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Panchayat Chunav 2022: जिला और जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव के लिए पार्टियों ने की घेराबंदी शुरू, MP से बाहर भेजे गए करीब 115 नेता

एमपी जिला और जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव 2022 के पहले पार्टियों ने नेताओं की घेराबंदी करना शुरू कर दिया है, इसी के तहत करीब 115 नेताओं को भाजपा-कांग्रेस ने तीर्थयात्रा और पर्यटक स्थलों पर भेजा है. (MP Panchayat Chunav 2022)

Panchayat Chunav 2022
एमपी जिला और जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव के लिए पार्टियों की घेराबंदी शुरू
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Published : Jul 24, 2022, 2:26 PM IST

भोपाल। 'शहर सरकार' बनने के बाद अब भाजपा और कांग्रेस की नजर 'गांव सरकार' पर टिक गई है, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर घेरावंदी दिखाई दे रही है. प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों में जिला पंचायत सदस्यों के अलावा जनपद पंचायत के सदस्यों को दोनों ही दल अपने-अपने समर्थकों को जिले से बाहर ले गए हैं, ये सभी अब अध्यक्ष के चुनाव वाले दिन ही अपने जिले में वोट करने के लिए पहुंचेंगे. इन सब की मॉनिटरिंग भोपाल से भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता कर रहे हैं.(MP Panchayat Chunav 2022)

करीब सवा सौ जनपद सदस्यों की रवानगी: रतलाम बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, खंडवा, शिवपुरी जिलों से भी घेराबंदी की जा रही है, दोनों ही दलों ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए अपनी-अपनी जीत के लिए मोर्चा खोल दिया है. वहीं जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी घेराबंदी बड़े पैमाने पर हुई है, अकेले बुंदेलखंड क्षेत्र के करीब सवा सौ जनपद सदस्यों को दोनों ही दलों ने दूसरे जिलों में भेजा है. कुछ को धार्मिक यात्रा पर भेजा गया है, जबकि कुछ सदस्यों को पर्यटक स्थल पर भेजा गया है.

कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर: दोनों दल के नेता अब हर हाल में जिला पंचायत से लेकर बैरसिया और फंदा में अपना परचम लहराने के लिए जुटे हुए हैं. इधर कांग्रेस भी पिछले बार हुए घटनाक्रम से सबक लेते हुए इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है, यही कारण है कि सदस्यों की पल-पल की रिपोर्ट अपडेट हो रही है. यही नहीं खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए इन्हें दूसरे जिलों और राज्यों में धार्मिक यात्राएं कराई जा रही हैं. राजधानी से मामला जुड़ा होने के कारण बड़े नेताओं की भी खुलकर इसमें रुचि दिख रही है, दोनों ही दलों ने ग्रामीण नेताओं को इसकी कमान सौंपी है. जिला और जनपद पंचायतों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाने के लिए 28 और 29 जुलाई को मतदान कराया जाएगा.

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भोपाल जिला पंचायत में कांग्रेस के तीन दावेदार: कुल 10 सदस्यों में से 6 सदस्यों का सहयोग मिलने वाला प्रत्याशी ही भोपाल जिला पंचायत अध्यक्ष बनेगा. जिला पंचायत में कांग्रेस मजबूती के साथ सामने आई है, इनके सात सदस्य जीत कर आए हैं. हालांकि अध्यक्ष पद के लिए तीन दावेदारों के सामने आने के बाद कांग्रेस में ही फूट पड़ती नजर आ रही है.

बैरिसया जनपद में भाजपा की जीत तय: बैरसिया जनपद पंचायत में भाजपा 18 सदस्यों के साथ होने का दावा कर रही है, तो वहीं कांग्रेस भी 12 सदस्य होने का दावा किया है. बैरसिया नगर पालिका में भाजपा बहुमत के करीब है, वहीं कांग्रेस के पास मात्र चार सदस्य हैं. निर्दलीय पार्षदों पर नजर है, इसलिए भाजपा का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है.

फंदा जनपद में कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने: जनपद पंचायत फंदा में अध्यक्ष पद को लेकर दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, यहां कांग्रेस नेताओं ने खरीद-फरोख्त को देखते हुए रणनीति तैयार की है. इसके साथ ही भाजपा ने 10 सदस्यों को तो कांग्रेस ने 8 सदस्यों को जिले से बाहर भेजा हुआ है, इसमें कुछ सदस्य ऐसे हैं जो भोपाल में ही हैं, लेकिन फोन बंद किए हुए हैं.

