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mp pgdm scam कोर्स की वैधानिकता पर चेयरमेन ने ही उठाए सवाल, तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच

PGDM फर्जीवाड़े (mp pgdm scam) मामले में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के मौजूदा चेयरमेन ने ही इस कोर्स की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी पीजीडीएम कोर्स (mp pgdm scam) की वैधानिकता मुझे समझ नहीं आती है.

mp pgdm scam
तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच
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Published : Nov 30, 2021, 9:58 PM IST

भोपाल। PGDM फर्जीवाड़े (mp pgdm scam) मामले में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के मौजूदा चेयरमेन ने ही इस कोर्स की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी पीजीडीएम कोर्स (mp pgdm scam) की वैधानिकता मुझे समझ नहीं आती है.यह कोर्स किसी भी यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड (संबद्ध) नहीं है. इस कोर्स में काॅलेज अपने स्तर पर ही एडमिशन देने से लेकर सर्टिफिकेट तक बांट रहे हैं. तकनीकी शिक्षा विभाग (technical education department)ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है.

तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच

तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच
ई-टीवी भारत द्वारा PGDM फर्जीवाड़े का मामला सामने लाए जाने के बाद तकनीकी शिक्षा विभाग ने इसे लेकर गंभीरता दिखाई है. मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए विभाग के प्रमुख सचिव राघवेन्द्र सिंह ने पूरे प्रकरण की जांच कराए जाने की बात कही है.

सवाल उठाए, लेकिन कार्रवाई नहीं की?
पीजीडीएम फर्जीवाड़े को लेकर अधिकारी दबी जुबान से ये तो मानते हैं कि गड़बड़ी हुई है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अबतक कुछ भी नहीं किया गया. ईटीवी भारत ने जब इस पूरे मामले पर प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के मौजूदा चेयरमेन प्रो. रविन्द्र कन्हेरे से बात की तो खुद उन्होंने ही इस कोर्स की वैधानिकता पर ही सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा कि इसे किसी विश्वविद्यालय से संबंद्धता नहीं है.काॅलेज अपने स्तर पर एडमिशन दे रहे हैं, खुद ही एग्जाम करा रहे हैं और खुद ही सर्टिफिकेट भी बांट रहा है. इसलिए इसकी कोई वैधानिकता समझ नहीं आती है. मौजूदा चेयरमेन रविंद्र कन्हेरे भले ही इस कोर्स को लेकर सवाल उठा रहे हों, लेकिन इस कोर्स की फीस एक बार फिर तय कर दी गई है.

पहले के मुकाबले फीस में 80% की कटौती

नई तय की गई फीस में पिछले सालों की अपेक्षा तकरीबन 80 फीसदी तक की कटौती की गई है. पहले पीजीडीएम कोर्स की जो फीस प्रति सेमेस्टर 1 लाख रुपए तक हुआ करती थी, उसे अब घटाकर 19 हजार 500 रुपए कर दिया गया है. फीस में कमी को लेकर प्रो.कन्हेरे का कहना था कि यह पहले से कम होती आई है, इसी क्रम में फीस को एक बार फिर इसे तय किया गया है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि जिन कोर्सेस की फीस पहले से तय होती आ रही है, उसी की फीस तय की है, किसी नए कोर्स की फीस तय नहीं की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कुछ गलत लगेगा तो उसे बंद कराएंगे.

यह है पूरा मामला
- मध्यप्रदेश के प्राइवेट काॅलेजों द्वारा साल 2017 से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी पीजीडीएम कोर्स संचालित किया जा रहा है.

- इस प्रोफेशनल कोर्स की खासियत यह है कि बाजार की जरूरतों को देखते हुए इसका पाठ्यक्रम काॅलेज स्तर पर ही डिजाइन किया जाता है. जिसकी परीक्षा भी काॅलेज स्तर पर ही होती है और डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी काॅलेज ही देता है. - इस डिप्लोमा कोर्स को चलाने के लिए काॅलेजों ने न तो सरकार से कोई अनुमति ली है और न ही किसी यूनिवर्सिटी से इसके संबद्धता है.

- इस तरह काॅलेज अपनी मनमर्जी से PGDM डिप्लोमा का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं.

- साल 2018 में फीस नियामक कमेटी के पूर्व अधिकारियों ने काॅलेजों से सांठगांठ कर साल इस कोर्स की फीस तय कर डाली. जबकि नियम के मुताबिक मध्यप्रदेश प्रवेश एवं शुल्क विनियामक अधिनियम में सिर्फ यूनिवर्सिटी से संबंद्ध कोर्सेस की ही फीस तय की जा सकती है.

- आयोग ने पहले सिर्फ 15 काॅलेजों की फीस तय की और बाद में यह संख्या बढ़कर 110 कॉलेज तक पहुंच गई.

