भोपाल। एमपी ने ग्रामीण आवास निर्माण में रिकाॅर्ड बनाया है. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत ग्रामीण आवास निर्माण में एमपी देश में दूसरे स्थान पर है जबकि पहले स्थान पर देश में पश्चिम बंगाल है. मध्यप्रदेश ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत अगले साल मार्च तक साढ़े तीन लाख आवास निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि, इसके लिए विभाग को बजट का इंतजार है. बताया जा रहा है आगामी अनुपूरक बजट में विभाग ने करीब 1250 करोड़ रुपए की मांग भेजी है.
लक्ष्य से 7.7 लाख आवास निर्माण से दूर एमपी
मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लक्ष्य 30 लाख आवास का निर्धारित किया गया था. इस योजना के तहत हितग्राही के खाते में 1.20 लाख रुपए की राशि डाली जाती है. अभी तक प्रदेश में 22.29 लाख आवास बन कर तैयार हो चुके हैं. इस साल 3 लाख 80 हजार आवास पूर्ण हुए हैं. राज्य शासन द्वारा 26.77 लाख लोगों के खाते में पहली किश्त डाल है. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है, जबकि मध्यप्रदेश ग्रामीण आवास निर्माण में दूसरे स्थान पर है. प्रदेश 30 लाख आवासों के निर्धारित लक्ष्य को पाने में 7 लाख 71 हजार आवास से पीछे है. हालांकि मार्च 2022 तक 3 लाख 50 हजार आवासों का लक्ष्य पाने की दिशा में बजट आड़े आ रहा है. इसके लिए बजट का इंतजार है. आगामी विधानसभा सत्र में पेश होने जा रहे अनुपूरक बजट में इसके लिए प्रावधान किया जाएगा.
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प्रदेश के पांच जिले में सबसे ज्यादा लक्ष्य पेंडिंग
मध्यप्रदेश के पांच जिलों में अभी सबसे ज्यादा ग्रामीण आवास का काम पेंडिंग हैं. इसमें टाॅप पर सिंगरौली, अलीराजपुर, रीवा, झाबुआ, सतना जिले हैं. सिंगरौली जिले में 22 हजार आवास पेंडिंग हैं. इसके अलावा अलीराजपुर में 20 हजार, रीवा में 17 हजार, सतना में 18 हजार और झाबुआ में 20 हजार आवास पेंडिंग हैं. इसके अलावा मंडला में 15 हजार, रायसेन में 14 हजार, सीधी में 12 हजार, कटनी में 12 हजार, छिंदवाड़ा में 13 हजार, खरगौन-जबलपुर में 12-12 हजार आवास का काम बाकी है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के मुताबिक हर सप्ताह निर्माण कार्यों की समीक्षा की जा रही है. 45 दिन में हितग्राही को किस्त जारी की जाती है. यदि इस दौरान मांग नहीं की जाती है तो इसकी पड़ताल की जाती है. यही वजह है कि काम की गति में तेजी आई है.
23 हजार करोड़ से ज्यादा हो चुका खर्च
20 नवंबर 2016 से शुरू हुई इस योजना में अब तक मध्यप्रदेश सरकार 23 हजार 972 करोड़ रुपए व्यय कर चुकी है. इसमें 60 फीसदी अंश केन्द्र सरकार और 40 फीसदी अंश राज्य सरकार का होता है. हितग्राही यदि चाहते तो उसे 70 हजार रुपए का ऋण भी वित्तीय संस्था से दिलाए जाने की सुविधा भी दी जाती है. इसके अलावा निर्माण के लिए मनरेगा से 90 से 95 दिन की मजदूरी का भी प्रावधान किया गया है. उधर, प्रदेश सरकार की पहल पर केन्द्र सरकार ने मजदूरी भुगतान के प्रावधान में संशोधन किया है. अब आवास निर्माण के हर चरण की जगह जरूरत के हिसाब से भुगतान किया जा सकता है.
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