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किसानों का पड़ेगा बोझ! अब नहरों से नहीं पाइप लाइन से होगी खेतों की सिंचाई, जानिए क्या है नई कीमत

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Published : Mar 3, 2022, 10:44 PM IST

नहरों में होने वाली पानी की बर्बादी रोकने अब किसानों के खेतों तक पाइप लाइन से पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के किसानों को इस पाइप के पानी की सिंचाई करना महंगा साबित होगा.

Now irrigation of fields will be done by pipeline in mp
किसानों का पड़ेगा बोझ

भोपाल। नहरों में होने वाली पानी की बर्बादी रोकने अब किसानों के खेतों तक पाइप लाइन से पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के किसानों को इस पाइप के पानी की सिंचाई करना महंगा साबित होगा. दरअसल, किसानों को एक हेक्टेयर खेत की सिंचाई के लिए 1200 रुपए हेक्टेयर के हिसाब से भुगतान करना होगा, इस बात पर सीएम शिवराज की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है.

कैसे होगा काम
खेती को लाभ को धंधा बनाने और किसानों को राहत देने जैसे तमाम ऐलान सरकार के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन यह फैसला किसानों को राहत नहीं बोझ साबित होगा. प्रदेश में ड्राॅप मोर क्राॅप के कंसेप्ट पर आगे बढ रही सरकार खेतों तक पाइप से पानी पहुंचाएगी, इसके बाद स्प्रिंगलर से सिंचाई होगी.

20 हजार से ज्यादा अन्नदाताओं को नहीं मिलेगा समर्थन मूल्य का लाभ! जानें क्या है पूरा मामला

सीएम की घोषणाएं
कम पानी में ज्यादा सिंचाई के इस पैटर्न पर प्रदेश के मोहनपुरा डेम, बानसुजारा, गरोड़, कुडरिया जैसे कई और परियाजनाएं शामिल हैं. खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी कई मंचों से ऐलान कर चुके हैं कि, पाइप लाइन को ही खेतों तक पहुंचाया जाएगा, लेकिन इसको लेकर सरकार ने जो सिंचाई की दर निर्धारित की है, वह किसान पर भारी पड़ सकती हैं. किसानों को पाइप लाइन से सिंचाई के लिए 12 सौ रुपए प्रति हेक्टेयर से भुगतान करना होगा. हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि, पाइप से सिंचाई के लिए पहले कोई दरें ही निर्धारित नहीं थी. यह दरें पहली बार तय की गई हैं, इसमें भी पानी को लिफ्ट करने से लेकर खेतों पर पहुंचाने में बिजली से लेकर अन्य संसाधनों में बड़ी लागत आएगी, लेकिन किसानों के लिए कम दर का निर्धारण किया गया है.

16 साल बाद बदलीं सिंचाई की दरें
राज्य सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में ही शासकीय स्रोतों से प्रवाह और किसानों द्वारा स्वयं के व्यय पर की जाने वाली सिंचाई की दरों में करीब 4 गुना की बढोत्तरी की थी. पहले जल दर जहां 50 रुपए से 960 रुपए थीं, वह बढ़ाकर 200 रुपए से लेकर 960 रुपए तक की जा चुकी हैं. यह दरें राज्य सरकार ने करीब 16 साल बाद बदली हैं. दिसंबर 2005 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था.

  • पूर्व में धान-खरीफ के लिए जल कर 85 रुपए प्रति हेक्टेयर था, जो अब 380 रुपए प्रति हेक्टेयर हो चुका है.
  • हरी घास वाली फसलें जैसे मूंगफली, ज्वार, मूंग, सोयाबीन, तिल तुअर, उड़स के लिए पहले 50 रुपए हेक्टेयर दर निर्धारित थी, जो अब 275 रुपए हेक्टेयर हो चुका है.
  • कपास के लिए पूर्व में पहली बार में 70 रुपए हेक्टेयर की दर निर्धारित थी, जो अब 335 रुपए प्रति हेक्टेयर हो चुकी है.


किसानों को ठग रही सरकार
इसी के साथ कांग्रेस ने पाइप लाइन से सिंचाई की दर को बहुत ज्यादा बताते हुए सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने आरोप लगाया है कि, प्रदेश सरकार सिर्फ किसानों को ठगने का काम कर रही है. किसान पहले ही प्रकृति की मार झेल रहा है, बारिश और ओलों से बर्बाद हुई फसलों की राहत राशि का पैसा किसानों को अब तक नहीं मिला. उन्होंने कहा कि, बिजली बिलों के नाम पर वसूली हो रही हैं और अब किसानों को सिंचाई के लिए भी इतनी भारी राशि देना होगा आखिर ऐसे कैसे खेती फायदे का सौदा बनेगी.
बीजेपी बोली किसानों पर नहीं आने दिया जाएगा भार

किसान हितैशी है शिवराज सरकार
मामले पर भाजपा का पक्ष लेते हुए बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि, प्रदेश की शिवराज सरकार किसान हितैशी सरकार है. प्रदेश के किसानों के हित में सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं और प्रदेश के किसानों पर कोइ भी भार नहीं आने दिया जाएगा.

