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रंग लाईं दुआएं, बीमारी से ठीक हुई सबसे उम्रदराज 100 साल की हथिनी वत्सला, छोड़ दिया था खाना-पीना

पिछले कई दिनों से बीमार दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी की सेहत सुधर रही है. बीमार वत्सला को ठीक करने के लिए वन विभाग और डॉक्टरों की टीम उसकी देखभाल में जुटी हुई है. वत्सला ने फिर से खाना-पीना भी शुरू कर दिया है.

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बीमारी से ठीक हुई सबसे उम्रदराज 100 साल की हथिनी वत्सला
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Published : Jul 6, 2021, 9:59 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 10:23 PM IST

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व से एक अच्छी खबर है. यहां पिछले कई दिनों से बीमार दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी की तबीयत में सुधार हो रहा है. बीमार वत्सला को ठीक करने के लिए वन विभाग और डॉक्टरों की टीम उसकी विशेष देखभाल कर रही है और बेहतर इलाज भी किया जा रहा है. इलाज का असर भी दिखाई देने लगा है. बीते कई दिनों से खाना-पीना छोड़ देने वाली 100 साल से ज्यादा उम्र की हथिनी वत्सला ने फिर से खाना पीना शुरू कर दिया है.

बीमारी से ठीक हुई सबसे उम्रदराज 100 साल की हथिनी वत्सला

फिर बनने लगी 'वत्सला' की रसोई

बीमार वत्सला को टाइगर रिजर्व के गेट के पास बने स्पेशल केज में रखा जाता है. यहीं डॉक्टर उसका इलाज करते हैं. समय समय पर उसे घूमाने के लिए बाहर भी निकाला जाता है. कुछ दिनों पहले खाना-पीना छोड़ चुकी वत्सला ने इलाज के बाद फिर से खाना शुरू कर दिया है. उसके केज के सामने ही वत्सला के लिए खाना बनाया जाता है. डाइजेशन सिस्टम फिर से खराब न हो इसके लिए उसे पानी भी उबाल कर दिया जा रहा है. साथ ही डाइट भी सामान्य रखी जा रही है.

भारत की आजादी की गवाह रही 'हथिनी वत्सला' बीमार, 100 साल से ज्यादा उम्र, दिखाई देना बंद, खाना भी छूटा

अंधेरी हो चुकी है वत्सला की दुनिया
मोतियाबिंद से अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी हथिनी वत्सला की दुनिया अब अंधेरी हो चुकी है. उसे दिखाई देना भी बंद हो गया है. अब वह सिर्फ अपने महावत की आवाज ही पहचानती है. पन्ना टाइगर रिजर्व की हथनी वत्सला को विश्व की सबसे उम्रदराज हथिनी के रूप में गिनीज बुक मे दर्ज कराने की कोशिश की जा रही है. 100 साल से ज्यादा उम्र की वत्सला को 1971 में केरल से मध्य प्रदेश के होशंगाबाद लाया गया था. 1971 में इस हथिनी की उम्र 50 वर्ष थी. आम तौर पर हाथियों की उम्र 65 से 70 वर्ष होती है, लेकिन वत्सला 100 साल की उम्र को पार कर चुकी है. हालांकि केरल से इसकी उम्र से संबंधित दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं. जिससे इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पा रहा है. वन विभाग इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

टाइगर रिजर्व में बनाया जाएगा रेस्क्यू सेंटर

पन्ना टाइगर रिजर्व में अभी कोई भी रेस्क्यू सेंटर नहीं है. बीमार जानवरों का स्पेशल केज में रखकर ही इलाज किया जाता है. रिजर्व के वन्य जीव चिकित्सक बताते हैं कि तीन से चार माह के भीतर यहां एक रेस्क्यू सेंटर बना दिया जाएगा. जिसके बाद बीमार वन्यजीवों का यहां लगातार उपचार किया जा सकेगा. अभी वन विभाग और डॉक्टरों की एक टीम किसी भी वन्यप्राणी के बीमार होने पर मौके पर जाकर ही उनका उपचार करती है.

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व से एक अच्छी खबर है. यहां पिछले कई दिनों से बीमार दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी की तबीयत में सुधार हो रहा है. बीमार वत्सला को ठीक करने के लिए वन विभाग और डॉक्टरों की टीम उसकी विशेष देखभाल कर रही है और बेहतर इलाज भी किया जा रहा है. इलाज का असर भी दिखाई देने लगा है. बीते कई दिनों से खाना-पीना छोड़ देने वाली 100 साल से ज्यादा उम्र की हथिनी वत्सला ने फिर से खाना पीना शुरू कर दिया है.

बीमारी से ठीक हुई सबसे उम्रदराज 100 साल की हथिनी वत्सला

फिर बनने लगी 'वत्सला' की रसोई

बीमार वत्सला को टाइगर रिजर्व के गेट के पास बने स्पेशल केज में रखा जाता है. यहीं डॉक्टर उसका इलाज करते हैं. समय समय पर उसे घूमाने के लिए बाहर भी निकाला जाता है. कुछ दिनों पहले खाना-पीना छोड़ चुकी वत्सला ने इलाज के बाद फिर से खाना शुरू कर दिया है. उसके केज के सामने ही वत्सला के लिए खाना बनाया जाता है. डाइजेशन सिस्टम फिर से खराब न हो इसके लिए उसे पानी भी उबाल कर दिया जा रहा है. साथ ही डाइट भी सामान्य रखी जा रही है.

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अंधेरी हो चुकी है वत्सला की दुनिया
मोतियाबिंद से अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी हथिनी वत्सला की दुनिया अब अंधेरी हो चुकी है. उसे दिखाई देना भी बंद हो गया है. अब वह सिर्फ अपने महावत की आवाज ही पहचानती है. पन्ना टाइगर रिजर्व की हथनी वत्सला को विश्व की सबसे उम्रदराज हथिनी के रूप में गिनीज बुक मे दर्ज कराने की कोशिश की जा रही है. 100 साल से ज्यादा उम्र की वत्सला को 1971 में केरल से मध्य प्रदेश के होशंगाबाद लाया गया था. 1971 में इस हथिनी की उम्र 50 वर्ष थी. आम तौर पर हाथियों की उम्र 65 से 70 वर्ष होती है, लेकिन वत्सला 100 साल की उम्र को पार कर चुकी है. हालांकि केरल से इसकी उम्र से संबंधित दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं. जिससे इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो पा रहा है. वन विभाग इसके लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

टाइगर रिजर्व में बनाया जाएगा रेस्क्यू सेंटर

पन्ना टाइगर रिजर्व में अभी कोई भी रेस्क्यू सेंटर नहीं है. बीमार जानवरों का स्पेशल केज में रखकर ही इलाज किया जाता है. रिजर्व के वन्य जीव चिकित्सक बताते हैं कि तीन से चार माह के भीतर यहां एक रेस्क्यू सेंटर बना दिया जाएगा. जिसके बाद बीमार वन्यजीवों का यहां लगातार उपचार किया जा सकेगा. अभी वन विभाग और डॉक्टरों की एक टीम किसी भी वन्यप्राणी के बीमार होने पर मौके पर जाकर ही उनका उपचार करती है.

Last Updated : Jul 6, 2021, 10:23 PM IST
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