- इन काॅलेजों ने सरकार के आदिम जाति कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से करोड़ों रुपए की स्काॅलरशिप भी ले डाली, जबकि नियमों के मुताबिक वे कॉलेज और छात्र स्कॉलरशिप के लिए पात्र ही नहीं थे.

भोपाल। PGDM फर्जीवाड़े (mp pgdm scam) मामले में प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के मौजूदा चेयरमेन ने ही इस कोर्स की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी पीजीडीएम कोर्स (mp pgdm scam) की वैधानिकता मुझे समझ नहीं आती है.यह कोर्स किसी भी यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड (संबद्ध) नहीं है. इस कोर्स में काॅलेज अपने स्तर पर ही एडमिशन देने से लेकर सर्टिफिकेट तक बांट रहे हैं. तकनीकी शिक्षा विभाग (technical education department)ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है.

तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच

तकनीकी शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच
ई-टीवी भारत द्वारा PGDM फर्जीवाड़े का मामला सामने लाए जाने के बाद तकनीकी शिक्षा विभाग ने इसे लेकर गंभीरता दिखाई है. मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए विभाग के प्रमुख सचिव राघवेन्द्र सिंह ने पूरे प्रकरण की जांच कराए जाने की बात कही है.

सवाल उठाए, लेकिन कार्रवाई नहीं की?
पीजीडीएम फर्जीवाड़े को लेकर अधिकारी दबी जुबान से ये तो मानते हैं कि गड़बड़ी हुई है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अबतक कुछ भी नहीं किया गया. ईटीवी भारत ने जब इस पूरे मामले पर प्रवेश एवं शुल्क विनियामक कमेटी के मौजूदा चेयरमेन प्रो. रविन्द्र कन्हेरे से बात की तो खुद उन्होंने ही इस कोर्स की वैधानिकता पर ही सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा कि इसे किसी विश्वविद्यालय से संबंद्धता नहीं है.काॅलेज अपने स्तर पर एडमिशन दे रहे हैं, खुद ही एग्जाम करा रहे हैं और खुद ही सर्टिफिकेट भी बांट रहा है. इसलिए इसकी कोई वैधानिकता समझ नहीं आती है. मौजूदा चेयरमेन रविंद्र कन्हेरे भले ही इस कोर्स को लेकर सवाल उठा रहे हों, लेकिन इस कोर्स की फीस एक बार फिर तय कर दी गई है.

पहले के मुकाबले फीस में 80% की कटौती

नई तय की गई फीस में पिछले सालों की अपेक्षा तकरीबन 80 फीसदी तक की कटौती की गई है. पहले पीजीडीएम कोर्स की जो फीस प्रति सेमेस्टर 1 लाख रुपए तक हुआ करती थी, उसे अब घटाकर 19 हजार 500 रुपए कर दिया गया है. फीस में कमी को लेकर प्रो.कन्हेरे का कहना था कि यह पहले से कम होती आई है, इसी क्रम में फीस को एक बार फिर इसे तय किया गया है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि जिन कोर्सेस की फीस पहले से तय होती आ रही है, उसी की फीस तय की है, किसी नए कोर्स की फीस तय नहीं की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कुछ गलत लगेगा तो उसे बंद कराएंगे.

यह है पूरा मामला
- मध्यप्रदेश के प्राइवेट काॅलेजों द्वारा साल 2017 से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट यानी पीजीडीएम कोर्स संचालित किया जा रहा है.

- इस प्रोफेशनल कोर्स की खासियत यह है कि बाजार की जरूरतों को देखते हुए इसका पाठ्यक्रम काॅलेज स्तर पर ही डिजाइन किया जाता है. जिसकी परीक्षा भी काॅलेज स्तर पर ही होती है और डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी काॅलेज ही देता है. - इस डिप्लोमा कोर्स को चलाने के लिए काॅलेजों ने न तो सरकार से कोई अनुमति ली है और न ही किसी यूनिवर्सिटी से इसके संबद्धता है.

- इस तरह काॅलेज अपनी मनमर्जी से PGDM डिप्लोमा का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं.

- साल 2018 में फीस नियामक कमेटी के पूर्व अधिकारियों ने काॅलेजों से सांठगांठ कर साल इस कोर्स की फीस तय कर डाली. जबकि नियम के मुताबिक मध्यप्रदेश प्रवेश एवं शुल्क विनियामक अधिनियम में सिर्फ यूनिवर्सिटी से संबंद्ध कोर्सेस की ही फीस तय की जा सकती है.

- आयोग ने पहले सिर्फ 15 काॅलेजों की फीस तय की और बाद में यह संख्या बढ़कर 110 कॉलेज तक पहुंच गई.

- इन काॅलेजों ने सरकार के आदिम जाति कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से करोड़ों रुपए की स्काॅलरशिप भी ले डाली, जबकि नियमों के मुताबिक वे कॉलेज और छात्र स्कॉलरशिप के लिए पात्र ही नहीं थे.

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