दिग्विजय सिंह के गढ़ में कांग्रेस की घेराबंदी: दिग्विजय सिंह के राधौगढ़ में कांग्रेस ने घेराबंदी की है, यहां के कांग्रेस समर्थित 10 जिला पंचायत के सदस्यों को छत्तीसगढ़ भेज दिया है. यहां कुल 18 सदस्य है, इनमें से कांग्रेस के पास अब 10 सदस्य है. इसी के साथ विदिशा में कांग्रेस ने अपने समर्थित 6 सदस्यों को महाराष्ट्र भेजा है, ये सभी शिर्डी, शनि शिंगणापुर और त्रम्बकेश्वर भेज गए हैं. भोपाल जिला पंचायत के चार कांग्रेस सदस्य कान्हा टाइगर रिजर्व के बाद अब तिरुपति बालाजी गए हैं, ये अब 29 जुलाई को हो भोपाल आएंगे.

नगर पालिका और नगर परिषद में साधने की तैयारी: नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव दलों के आधार पर हुए थे, इसलिए यहां पर घेराबंदी ज्यादा नहीं हो रही है. हालांकि कुछ निर्दलीय जीते पार्षदों को अध्यक्ष के लिए वोट करवाने दोनों ही दल उन्हें अपनी-अपनी तरफ करने का प्रयास कर रहे हैं. यह प्रयास उन निकायों में हो रहा है, जहां पर कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों की संख्या लगभग बराबर या कम अंतर है.

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कांग्रेस ने इंदौर और जबलपुर की मांग पर बनाए प्रभारी: कांग्रेस के इंदौर और जबलपुर संगठन से मांग आई थी कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए कमलनाथ किसी नेता को भोपाल से ही प्रभारी बनाकर भेजें, कमलनाथ ने दोनों जिला संगठनों की मांग को मानते हुए दोनों ही जगह पर पंचायत चुनाव के अध्यक्ष के लिए प्रभारी बनाए हैं. इसी के तहत मुकेश नायक को जबलपुर और महेंद्र जोशी को इंदौर पंचायत चुनाव प्रभारी बनाया गया है, इन दो जिलों को छोड़कर बाकी के सभी जिलों में जिला प्रभारी और सह प्रभारी यह जिम्मेदारी संभालेंगे.

भाजपा ने प्रभारियों को दी जिम्मेदारी: भाजपा ने भी जिला जनपद से लेकर नगरीय निकायों में अपना अध्यक्ष बनवाने के लिए जिला प्रभारियों को निर्देशित किया है, भाजपा हर जिले की मॉनिटरिंग भोपाल से ही कर रही है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार इस पर नजर रखे हैं, भाजपा कई जिलों में आश्वस्त है कि उनके ही जिला पंचायत और जनपद पंचायत में अध्यक्ष बनेंगे.

भोपाल। 'शहर सरकार' बनने के बाद अब भाजपा और कांग्रेस की नजर 'गांव सरकार' पर टिक गई है, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर घेरावंदी दिखाई दे रही है. प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों में जिला पंचायत सदस्यों के अलावा जनपद पंचायत के सदस्यों को दोनों ही दल अपने-अपने समर्थकों को जिले से बाहर ले गए हैं, ये सभी अब अध्यक्ष के चुनाव वाले दिन ही अपने जिले में वोट करने के लिए पहुंचेंगे. इन सब की मॉनिटरिंग भोपाल से भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता कर रहे हैं.(MP Panchayat Chunav 2022)

करीब सवा सौ जनपद सदस्यों की रवानगी: रतलाम बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, खंडवा, शिवपुरी जिलों से भी घेराबंदी की जा रही है, दोनों ही दलों ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए अपनी-अपनी जीत के लिए मोर्चा खोल दिया है. वहीं जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी घेराबंदी बड़े पैमाने पर हुई है, अकेले बुंदेलखंड क्षेत्र के करीब सवा सौ जनपद सदस्यों को दोनों ही दलों ने दूसरे जिलों में भेजा है. कुछ को धार्मिक यात्रा पर भेजा गया है, जबकि कुछ सदस्यों को पर्यटक स्थल पर भेजा गया है.

कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर: दोनों दल के नेता अब हर हाल में जिला पंचायत से लेकर बैरसिया और फंदा में अपना परचम लहराने के लिए जुटे हुए हैं. इधर कांग्रेस भी पिछले बार हुए घटनाक्रम से सबक लेते हुए इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है, यही कारण है कि सदस्यों की पल-पल की रिपोर्ट अपडेट हो रही है. यही नहीं खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए इन्हें दूसरे जिलों और राज्यों में धार्मिक यात्राएं कराई जा रही हैं. राजधानी से मामला जुड़ा होने के कारण बड़े नेताओं की भी खुलकर इसमें रुचि दिख रही है, दोनों ही दलों ने ग्रामीण नेताओं को इसकी कमान सौंपी है. जिला और जनपद पंचायतों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाने के लिए 28 और 29 जुलाई को मतदान कराया जाएगा.

