ETV Bharat / city

MP Sickle Cell Research मध्यप्रदेश ने खोजा आदिवासियों के लिए संजीवनी बूटी, सिकल सेल बीमारी से लड़ने के लिए रामबाण इलाज

सिकल सेल एनीमिया आरसीबी के आकार को प्रभावित करता है, जो शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन ले जाती है. परियोजना के तहत, कॉलेज की एक टीम ने 23,320 लोगों पर सर्वे किया 1,656 को सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित है. एमपी के आदिवासियों में एनीमिया से लड़ने की बेहतर क्षमता है. MP Tribals affected sickle cell disease, anemia homeopathic medicines, Sickle Cell Anemia

MP Tribals affected sickle cell disease
एमपी आदिवासी सिकल सेल रोग से प्रभावित
author img

By

Published : Aug 12, 2022, 6:28 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित आदिवासियों पर एक सर्वे किया गया. इसको लेकर शुक्रवार को डॉ निशांत नांबिसन ने बताया कि मध्य प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित आदिवासियों पर किये गए सर्वे में पाया गया कि होम्योपैथिक उपचार को लेकर इनकी प्रतिक्रिया अच्छी है. उन्होंने कहा कि डिंडोरी, मंडला, छिंदवाड़ा और शहडोल जिलों में आयुष विभाग के तहत सरकारी होम्योपैथी कॉलेज ने 23 हजार 320 लोगों का परीक्षण किया गया. अधिकारी ने कहा कि यह योजना बैगा और भारिया की विशेष पिछड़ी जनजातियों में सिकल सेल रोग की व्यापकता की जांच के लिए शुरू की गई थी. (MP Sickle Cell Research)

सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित: अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर डॉ निशांत नांबिसन ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया आरसीबी के आकार को प्रभावित करता है, जो शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन ले जाती है. परियोजना के तहत, कॉलेज की एक टीम ने 23 हजार 320 लोगों की घर-घर स्क्रीनिंग की और उनमें से 1 हजार 656 को सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित पाया गया.

होम्योपैथी दवाएं से परिणाम काफी उत्साहजनक: यह परियोजना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) और मौलाना आजाद राष्ट्रीय संस्थान के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से लागू की गई थी. अधिकारी ने कहा कि प्रौद्योगिकी विभाग (एमएएनआईटी) भी इसमें शामिल है. डॉ नांबिसन ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए पारंपरिक एलोपैथिक उपचार के अलावा, प्रभावित व्यक्तियों को होम्योपैथी दवाएं भी दी गईं और उनके परिणाम काफी उत्साहजनक थे.(anemia homeopathic medicines)

दो साल के बच्चे से हारा अप्लास्टिक एनीमिया, होम्योपैथी साबित हुई वरदान

रोग गंभीर दर्द का बनता है कारण: रोग की स्थिति के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि सिकल सेल आसानी से टूट जाते हैं और मर जाते हैं. लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) आमतौर पर लगभग 120 दिनों तक जीवित रहती हैं, उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है, लेकिन सिकल सेल 10 से 20 दिनों में मर जाते हैं, जिससे एनीमिया होता है. उन्होंने कहा कि पर्याप्त आरबीसी के बिना, शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है और इससे थकान होती है. रोग गंभीर दर्द का कारण बन जाता है. दर्द तब शुरू होता है जब सिकल के आकार के आरबीसी छाती, पेट और जोड़ों में रक्त के प्रवाह को रोकते हैं.

इस रोग में कई प्री-डायबिटिक भी मिले: डॉ नांबिसन ने कहा कि सरकार ने परियोजना के तहत 100 व्यक्तियों पर अध्ययन के लिए 3.58 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी है, लेकिन टीम ने 23,320 लोगों की जांच की है. डॉ नांबिसन ने कहा कि आदिवासी आबादी पर परीक्षण से पता चला है कि डिंडोरी में 4 प्रतिशत मधुमेह से प्रभावित थे और 8.16 प्रतिशत प्री-डायबिटिक पाए गए हैं. (MP Tribals affected sickle cell disease)

भोपाल। मध्यप्रदेश में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित आदिवासियों पर एक सर्वे किया गया. इसको लेकर शुक्रवार को डॉ निशांत नांबिसन ने बताया कि मध्य प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित आदिवासियों पर किये गए सर्वे में पाया गया कि होम्योपैथिक उपचार को लेकर इनकी प्रतिक्रिया अच्छी है. उन्होंने कहा कि डिंडोरी, मंडला, छिंदवाड़ा और शहडोल जिलों में आयुष विभाग के तहत सरकारी होम्योपैथी कॉलेज ने 23 हजार 320 लोगों का परीक्षण किया गया. अधिकारी ने कहा कि यह योजना बैगा और भारिया की विशेष पिछड़ी जनजातियों में सिकल सेल रोग की व्यापकता की जांच के लिए शुरू की गई थी. (MP Sickle Cell Research)

सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित: अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर डॉ निशांत नांबिसन ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया आरसीबी के आकार को प्रभावित करता है, जो शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन ले जाती है. परियोजना के तहत, कॉलेज की एक टीम ने 23 हजार 320 लोगों की घर-घर स्क्रीनिंग की और उनमें से 1 हजार 656 को सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित पाया गया.

होम्योपैथी दवाएं से परिणाम काफी उत्साहजनक: यह परियोजना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएस) और मौलाना आजाद राष्ट्रीय संस्थान के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से लागू की गई थी. अधिकारी ने कहा कि प्रौद्योगिकी विभाग (एमएएनआईटी) भी इसमें शामिल है. डॉ नांबिसन ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए गए पारंपरिक एलोपैथिक उपचार के अलावा, प्रभावित व्यक्तियों को होम्योपैथी दवाएं भी दी गईं और उनके परिणाम काफी उत्साहजनक थे.(anemia homeopathic medicines)

दो साल के बच्चे से हारा अप्लास्टिक एनीमिया, होम्योपैथी साबित हुई वरदान

रोग गंभीर दर्द का बनता है कारण: रोग की स्थिति के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने कहा कि सिकल सेल आसानी से टूट जाते हैं और मर जाते हैं. लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) आमतौर पर लगभग 120 दिनों तक जीवित रहती हैं, उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है, लेकिन सिकल सेल 10 से 20 दिनों में मर जाते हैं, जिससे एनीमिया होता है. उन्होंने कहा कि पर्याप्त आरबीसी के बिना, शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है और इससे थकान होती है. रोग गंभीर दर्द का कारण बन जाता है. दर्द तब शुरू होता है जब सिकल के आकार के आरबीसी छाती, पेट और जोड़ों में रक्त के प्रवाह को रोकते हैं.

इस रोग में कई प्री-डायबिटिक भी मिले: डॉ नांबिसन ने कहा कि सरकार ने परियोजना के तहत 100 व्यक्तियों पर अध्ययन के लिए 3.58 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी है, लेकिन टीम ने 23,320 लोगों की जांच की है. डॉ नांबिसन ने कहा कि आदिवासी आबादी पर परीक्षण से पता चला है कि डिंडोरी में 4 प्रतिशत मधुमेह से प्रभावित थे और 8.16 प्रतिशत प्री-डायबिटिक पाए गए हैं. (MP Tribals affected sickle cell disease)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.