, आंकड़ों की बाजीगरी किसी को भी बाजीगर बना सकती है, अब मध्यप्रदेश की सियासत का बाजीगर कौन होगा क्योंकि दोनों ही खेमों में एक से बढ़कर एक बाजीगर हैं, जो आखिरी पल में भी पासा पलट सकते हैं. खैर! थोड़ा और इंतजार कीजिए, दिल थाम के बैठिए, फिर देखिए क्या होता है मध्यप्रदेश का सियासी भविष्य.