भोपाल। कभी अपनी शायरी के दम पर लाखों लोगों के दिलों पर राज करने वाले मुनव्वर राणा काफी दिनों से अपनी शायरी के लिए कम और विवादित बयानों के लिए ज्यादा जाने जाते हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान शायर मुनव्वर राणा ने बयान दिया था कि अगर योगी दोबारा मुख्यमंत्री बने तो वह उत्तर प्रदेश को अलिवदा कह देंगे. राणा ने कहा था कि वह दिल्ली या कोलकाता में बस जाएंगे. अब उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने भारी बहुमत से फिर सत्ता में वापसी कर ली है. यह भी तय है कि योगी ही यूपी की कमान संभालेंगे. तो क्या मुनव्वर राणा यूपी छोड़ देंगे ? यूपी छोड़कर उनका नया ठिकाना क्या होगा ? क्या वह दिल्ली या कोलकाता में बस जाएंगे ? या फिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अपना आशियाना बनाएंगे ? इसको लेकर साहित्य जगत के अलावा राजनीतिक क्षेत्र में चर्चा गर्म है.
क्या बयान दिया था शायर मुनव्वर राणा ने
शायर मुनव्वर राणा ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि अगर योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे तो वह राज्य छोड़ देंगे. राणा ने कहा था कि मैं यह भी मान लूंगा कि उत्तर प्रदेश मुसलमानों के रहने लायक नहीं है. यूपी में योगी राज वापस आया तो वह दिल्ली-कोलकाता चले जाएंगे. राणा ने कहा था कि मेरे पिता ने पाकिस्तान जाना मंजूर नहीं किया, लेकिन अब बड़े दुख के साथ मुझे यह शहर, यह प्रदेश, अपनी मिट्टी को छोड़ना पड़ सकता है.
शायर मंजर भोपाली ने दिया निमंत्रण, निशाना भी साधा
भोपाल के शायर मंजर भोपाली ने कहा है कि मुनव्वर राणा को अपनी बात पर अमल करना चाहिए. वरना, उनकी शायरी भी झूठी, वो भी झूठे हैं. पब्लिक तो यही पूछेगी कि आपने कहा था. आपसे किसी ने कहा तो था नहीं कि यूपी छोड़ने की बात कहो. मंजर भोपाली बोले- मेरे फार्म हाउस के दरवाजे आपके लिए खुले हैं. मंजर भोपाली ने कहा कि हमने उनसे कहा कि अब हमारे यहां आ जाओ, हम तैयार हैं. हम उन्हें पत्र भी लिखेंगे. 15 मार्च को मैं लखनऊ जा रहा हूं. उनसे मिलकर भी भोपाल आने का आमंत्रण दिया जाएगा. मुनव्वर राणा को अब साफ करना चाहिए कि आगे क्या करना है. मंजर भोपाली ने राणा पर निशाना साधते हुए कि शायरों और कलमकारों को विवादित बयान नहीं देना चाहिए.
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गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दी राणा को दी सलाह
यूपी छोड़ने के बयान पर तात्कालिक रूप से बीजेपी की ओर से जरूर कड़ी प्रतिक्रिया आई हो लेकिन विधानसभा चुनाव में एकतरफा जीत के बाद बीजेपी की ओर से सधा हुआ बयान आया है. मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शायर मुनव्वर राणा को सलाह दी है कि उन्हें यूपी छोड़ने की मंशा ही छोड़ देनी चाहिए. उत्तर प्रदेश में अब योगीराज है. रामराज्य में सबका स्थान होता है. अगर यूपी में सपा की सरकार होती तो राणा शायद यूपी छोड़ते.
विवादित बयानों से मुनव्वर राणा की प्रतिष्ठा कम हुई
एक समय अपनी शायरी से लोगों का दिल जीतने वाले मुनव्वर राणा काफी दिनों से विवादित बयान दे रहे हैं. उनके बयानों को लेकर बीजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आती रही है. कुछ दिनों से साहित्य जगत के भी कई दिग्गज मुनव्वर राणा के इस रुख को पसंद नहीं कर रहे. यहां तक कि उनके करीबी शायर व कवि भी अब मुनव्वर राणा के बयानों से इत्तेफाक नहीं रखते. विवादित बयान देने से पहले तक शायर मुनव्वर राणा की इज्जत साहित्य जगत के साथ ही सभी क्षेत्रों में होती थी. मुशायरे व कवि सम्मेलन में उन्हें लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. क्योंकि मुनव्वर राणा की शायरी सुनने के लिए लोग लंबी दूरी तय कके कार्यक्रम में आते थे. लेकिन विवादित बयानों के कारण अब उनकी प्रतिष्ठा कम हो गई है. उन्हें मुशायरे या कवि सम्मेलन में बुलाने से आयोजक किनारा करने लगे हैं.
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मुनव्वर राणा ने कैसे –कैसे विवादित बयान दिए
यूपी सरकार द्वारा जब देवबंद में एटीएस सेंटर खोला गया तो इस पर मुनव्वर राणा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यूपी में भी तालिबान जैसा काम हो रहा है. धर्मांतरण जैसे मसलों से मुल्क बर्बाद होता है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारा मुल्क पहले जैसा था, वैसा हो जाए. राणा ने कुछ दिन पहले भारत को सांप्रदायिक देश बता दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत अब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं रहा, बल्कि सांप्रदायिक देश हो गया है. हिंदुओं को खुश करने के लिए यहां मुसलमानों को मारा जा रहा है. 26 जनवरी को लाल किले में हुई हिंसा के लिए भी राणा ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. राणा ने बयान देते हुए कहा था कि सरकार खुद चाहती थी कि लाल किले पर हिंसा हो, जिसके बाद किसानों को वहां से हटा दिया जाए. राणा ने तालिबान का समर्थन भी किया था. उन्होंने कहा था कि तालिबान ने अपने मुल्क को आजाद करा लिया है, तो इसमें दिक्कत की क्या बात है. इसके अलावा भी राणा लगातार विवादित बयान देते रहे हैं.
राणा की बेटी को नोटा से भी कम वोट मिले
मुनव्वर राणा की बेटी उरूसा राणा ने भी चुनाव लड़ा था. यूपी के पुरवा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी उरूसा को 1876 वोट मिले. खास बात यह है कि पुरवा सीट पर 2608 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. उरूसा नागरिकता कानून के विरोध में हुए आंदोलन को लेकर सुर्खियों में आई थी.
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