भोपाल /सागर । बीते दो साल से जारी कोरोना काल, ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियां और बढ़ता कर्ज. प्रदेश सरकार की आर्थिक हालत बिगाड़ी हुई है. सरकार कर्ज में डूबी है, लेकिन लगता है उसने इससे निकलने का रास्ता पा (mp government sell unused properties) लिया है. मध्य प्रदेश सरकार बेशकीमती सरकारी संपत्तियां (125 tourist location on lease) बेच कर पैसा जुटा रही है. अलग अलग सरकारी विभागों की संपत्तियां बेचकर सरकार का प्लान 3800 करोड़ रुपए जुटाने तक पहुंचा है. यही वजह है कि सरकार ने अब नई फॉरेस्ट नीति के तहत 125 से ज्यादा टूरिस्ट साइटों को लीज पर देने का भी मन बनाया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या निजी हाथों में सौंपी जाने वाली बेशकीमती संपत्ति और वन संपदा सुरक्षित रह पाएगी.
संपत्ति बेचने के लिए नियम में किया संशोधन
मध्य प्रदेश सरकार ने 26 सितंबर 2020 में 'मध्य प्रदेश शासन आवंटन नियम' में संशोधन किया था. इस संशोधन का उद्देश्य सरकार के लिए राजस्व अर्जित करना है. इसके तहत सरकार पुराने भवन और पुरानी संपत्तियों को बेचकर राजस्व जुटाएगी. उस समय प्रदेश के कई जिलों में सरकारी संपत्तियों को चिन्हित कर उनकी ब्रिक्री के टेंडर भी मंगाए गए थे. इनमें से कुछ संपत्तियों को बेचा भी जा चुका है.
पहली बार 42 संपत्तियों की हुई थी नीलामी
कुछ माह पहले सरकार ने भोपाल में ही पहली बार 100 करोड़ रुपए जुटाने के लिए 42 सरकारी प्रॉपर्टी की नीलामी की. इसमें ईडब्ल्यूएस के फ्लैट्स, मालवीय नगर स्थित पंजीयन भवन की पुरानी बिल्डिंग समेत अन्य प्रॉपर्टी शामिल थी. कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक पहली बार में नीलाम की गईं 8 संपत्तियों की कीमत 24 करोड़ 77 लाख 59 हजार 300 रुपए थी. 42 प्रॉपर्टीज में शामिल सरकारी भवनों और इमारतों की कीमत 90 लाख से लेकर 63 करोड़ रुपए तक थी जिन्हें नीलामी में शामिल किया गया था. जबकि इन 42 प्रॉपर्टी की नीलामी की कीमत 100 करोड़ थी. प्रॉपर्टीज को खरीदने के लिए pam.mp.gov.in पोर्टल भी शुरू किया गया था.
सितंबर 2021 में 10 संपत्तियां बेच जुटाए 82 करोड़
मध्य प्रदेश सरकार ने ऐसी मृतप्राय सरकारी संपत्तियों में से 10 को सितंबर 2021 बेच दिया है. इस सौदे से सरकार ने करीब 82 करोड़ रुपए जुटाए हैं. सरकार की इसी तरह कुल 280 सरकारी संपत्तियों को बेचने की योजना है. सरकार की कोशिश है कि इन संपत्तियों को बेचकर अगले 6 माह में करीब 1000 करोड़ रुपए जुटाए जाएं.
अतिक्रमण की गईं और लंबे समय से अनुपयोगी संपत्तियां बेची गईं
जिला प्रशासन द्वारा जिन प्रॉपर्टी को बेचने के लिए पोर्टल पर अपलोड किया गया उनमें लंबे समय से उपयोग में नहीं ली गईं है. ऐसी प्रॉपर्टीज भी शामिल थीं जो अतिक्रमण का शिकार हो रहीं थी, इन्हें अतिक्रमण मुक्त कराकर नीलामी में शामिल किया गया था.
अन्य जिलों में भी होगी सरकारी संपत्तियों की नीलामी
प्रदेश सरकार ने लीज पर देने या नीलामी के लिए जिन संपत्तियों को चिन्हित किया है उनमें भोपाल ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों की संपत्तियां भी शामिल है.
-सागर के राहतगढ़ में स्थित 130 साल पुराने लोक निर्माण विभाग के रेस्ट हाउस को बेचा जा रहा है.
