भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर छात्र संघ चुनाव की मांग उठने लगी है, यह मांग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एनएसयूआई दोनों ही कर रहे हैं. दरअसल कोरोना के बाद अब लगातार हर चीज सामान्य हो रही है, ऐसे में छात्रों का कहना है कि सरकार को जल्द चुनाव कराने चाहिए, क्योंकि इसको कराने से नए छात्र नेता आगे आते हैं.(madhya pradesh college president election)
इसलिए होने चाहिए छात्र चुनाव: राजनीति में पृष्ठभूमि तलाशने वाले छात्रों के लिए छात्र संघ चुनाव महत्वपूर्ण भूमिका होते हैं, ऐसे में यह चुनाव उनके भविष्य का भी फैसला करते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश में पिछले कई सालों से छात्र संघ चुनाव नहीं हो रहे हैं. कमलनाथ सरकार ने भले ही इन चुनावों को लेकर एक बार माहौल बनाया था और छात्र संघ चुनाव की बात कही गई थी, लेकिन वह भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रणाली के बीच में उलझ कर रह गए. अब कोरोना के 2 साल बीतने के बाद अब धीरे-धीरे हर चीज सामान्य होती जा रही है. जिसके बाद एक बार फिर एनएसयूआई और एबीवीपी द्वारा छात्र संघ चुनाव की मांग उठने लगी है. एबीवीपी की प्रदेश सहमंत्री चंचल धोटे कहती हैं कि जिस तरह से अब हर चीज सामान्य हो रही है, ऐसे में छात्र संघ चुनाव निश्चित तौर पर होने चाहिए, जिससे नए छात्र नेता भी मिल पाएं.
चुनाव ने निकलेंगे नेता जिनसे बीजेपी को खतरा: एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष आशुतोष चौकसे ने भी छात्र संघ चुनाव की मांग करते हुए बीजेपरी रक निशाना साधा है. उनका कहना है कि सरकार चाहती ही नहीं है कि नए छात्र नेता निकल कर सामने आए, क्योंकि इससे बड़े नेताओं को खतरा है.
एक हुआ एनएसयूआई और एबीवीपी: अन्य मुद्दों पर आपस में विरोध रखने वाले दोनों छात्र संगठन इस मुद्दे पर एक हैं. दोनों संगठनों को यह मांग उठना इसलिए भी जायज हो गया है क्योंकि कुछ दिन पहले ही प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी यह माना था कि चीजें सामान्य हो जाएंगी तो मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद छात्र संघ चुनाव कराए जा सकते हैं. जिसके बाद से यह मांग एक बार फिर सामने आई है.