भोपाल: विधानसभा सत्र को लेकर मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. विधानसभा के कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव निकलने को लेकर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने सवाल उठाए हैं और सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार भ्रम फैला रही है, सिर्फ एक कोरोना मरीज विधानसभा में निकला है.
सत्ता पक्ष के साथ प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा पर पूर्व मंत्री ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा, प्रोटेम स्पीकर सत्ता पक्ष के हिसाब से निर्णय कर रहे हैं, जबकि सदन को उन्हें संरक्षण देना चाहिए. यह सरकार केवल अध्यादेश की सरकार रह गई है. इतिहास में पहली बार बजट अध्यादेश से पास किया गया. बीजेपी सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है. विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना चाहिए, सरकार चुनाव को टालना चाहती है, इसलिए सत्र को बुलाने से बच रही.
संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही सरकार
विधानसभा के पांच किलोमीटर के दायरे में ट्रैक्टर-ट्रॉली के प्रतिबंध पर पीसी शर्मा ने कहा कि प्रदर्शन करना विपक्ष का अधिकारी है. सरकार संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है. कांग्रेस की मांग है कि सत्र सात दिन चले, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन भी हो, विधायकों के लगाए गए सभी सवालों का जवाब मिलना चाहिए. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और विधायकों को मोबाइल पर लिंक दिए जाने का भी पीसी शर्मा ने विरोध किया है.
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क्या है मामला
विधानसभा के 70 में से 34 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव आने के बाद मध्य प्रदेश में शीतकालीन सत्र को लेकर संशय बन गया है. 28 दिसंबर को शुरू हो रहा सत्र बुलाया जाएगा या नहीं इसको लेकर सर्वदलीय बैठक में तय किया जाएगा. संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सत्र से पहले बुलाई जा रही सर्वदलीय बैठक में तय होगा कि विधानसभा का सत्र होना है या नहीं.
27 को सर्वदलीय बैठक
शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. इसी बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. बैठक में तीन दिवसीय सत्र को लेकर भी फैसला लिया जाएगा कि सत्र बुलाया जाए या नहीं. क्योंकि कोरोना संक्रमण ने जिस तरह से विधानसभा के कर्मचारियों को अपनी जद में लिया है, उसके बाद से सत्र बुलाए जाने को लेकर सवाल गंभीर बन गया है.
फोन से भी जुड़ सकते हैं विधायक
अगर सत्र बुलाया जाता है तो जनप्रतिनिधियों को कोरोना से बचाव के लिए मोबाइल से एक्सेस देकर घर से कार्यवाही में भाग लेने की सुविधा पर विचार किया जा सकता है. इसकी तैयारियां भी कर ली गई है. जिस तरह से विधानसभा के कर्मचारी बड़ी संख्या में कोरोना पॉजिटिव हुए हैं. उसके बाद के शीतकालीन सत्र बुलाए जाने पर संशय बन गया है.
28 से 30 दिसंबर के बीच सत्र
शीतकालीन सत्र 28 से 30 दिसंबर तक बीच होना है. सत्र अगर बुलाया जाता है तो सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है. क्योंकि कांग्रेस पहले से ही किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन करने का ऐलान कर चुकी है. प्रदर्शन को देखते हुए भोपाल कलेक्टर विधानसभा ने धारा 144 के साथ ही विधानसभा के 5 किलोमीटर के दायरे में ट्रैक्टर, ट्राली और बैलगाड़ी पर रोक लगा दी है.