भोपाल। राजधानी भोपाल में 85 वार्ड शामिल हैं. नगर निगम चुनावों में इस बार 17 लाख 6 हजार 637 मतदाता पार्षदों को चयन करेंगे. नगर निगम के 85 वार्डों में से पुराने शहर के दो वार्ड में महिलाओं की संख्या ज्यादा है, साथ ही 168 थर्ड जेंडर भी हैं. BJP की मालती राय और कांग्रेस की विभा पटेल हैं महापौर प्रत्याशी दोनों प्रत्याशी पार्षद भी रह चुकी हैं और दोनों की उम्र लगभग बराबर हैं. दोनों का जन्म वर्ष 1964 में हुआ, दोनों की पढ़ाई MA तक हुई है. विभा पटेल का परिवार पॉलिटिक्स में सक्रिय है, तो मालती राय खुद 36 साल से राजनीति में है और बीजेपी के कई पदों पर रह चुकी हैं.
जनता करेगी हार-जीत का फैसला: इस समय भोपाल के महापौर आलोक शर्मा हैं. कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी विभा पटेल ने 1999 में भोपाल नगर निगम के मेयर पद पर करीब 44 हजार वोटों से जीत हासिल की थी और 2004 तक मेयर रहीं. विभा महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव के साथ अन्य पदों पर रहीं और वर्तमान में महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष हैं. वहीं बीजेपी की महापौर प्रत्याशी मालती राय वर्ष 2004 से 2009 तक पार्षद रहीं. इसके अलावा निगम में जोन अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. हालांकि वे दो बार पार्षद का चुनाव हार चुकी हैं, वर्तमान में नरेला बीजेपी विधानसभा प्रभारी हैं. हारने के बाद भी सीएम सहित संगठन ने उनके नाम पर मुहर लगाई है. जहां कांग्रेस ने पूर्व महापौर को उम्मीदवार बनाया है, वहीं बीजेपी ने पार्षद रही मालती राय पर भरोसा जताया है. जीत किसकी होगी इसका फैसला भोपाल की जनता करेगी.
इंदौर। नगर निगम सहित जिले की सभी आठों नगर परिषदों में 6 जुलाई को सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक मतदान होगा. इंदौर नगर निगम के महापौर पद के लिये मुख्य मुकाबला भाजपा के पुष्यमित्र भार्गव और कांग्रेस के उम्मीदवार संजय शुक्ला के बीच है. दोनों ही दलों के उम्मीदवारों को जिताने के लिए इस बार बड़ी कशमकश है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार इंदौर में डेरा डाले रखा, वहीं वार्ड में उतर कर अपने प्रत्याशी को जिताने की अपील के साथ कई घोषणाएं की. यही स्थिति कांग्रेस की रही, जिसमें अपने प्रत्याशी संजय शुक्ला को पर्चा भरवाने से लेकर कैंपेनिंग करने तक कमलनाथ ने उनका साथ दिया. इसके अलावा कांग्रेस इस बार एकजुट होकर चुनाव लड़ी है, जिसका फायदा पार्टी को मिल सकता है.
मतदाताओं को रिझाने के लिए दलों ने झोंकी पूरी ताकत: इस समय इंदौर की महापौर मालिनी गौड़ हैं. भाजपा विकास एवं इंदौर के नंबर एक पर रहने के कारण जीत को लेकर आश्वस्त है. इंदौर नगर निगम सबसे ज्यादा राजस्व वाली नगर निगम होने एवं इंदौर के तेजी से महानगर का रूप लेने के कारण दोनों ही दल यहां परिषद पर अपना कब्जा चाहते हैं. यही वजह है कि इस बार दोनों ही दलों ने नगरीय निकाय चुनाव में पूरी ताकत झोंकी है. महापौर के अलावा पार्षद पद के लिए चुनाव में खड़े हुए 341 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला भी ईवीएम के माध्यम से होगा, इस चुनाव में महापौर एवं सभी वार्ड के पार्षद चुनने के लिए इंदौर नगर निगम क्षेत्र में 18 लाख 35 हजार 316 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. मतदान के लिये दो हजार 250 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. मतदान कराने के लिए 10 हजार से अधिक कर्मचारी चुनावी ड्यूटी में लगाए गए हैं. नगर निगम क्षेत्र में 2250 मतदान दल बनाए.
जबलपुर। मध्यप्रदेश में में होने जा रहे नगरीय निकाय चुनाव में बुधवार को जबलपुर पार्षद व महापौर पद के उम्मीदवारों का भाग्य इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में कैद होगा. शहर के 79 वार्डो के पार्षद और महापौर पद के उम्मीदवारों को चुनने के लिए 9 लाख 75 हजार 440 मतदाता अपना मताधिकार का उपयोग करेंगे. नगरी निकाय चुनाव के लिए प्रशासन ने सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं. पहले चरण में शहर के नगरनिगम जबलपुर, नगर पालिका परिषद सिहोरा, नगर पालिका परिषद पनागर, नगर परिषद बरेला के लिए के लिए मतदान होगें और 17 जुलाई को परिणामों की घोषणा होगी.
दो प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर: इस समय जबलपुर में डॉ. स्वाति सदानंद गोडबोले जबलपुर की महापौर हैं. महापौर पद के लिए कांग्रेस ने जगतबहादुर सिंह अन्नू को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं भाजपा ने डॉ. जितेंद्र जामदार को अपना महापौर प्रत्याशी बनाया है. पहले चरण के लिए होने वाले मतदान के लिए शहर के नगर निगम के 79 वार्डो के पार्षद पद महापौर के लिए 11 उम्मीदवार और नगर पालिका व नगर परिषद के कुल 142 पदों के लिए 568 प्रत्याशी मैदान में हैं. नगरनिगम जबलपुर में कुल 79 वार्ड हैं, जिसमें 375 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहें है. जिसके लिए शहर में कुल 1 हजार 187 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं. जिसमें लगभग 9 लाख 75 हजार 440 अपने मतदाता अपने मदाधिकार का उपयोग करेंगे.
छिन्दवाड़ा। छिंदवाड़ा नगर निगम में महापौर चुनने के लिए मतदाता दूसरी बार वोट करेंगे. छिंदवाड़ा नगर निगम 2014 में बनी थी और इस नगर निगम को बनाने के लिए 24 गांवों को शामिल किया गया था. 2015 में हुए नगर निगम के चुनावों में भाजपा ने कब्जा किया था. छिंदवाड़ा नगर पालिका और नगर निगम में अब तक देखा जाए तो पिछले 18 सालों से भाजपा का कब्जा है. छिंदवाडा में पुरुष से ज्यादा महिलाएं हैं इसलिए कहा जा सकता है कि शहर की सरकार का फैसला महिलाएं करेंगी. शहर की सरकार चुनने के लिए 48 वार्डों में 1 लाख 90 हजार 706 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या जहां 94 हजार 691 है, तो महिला मतदाताओं की संख्या 96006 है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो सभी 48 वार्डों में युवा मतदाताओं में महिलाओं की अपेक्षा पुरूष मतदाता ज्यादा हैं.
बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच कड़ा मुकाबला: छिंदवाड़ा नगर निगम में होने वाले चुनाव के लिए इस बार मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है. हालांकि नगर निगम में 10 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी एनसीपी सहित निर्दलीय प्रत्याशी भी हैं. मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी अनन्त धुर्वे जो नगर निगम में सहायक आयुक्त के पद पर थे और कांग्रेस ने इस बार 31 साल के युवा विक्रम आहके को उम्मीदवार बनाया है. दोनों ही प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है.