भोपाल। नहरों में होने वाली पानी की बर्बादी रोकने अब किसानों के खेतों तक पाइप लाइन से पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के किसानों को इस पाइप के पानी की सिंचाई करना महंगा साबित होगा. दरअसल, किसानों को एक हेक्टेयर खेत की सिंचाई के लिए 1200 रुपए हेक्टेयर के हिसाब से भुगतान करना होगा, इस बात पर सीएम शिवराज की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है.

कैसे होगा काम
खेती को लाभ को धंधा बनाने और किसानों को राहत देने जैसे तमाम ऐलान सरकार के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन यह फैसला किसानों को राहत नहीं बोझ साबित होगा. प्रदेश में ड्राॅप मोर क्राॅप के कंसेप्ट पर आगे बढ रही सरकार खेतों तक पाइप से पानी पहुंचाएगी, इसके बाद स्प्रिंगलर से सिंचाई होगी.

20 हजार से ज्यादा अन्नदाताओं को नहीं मिलेगा समर्थन मूल्य का लाभ! जानें क्या है पूरा मामला

सीएम की घोषणाएं
कम पानी में ज्यादा सिंचाई के इस पैटर्न पर प्रदेश के मोहनपुरा डेम, बानसुजारा, गरोड़, कुडरिया जैसे कई और परियाजनाएं शामिल हैं. खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी कई मंचों से ऐलान कर चुके हैं कि, पाइप लाइन को ही खेतों तक पहुंचाया जाएगा, लेकिन इसको लेकर सरकार ने जो सिंचाई की दर निर्धारित की है, वह किसान पर भारी पड़ सकती हैं. किसानों को पाइप लाइन से सिंचाई के लिए 12 सौ रुपए प्रति हेक्टेयर से भुगतान करना होगा. हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि, पाइप से सिंचाई के लिए पहले कोई दरें ही निर्धारित नहीं थी. यह दरें पहली बार तय की गई हैं, इसमें भी पानी को लिफ्ट करने से लेकर खेतों पर पहुंचाने में बिजली से लेकर अन्य संसाधनों में बड़ी लागत आएगी, लेकिन किसानों के लिए कम दर का निर्धारण किया गया है.

16 साल बाद बदलीं सिंचाई की दरें
राज्य सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में ही शासकीय स्रोतों से प्रवाह और किसानों द्वारा स्वयं के व्यय पर की जाने वाली सिंचाई की दरों में करीब 4 गुना की बढोत्तरी की थी. पहले जल दर जहां 50 रुपए से 960 रुपए थीं, वह बढ़ाकर 200 रुपए से लेकर 960 रुपए तक की जा चुकी हैं. यह दरें राज्य सरकार ने करीब 16 साल बाद बदली हैं. दिसंबर 2005 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था.

  • पूर्व में धान-खरीफ के लिए जल कर 85 रुपए प्रति हेक्टेयर था, जो अब 380 रुपए प्रति हेक्टेयर हो चुका है.
  • हरी घास वाली फसलें जैसे मूंगफली, ज्वार, मूंग, सोयाबीन, तिल तुअर, उड़स के लिए पहले 50 रुपए हेक्टेयर दर निर्धारित थी, जो अब 275 रुपए हेक्टेयर हो चुका है.
  • कपास के लिए पूर्व में पहली बार में 70 रुपए हेक्टेयर की दर निर्धारित थी, जो अब 335 रुपए प्रति हेक्टेयर हो चुकी है.


किसानों को ठग रही सरकार
इसी के साथ कांग्रेस ने पाइप लाइन से सिंचाई की दर को बहुत ज्यादा बताते हुए सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने आरोप लगाया है कि, प्रदेश सरकार सिर्फ किसानों को ठगने का काम कर रही है. किसान पहले ही प्रकृति की मार झेल रहा है, बारिश और ओलों से बर्बाद हुई फसलों की राहत राशि का पैसा किसानों को अब तक नहीं मिला. उन्होंने कहा कि, बिजली बिलों के नाम पर वसूली हो रही हैं और अब किसानों को सिंचाई के लिए भी इतनी भारी राशि देना होगा आखिर ऐसे कैसे खेती फायदे का सौदा बनेगी.
बीजेपी बोली किसानों पर नहीं आने दिया जाएगा भार

किसान हितैशी है शिवराज सरकार
मामले पर भाजपा का पक्ष लेते हुए बीजेपी प्रवक्ता नेहा बग्गा ने कहा कि, प्रदेश की शिवराज सरकार किसान हितैशी सरकार है. प्रदेश के किसानों के हित में सरकार द्वारा लगातार कदम उठाए जा रहे हैं और प्रदेश के किसानों पर कोइ भी भार नहीं आने दिया जाएगा.

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