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भोपाल जिला पंचायत में कांग्रेस के तीन दावेदार: कुल 10 सदस्यों में से 6 सदस्यों का सहयोग मिलने वाला प्रत्याशी ही भोपाल जिला पंचायत अध्यक्ष बनेगा. जिला पंचायत में कांग्रेस मजबूती के साथ सामने आई है, इनके सात सदस्य जीत कर आए हैं. हालांकि अध्यक्ष पद के लिए तीन दावेदारों के सामने आने के बाद कांग्रेस में ही फूट पड़ती नजर आ रही है.

बैरिसया जनपद में भाजपा की जीत तय: बैरसिया जनपद पंचायत में भाजपा 18 सदस्यों के साथ होने का दावा कर रही है, तो वहीं कांग्रेस भी 12 सदस्य होने का दावा किया है. बैरसिया नगर पालिका में भाजपा बहुमत के करीब है, वहीं कांग्रेस के पास मात्र चार सदस्य हैं. निर्दलीय पार्षदों पर नजर है, इसलिए भाजपा का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है.

फंदा जनपद में कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने: जनपद पंचायत फंदा में अध्यक्ष पद को लेकर दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, यहां कांग्रेस नेताओं ने खरीद-फरोख्त को देखते हुए रणनीति तैयार की है. इसके साथ ही भाजपा ने 10 सदस्यों को तो कांग्रेस ने 8 सदस्यों को जिले से बाहर भेजा हुआ है, इसमें कुछ सदस्य ऐसे हैं जो भोपाल में ही हैं, लेकिन फोन बंद किए हुए हैं.

दिग्विजय सिंह के गढ़ में कांग्रेस की घेराबंदी: दिग्विजय सिंह के राधौगढ़ में कांग्रेस ने घेराबंदी की है, यहां के कांग्रेस समर्थित 10 जिला पंचायत के सदस्यों को छत्तीसगढ़ भेज दिया है. यहां कुल 18 सदस्य है, इनमें से कांग्रेस के पास अब 10 सदस्य है. इसी के साथ विदिशा में कांग्रेस ने अपने समर्थित 6 सदस्यों को महाराष्ट्र भेजा है, ये सभी शिर्डी, शनि शिंगणापुर और त्रम्बकेश्वर भेज गए हैं. भोपाल जिला पंचायत के चार कांग्रेस सदस्य कान्हा टाइगर रिजर्व के बाद अब तिरुपति बालाजी गए हैं, ये अब 29 जुलाई को हो भोपाल आएंगे.

नगर पालिका और नगर परिषद में साधने की तैयारी: नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव दलों के आधार पर हुए थे, इसलिए यहां पर घेराबंदी ज्यादा नहीं हो रही है. हालांकि कुछ निर्दलीय जीते पार्षदों को अध्यक्ष के लिए वोट करवाने दोनों ही दल उन्हें अपनी-अपनी तरफ करने का प्रयास कर रहे हैं. यह प्रयास उन निकायों में हो रहा है, जहां पर कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों की संख्या लगभग बराबर या कम अंतर है.

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कांग्रेस ने इंदौर और जबलपुर की मांग पर बनाए प्रभारी: कांग्रेस के इंदौर और जबलपुर संगठन से मांग आई थी कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए कमलनाथ किसी नेता को भोपाल से ही प्रभारी बनाकर भेजें, कमलनाथ ने दोनों जिला संगठनों की मांग को मानते हुए दोनों ही जगह पर पंचायत चुनाव के अध्यक्ष के लिए प्रभारी बनाए हैं. इसी के तहत मुकेश नायक को जबलपुर और महेंद्र जोशी को इंदौर पंचायत चुनाव प्रभारी बनाया गया है, इन दो जिलों को छोड़कर बाकी के सभी जिलों में जिला प्रभारी और सह प्रभारी यह जिम्मेदारी संभालेंगे.

भाजपा ने प्रभारियों को दी जिम्मेदारी: भाजपा ने भी जिला जनपद से लेकर नगरीय निकायों में अपना अध्यक्ष बनवाने के लिए जिला प्रभारियों को निर्देशित किया है, भाजपा हर जिले की मॉनिटरिंग भोपाल से ही कर रही है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार इस पर नजर रखे हैं, भाजपा कई जिलों में आश्वस्त है कि उनके ही जिला पंचायत और जनपद पंचायत में अध्यक्ष बनेंगे.

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