- कटनी और मंडला के रेस्ट हाउस को भी इसी सूची में शामिल हैं. इनकी बिक्री की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
- इन बेशकीमतों इमारतों को बेचे जाने के पीछे इन बिल्डिंग्स के काफी पुराना होना बताया गया है. इन बिल्डिंग्स को खरीदने के लिए कई लोग लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग से संपर्क कर चुके हैं.
क्या है लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग
प्रदेश में ऐसी कौन सी सरकारी बेशकीमती संपत्तियां हैं जिन्हें बेचकर खजाना भरा जा सकता है. इसकी जानकारी जुटाने और संपत्तियों की कीमत तय करने के लिए हाल ही में गठित लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग को सौंपी गई है.
- ये विभाग सभी ऐसी संपत्तियों की सूची तैयार कर रहा है और किस फार्मूले के तहत निजी हाथों को सौंपा जाए ये भी तय कर रहा है.
- सबसे ज्यादा संपत्तियां लोक निर्माण विभाग और परिवहन विभाग की हैं.
- इन दोनों विभाग की करीब 60 संपत्तियों को सूचीबद्ध किया गया है. इसके अलावा बस स्टेंड, बस डिपो,रेस्टहाउस, खाली भूखंड,कारखाने,सरकारी दफ्तर, ऐतिहासिक इमारत, रेशम केंद्र जैसी संपत्तियां भी बेची जा रही हैं.
लीज पर दिए जाएंगे 125 टूरिस्ट स्पॉट
देश और दुनिया में समृद्ध मानी जाने वाली प्रदेश के वनों और पर्यटन क्षेत्र की विरासत भी अब लीज पर दी जाएगी. इसके लिए वन विभाग ने नई फॉरेस्ट टूरिज्म पॉलिसी तैयार की है. इसके तहत राज्य के वनों में मौजूद ऐसी टूरिस्ट लोकेशन जहां पर्यटन की व्यापक संभावनाएं हैं, उन्हें लीज पर देने का फैसला किया है. जिससे सरकार को आय का एक नया स्त्रोत मिलेगा.
- मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से में फैले जंगल हमेशा से सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं. अब राज्य के जंगलों में मौजूद टूरिस्ट लोकेशन्स को सरकार 10 साल के लिए लीज पर देगी.
- ऐसी करीब 125 से ज्यादा लोकेशन चिन्हित की है, जिन्हें 10 साल की लीज पर दिया जा सकता है. यहां सैलानियों को अपनी मर्जी से जंगल में कैंप करने और घूमने की अनुमति मिलेगी.
-वनों में मौजूद नदी और अन्य लोकेशन पर अगर टूरिस्ट अस्थाई तौर पर रहना चाहते हैं, तो वे पैसा देकर वहां रह सकते हैं.
-सौलानियों को संबंधित लोकेशन पर ही एडवेंचर से लेकर बोटिंग और दूसरी सुविधाएं टूरिस्ट लोकेशन पर ही मुहैया कराई जाएंगी.
-इसके अलावा टेंट और तंबू लगाकर सैलानियों के लिए होटल और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां भी संचालित की जा सकेंगी.
- विभागीय मंत्री विजय शाह के मुताबिक वन विभाग जल्द ही इन तमाम लोकेशन को लॉन्च करेगा जिन्हें लीज पर दिया जाना है.
- लीज पर दिए जाने की प्रक्रिया के दौरान सभी लोकेशन की बोली लगाई जाएगी, सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को यह स्थान अस्थाई तौर पर 10 साल के लिए लीज पर दी जा सकेगी.
सरकार का खजाना खाली है, लेकिन जिस तरह से बेशकीमती सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है. उसपर पहले भी वाल उठ चुके हैं. हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी. सवाल एक बार फिर वही है जिस तरह से टूरिस्ट स्पॉट और लोकेशन को 10 साल के लिए लीज पर देकर खासा राजस्व जुटाया जा सकता है, वही प्रक्रिया सरकारी संपत्तियों को लेकर क्यों नहीं अपनाई जा रही है. इन संपतियों की नीलामी करने के वजाए अगर इन्हें भी लीज पर दिए जाने से भी सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी भी होती और राज्य की अचल संपत्ति भी राज्य के पास ही रहती.