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MP Police Commissioner System: इंदौर, भोपाल में लागू हुआ पुलिस कमिश्नर सिस्टम, जानिए क्या-क्या होंगे बदलाव - भोपाल और इंदौर में लागू होगा पुलिस कमिश्नर सिस्टम

मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम (madhya pradesh police commissioner system)को हरी झंड़ी दे दी है. इंदौर और भोपाल (police commissioner system in bhopal or indore) में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है. सीएम शिवराज सिंह ने प्रेजेंटेशन देखने के बाद पुलिस कमिश्नर सिस्टम को मंजूरी दी.

mp police commissioner system
मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम
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Published : Dec 9, 2021, 4:35 PM IST

Updated : Dec 10, 2021, 8:49 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम (mp police commissioner system)को हरी झंडी दे दी है. इंदौर और भोपाल (police commissioner system in bhopal or indore) में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है. सीएम शिवराज सिंह ने प्रेजेंटेशन देखने के बाद पुलिस कमिश्नर सिस्टम को मंजूरी दे दी. अब पुलिस आयुक्त सर्वोच्य पद होगा. इस सिस्टम के तहत जिले को कई जोन में बांटा जाएगा. हर जोन में डीएसपी स्तर का अधिकारी प्रभारी होगा जो सीधे पुलिस कमिश्नर को रिपोर्ट करेगा. जल्द ही इस बारे में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है.

मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम

पुलिस को मिलेंगे जिला प्रशासन के 14 अधिकार

मध्यप्रदेश में कमिश्नर प्रणाली का सेटअप उत्तर प्रदेश के वाराणसी और लखनऊ की तरह होगा. इसमें जिला प्रशासन के 14 अधिकारों को पुलिस को सौंपा जा सकता है. जिसमें गुंडा नियंत्रण अधिनियम (Gunda Control Act) के तहत पुलिस किसी भी अपराधी को जिला बदर करने के अधिकार दिए जाएंगे. अभी पुलिस ऐसे अपराधियों की सूची तैयार कर कलेक्टर को भेजती है. इसके बाद कलेक्टर इस पर अंतिम निर्णय करता है. सुरक्षा को लेकर इस्तेमाल की जाने वाली प्रतिबंधात्मक धाराएं 107, 116, 144, 133 पुलिस एक्ट (Police Act) को लागू करने के अधिकार पुलिस को सौंपे जाएंगे. विस्फोटक अधिनियम इसमें पटाखों, बंदूक की दुकानों आदि की जांच जिला प्रशासन के अधिकारी करते हैं , यह अधिकार अब पुलिस के पास आ जाएंगे. बंदूक लाइसेंस (gun license) की अनुमति भी पुलिस देगी. इसके साथ ही कई अन्य अधिकार भी पुलिस कमिश्नर की सहमति से ही लागू किए जा सकेंगे.

mp police commissioner system
मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम
mp police commissioner system
मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम

- पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner System)लागू होने के बाद कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार को दी गई मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाएगी.

- इससे पुलिस शांति भंग होने की आशंका में धारा 155 के तहत व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती है. ऐसी स्थिति में अभी जमानत के अधिकार एसडीएम को होते हैं, लेकिन कमिश्नरी के बाद यह अधिकार खत्म हो जाएंगे.

- गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका लगाने के लिए अभी थाने से पुलिस अधिक्षक से यह प्रस्ताव डीआईजी को भेजे जाते हैं और फिर इन्हें कलेक्टर कार्यालय भेजा जाता है, इसके बाद कलेक्टर के विवेक पर कार्रवाई की जाती है. पुलिस कमिश्नरी के बाद पुलिस कमिश्नर इस पर निर्णय ले सकेंगे.

- कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का सीधा अधिकारी पुलिस दे सकेगी और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा.

- धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने का अधिकारी पुलिस के पास आ जाएगा.

- आर्म्स, आबकारी को लेकर भी एनओसी देने के अधिकार पुलिस के पास आ जाएंगे.- सरकार जरूरत के हिसाब से डीसीपी की नियुक्ति कर सकती है जो एसपी रैंक के होंगे.- कार्रवाई के मामलों में मजिस्ट्रेट के अधिकार डीसीपी और एसीपी के पास होंगे.

- भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गन जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियंत्रण के अधिकार होते हैं. इस पद पर आईएएस अधिकारी बैठता है, लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद यह अधिकार पुलिस के पास आ जाएंगे. इसकी कमान आईपीएस अधिकारी के पास होगी.

NSA और स्टेट सिक्युरिटी एक्ट का भी अधिकार

राज्य सुरक्षा अधिनियम (State Security Act) की कार्रवाई के अधिकार पुलिस को मिलेंगे. किसी अपराधी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National security act NSA की कार्रवाई पुलिस कर सकेगी. अग्निशमन सेवा अधिनियम, अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम के अधिकार ,गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के अधिकार,जहरीली शराब और दूसरे जहरीले रसायन पर रोक के अधिकार पुलिस को मिलेंगे. अभी तक ये अधिकार कलेक्टर के पास होते थे. अभी किसी स्थान विशेष पर लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार जिला प्रशासन के पास होते हैं, जो अब पुलिस को मिलेंगे. हालांकि यदि पुलिस हिरासत में किसी की मौत हुई तो जांच के अधिकार कलेक्टर के पास ही रहेंगे.

ऐसा होगा मध्यप्रदेश का कमिश्नर सिस्टम

मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल में कमिश्नर प्रणाली (police commissioner system in Indore and Bhopal) लागू करने को लेकर उत्तर प्रदेश के वाराणसी और लखनऊ में लागू सिस्टम का अध्ययन किया गया है. इसके आधार पर ही मध्यप्रदेश का कमिश्नर प्रणाली का सेटअप तैयार किया गया है. इसके तहत पुलिस कमिश्नर का 1 पद (आईजी या एडीजी रैंक) अपर पुलिस आयुक्त दो पद - (डीआईजी रैंक के अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त अधिकारी स्तर के पद रखे गए हैं.

रिटायर्ड अधिकारियों ने किया कमिश्नर सिस्टम का स्वागत

इंदौर और भोपाल में कमिश्नर प्रणाली (Police Commissioner System) लागू किए जाने के सरकार के फैसले का रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों ने स्वागत किया है. पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू से लाॅ एंड ऑर्डर की स्थिति में पुलिस को कलेक्टर और एसडीए से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम (mp police commissioner system)को हरी झंडी दे दी है. इंदौर और भोपाल (police commissioner system in bhopal or indore) में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है. सीएम शिवराज सिंह ने प्रेजेंटेशन देखने के बाद पुलिस कमिश्नर सिस्टम को मंजूरी दे दी. अब पुलिस आयुक्त सर्वोच्य पद होगा. इस सिस्टम के तहत जिले को कई जोन में बांटा जाएगा. हर जोन में डीएसपी स्तर का अधिकारी प्रभारी होगा जो सीधे पुलिस कमिश्नर को रिपोर्ट करेगा. जल्द ही इस बारे में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है.

मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम

पुलिस को मिलेंगे जिला प्रशासन के 14 अधिकार

मध्यप्रदेश में कमिश्नर प्रणाली का सेटअप उत्तर प्रदेश के वाराणसी और लखनऊ की तरह होगा. इसमें जिला प्रशासन के 14 अधिकारों को पुलिस को सौंपा जा सकता है. जिसमें गुंडा नियंत्रण अधिनियम (Gunda Control Act) के तहत पुलिस किसी भी अपराधी को जिला बदर करने के अधिकार दिए जाएंगे. अभी पुलिस ऐसे अपराधियों की सूची तैयार कर कलेक्टर को भेजती है. इसके बाद कलेक्टर इस पर अंतिम निर्णय करता है. सुरक्षा को लेकर इस्तेमाल की जाने वाली प्रतिबंधात्मक धाराएं 107, 116, 144, 133 पुलिस एक्ट (Police Act) को लागू करने के अधिकार पुलिस को सौंपे जाएंगे. विस्फोटक अधिनियम इसमें पटाखों, बंदूक की दुकानों आदि की जांच जिला प्रशासन के अधिकारी करते हैं , यह अधिकार अब पुलिस के पास आ जाएंगे. बंदूक लाइसेंस (gun license) की अनुमति भी पुलिस देगी. इसके साथ ही कई अन्य अधिकार भी पुलिस कमिश्नर की सहमति से ही लागू किए जा सकेंगे.

mp police commissioner system
मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम
mp police commissioner system
मध्य प्रदेश पुलिस कमिश्नर सिस्टम

- पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner System)लागू होने के बाद कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम और तहसीलदार को दी गई मजिस्ट्रियल पावर पुलिस को मिल जाएगी.

- इससे पुलिस शांति भंग होने की आशंका में धारा 155 के तहत व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती है. ऐसी स्थिति में अभी जमानत के अधिकार एसडीएम को होते हैं, लेकिन कमिश्नरी के बाद यह अधिकार खत्म हो जाएंगे.

- गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका लगाने के लिए अभी थाने से पुलिस अधिक्षक से यह प्रस्ताव डीआईजी को भेजे जाते हैं और फिर इन्हें कलेक्टर कार्यालय भेजा जाता है, इसके बाद कलेक्टर के विवेक पर कार्रवाई की जाती है. पुलिस कमिश्नरी के बाद पुलिस कमिश्नर इस पर निर्णय ले सकेंगे.

- कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने का सीधा अधिकारी पुलिस दे सकेगी और नगर निगम को इस पर अमल करना होगा.

- धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने का अधिकारी पुलिस के पास आ जाएगा.

- आर्म्स, आबकारी को लेकर भी एनओसी देने के अधिकार पुलिस के पास आ जाएंगे.- सरकार जरूरत के हिसाब से डीसीपी की नियुक्ति कर सकती है जो एसपी रैंक के होंगे.- कार्रवाई के मामलों में मजिस्ट्रेट के अधिकार डीसीपी और एसीपी के पास होंगे.

- भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गन जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियंत्रण के अधिकार होते हैं. इस पद पर आईएएस अधिकारी बैठता है, लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद यह अधिकार पुलिस के पास आ जाएंगे. इसकी कमान आईपीएस अधिकारी के पास होगी.

NSA और स्टेट सिक्युरिटी एक्ट का भी अधिकार

राज्य सुरक्षा अधिनियम (State Security Act) की कार्रवाई के अधिकार पुलिस को मिलेंगे. किसी अपराधी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National security act NSA की कार्रवाई पुलिस कर सकेगी. अग्निशमन सेवा अधिनियम, अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम के अधिकार ,गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के अधिकार,जहरीली शराब और दूसरे जहरीले रसायन पर रोक के अधिकार पुलिस को मिलेंगे. अभी तक ये अधिकार कलेक्टर के पास होते थे. अभी किसी स्थान विशेष पर लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार जिला प्रशासन के पास होते हैं, जो अब पुलिस को मिलेंगे. हालांकि यदि पुलिस हिरासत में किसी की मौत हुई तो जांच के अधिकार कलेक्टर के पास ही रहेंगे.

ऐसा होगा मध्यप्रदेश का कमिश्नर सिस्टम

मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल में कमिश्नर प्रणाली (police commissioner system in Indore and Bhopal) लागू करने को लेकर उत्तर प्रदेश के वाराणसी और लखनऊ में लागू सिस्टम का अध्ययन किया गया है. इसके आधार पर ही मध्यप्रदेश का कमिश्नर प्रणाली का सेटअप तैयार किया गया है. इसके तहत पुलिस कमिश्नर का 1 पद (आईजी या एडीजी रैंक) अपर पुलिस आयुक्त दो पद - (डीआईजी रैंक के अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त और सहायक पुलिस आयुक्त अधिकारी स्तर के पद रखे गए हैं.

रिटायर्ड अधिकारियों ने किया कमिश्नर सिस्टम का स्वागत

इंदौर और भोपाल में कमिश्नर प्रणाली (Police Commissioner System) लागू किए जाने के सरकार के फैसले का रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों ने स्वागत किया है. पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू से लाॅ एंड ऑर्डर की स्थिति में पुलिस को कलेक्टर और एसडीए से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

Last Updated : Dec 10, 2021, 8:49 AM IST
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